गुमला.
गुमला से 80 किमी दूर कोरवा जनजाति बहुल धोबारी, गुरदाकोना, उराईकोना, बंधकोना व डुमरपानी गांव में नेताओं के घुसने पर रोक लगा दी गयी है. ये सभी गांव अलबर्ट एक्का जारी प्रखंड में पड़ता है और छत्तीसगढ़ राज्य से सटा हुआ है. इन सभी गांवों में विलुप्त प्राय: आदिम जनजाति कोरवा के लोग रहते हैं. कोरवा जनजाति की शिकायत है कि आजादी के 76 साल बाद भी उनके गांवों की तकदीर व तस्वीर नहीं बदली है. इन गांवों में जरूरत की कोई चीज नहीं है. इसलिए उनकी जिंदगी जंगल व पहाड़ों तक सिमट कर रह गयी है. इनके पास रोजगार नहीं है. इसलिए लकड़ी, दतवन, पत्तल, दोना, साग, कंदा बेचकर अपने घर परिवार की जीविका चलाते हैं. कई लोग तो दूसरे राज्य पलायन कर गये हैं. गांव में मुख्य रूप से सड़क, पानी व बिजली की समस्या है. पक्की सड़क नहीं बनी है. उराईकोना, बंधकोना गांव जाने के लिए जंगली व पहाड़ी रास्ता से होकर गुजरना पड़ता है. डुमरपानी गांव तक जाने के लिए कच्ची मिट्टी की सड़क है. यहां भी जैसे-तैसे जाया जाता है. कोरवा जनजाति के नेता राजेंद्र कोरवा ने कहा कि हमलोगों ने बैठक कर निर्णय लिया है कि जबतक हमारे गांव के विकास के लिए ठोस निर्णय नहीं होता, वोट डालने नहीं जायेंगे. कोरवा जनजाति गांवों में वोट मांगने के लिए आने वाले नेताओं को भी घुसने नहीं देंगे. गांव में नो इंट्री का बोर्ड लगाया जायेगा. गांव के प्रधान के अनुमति के बिना किसी को घुसने नहीं दिया जायेगा. राजेंद्र कोरवा ने कहा कि हर समय हमसे वादा कर वोट लिया जाता है. परंतु, चुनाव जीतने के बाद कोई नेता गांव में झांकने तक नहीं आते हैं. एक माह पहले गुमला उपायुक्त गांव आये थे. परंतु, अबतक विकास का कोई काम शुरू नहीं हुआ है.गांवों के विकास के लिए बन रही योजना
गोविंदपुर पंचायत के कोरवा जनजाति गांव डुमरपानी, जरडा पंचायत के धोबारी, गुरदाकोनो, उराईकोना, बंधकोना गांव का हाल जानने एक माह पहले गुमला उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी सहित कई अधिकारी गये थे. उस समय डीसी ने गांव की हालत देख विकास के लिए प्रखंड के अधिकारियों को योजना बनाने का निर्देश दिया था. यहां बता दें कि इन गांवों तक जाने के लिए करोड़ों रुपये से सड़क बनाने की योजना प्रशासन ने तैयार की है. लेकिन चुनाव के कारण अभी प्रक्रिया रुक गयी है.