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बदला चुनावी प्रचार, सोशल मीडिया ने पकड़ा रफ्तार

हजारीबाग संसदीय सीट पर उम्मीदवारों का चुनावी प्रचार समय के साथ बदला है. हेलीकॉप्टर से चुनाव चिन्ह का पर्चा गिराकर कभी प्रचार होता था.

राष्ट्रीय नेताओं की यादगार सभाएं और उनके चुनावी नारे में थे दम

हेलीकॉप्टर से पर्चा गिराने से लेकर सिंदूर और टिकली बांटने का दौर खत्म

सलाउद्दीन, हजारीबाग

हजारीबाग संसदीय सीट पर उम्मीदवारों का चुनावी प्रचार समय के साथ बदला है. हेलीकॉप्टर से चुनाव चिन्ह का पर्चा गिराकर कभी प्रचार होता था. बदलते दौर में नुक्कड़ सभा, माइक से भाषण, प्रचार वाहन, दूरर्शन, आकाशवाणी, बैनर होर्डिंग विज्ञापन, राष्ट्रीय नेताओं की बड़ी सभाएं और हाई टेक्नोलॉजी से चुनाव प्रचार ने स्थान ले लिया है. 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी मनीष जायसवाल, कांग्रेस प्रत्याशी जयप्रकाश भाई पटेल, झारखंड लोकतांत्रिक क्रांति मोर्चा के संजय मेहता, झापा के बबलू कुशवाहा और लोकहित अधिकार पार्टी के कुंज बिहारी साव का चुनावी जनसंपर्क प्रारंभ हो गया है. चुनावी प्रचार का स्वरूप बिल्कुल बदल गया है. भाजपा प्रत्याशी जहां जनसंपर्क और भाजपा संगठन से जुड़े लोगों की बैठकों पर जोर दे रहे हैं. वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को गोलबंद करने में लगे हैं. दोनों की चुनावी रणनीति बिल्कुल अलग है. दोनों उम्मीदवार के पास कई विधानसभा चुनाव लड़ने का अनुभव है. उम्मीदवार अपने मतदाताओं के रूझान को समझते हैं. भाजपा उम्मीदवार जनसंपर्क और कांग्रेस उम्मीदवार गांव वालों के चौपाल में बातों को रख रहे हैं. सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से उम्मीदवारों का चुनाव प्रचार युवा मतदाताओं को आकर्षित कर रहे हैं. प्रचार तंत्र के बदलते संसाधन का इस्तेमाल उम्मीदवार कर रहे हैं.

1952 से बदलते चुनाव प्रचार : हजारीबाग संसदीय सीट पर 1952 से 1968 तक लोकसभा चुनाव में रामगढ़ राज परिवार के उम्मीदवार हेलीकॉप्टर से चुनावी चिन्ह का पर्चा गिराया करते थे. यही चुनाव प्रचार का मुख्य तरीका था. संसदीय क्षेत्र में फोर्ड गाडी से घूम-घूमकर राज परिवार के उम्मीदवार चुनाव प्रचार करते थे. सिंदूर और टिकली मतदाताओं के बीच बांटते थे. बैनर-पोस्टर का प्रचलन नहीं था.

1971 के चुनाव में उम्मीदवारों द्वारा माइक से चुनाव प्रचार का जोर पकड़ा. राज माता ललिता राज लक्ष्मी राजा पार्टी से और कांग्रेस से दामोदर पांडेय दोनों ने माइक का इस्तेमाल किया.

1977 में चुनावी प्रचार में प्रचार वाहन का प्रचलन बढ़ा. गठबंधन के तहत चार पार्टी भारतीय जनसंघ, मोरारजी देसाई का संगठन कांग्रेस, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी का विलय जनता पार्टी में हुआ. एकीकृत जनता पार्टी के चुनाव प्रचार में कर्पुरी ठाकुर, जयप्रकाश नारायण जैसे कई राष्ट्रीय नेताओं ने हजारीबाग में चुनावी प्रचार किया था. उस समय प्रचार का तरीका बड़ी-बड़ी सभा कर बातों को रखा जाने लगा.

1980 के लोकसभा चुनाव में बड़े-बड़े पोस्टर, बैनर, दीवार लेखन और जन सभाओं के माध्यम से प्रचार होने लगा. 1984 के लोकसभा चुनव में प्रचार में आधुनिकता का समावेश हुआ था. दूरदर्शन और आकाशवाणी से प्रचार का महत्व बढ़ गया. 1989 में रोड शो, बाइक रैली, टीवी से प्रचार कर मतदाताओं से समर्थन मांगे जाते थे. 1991 के लोकसभा चुनाव में कटआउट शहर के मुख्य स्थानों पर लगाये जाते थे. टेम्पो व छोटे-बड़े वाहनों को प्रचार गाड़ी बनाया गया. गीत-संगीत बजाकर प्रत्याशी वोट मांगते थे. 1996 से 2009 तक चुनाव प्रचार में टीवी चैनल और प्रचार वाहन का जोर रहा. अखबारों व टीवी चैनलों में विज्ञापन के माध्यम से भी प्रचार जोर शोर से होने लगा. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय नेताओं की बड़ी सभा, टीवी चैनल, सोशल मीडिया प्रचार का सबसे बड़ा आधार बना.

हजारीबाग संसदीय सीट पर यादगार चुनावी सभा

वर्ष 1971 के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी हजारीबाग में चुनाव प्रचार करने आयी थी. शहर के कर्जन ग्राउंड में चुनावी सभा किया था. किसी प्रधानमंत्री का हजारीबाग संसदीय सीट पर पहना चुनावी सभा थी. कांग्रेस प्रत्याशी दामोदर पांडेय के लिए चुनाव प्रचार किया था. जबकि भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार शत्रुधन प्रसाद के चुनाव प्रचार के लिए लाल कृष्ण आडवाणी हजारीबाग आये थे. सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार रमणिका गुप्ता के लिए जॉर्ज फ्रांडिस चुनाव प्रचार करने आये थे. सभा शहर के केशव हॉल मैदान में हुई थी.

1980 के लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी चुनाव प्रचार के लिए हजारीबाग आये थे. उन्होंने बसंत नारायण सिंह के पक्ष में प्रचार किया था. वर्ष 1991 के लोकसभा चुनाव में सीपीआइ उम्मीदवार भुवनेश्वर मेहता के पक्ष में राष्ट्रीय नेता एबी वर्धन चुनाव प्रचार के लिए आये थे.

2004 के लोकसभा चुनाव में कई फिल्म स्टार पूनम डिलो, शत्रुधन सिन्हा, हेमा मालिनी, धर्मेंद्र, जया प्रदा, संजय दत्त समेत कई फिल्म स्टार अलग-अलग पार्टी के पक्ष में चुनावी प्रचार किया था.

2014 और 2019 में नरेंद्र मोदी की सभा गांधी मैदान हजारीबाग में हुई थी.

चुनावी प्रचार के यादगार स्लोगन

हजारीबाग संसदीय सीट पर चुनावी प्रचार में कई बार चुनावी नारों का महत्वपूर्ण भूमिका रहा. राष्ट्रीय पार्टी का नारा इस संसदीय क्षेत्र के गांवों तक पहुंचा था. जब-जब राजा पार्टी ने चुनाव लड़ा नारा दिया चील के झप्पा, बाघ के लप्पा, बड़ी मुश्किल से बचलियो. कांग्रेसियों से बप्पा रे बप्पा. कामख्या नारायण उम्मीदवार के रूप में चुनावी नारा का इस्तेमाल करते थे.

1971 में कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में नारा था आधी रोटी खायेंगे इंदिरा गांधी को लायेंगे. 1977 में कुर्सी खाली करो कि जनता आती है का नारा जनता पार्टी द्वारा लगाया जाता था. 1984 में नारा था इंदिरा जी के याद में मुहर लगेगी हाथ में. इस तरह समय-समय पर अलग-अलग चुनाव में चुनावी नारों में मतदाताओं को गोलबंद किया.

इस सीट पर चुनावी चिन्ह भी रोचक :

हजारीबाग संसदी सीट पर 1952 से लेकर 1980 तक जनता पार्टी के साइकिल छाप, घोड़ा चक्र के बीच में हल लिये किसान चुनाव चिन्ह का पर्चा मतदाताओं के घर-घर पहुंचता था. वहीं, कांग्रेस पार्टी के चुनाव चिन्ह जोड़ा बैल, गाय-बछड़ा और पंजा छाप भी पीछे-पीछे चलता था. इसके बाद भाजपा का कमल फूल और सीपीआई का हसुआ बाली भी मतदाताओं के बीच पहुंचा.न

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