मोरवा : आपराधिक गतिविधि पर नजर रखने के लिए लोग घरों, ऑफिस एवं दुकानों में सीसीटीवी लगाते हैं. घटना की तस्वीर भी इसमें कैद होती है. बारी-बारी से फुटेज सामने आते हैं. पुलिस की छानबीन होती है. लेकिन अपराध की गुत्थी नहीं सुलझ पाती है. अब तक का सबसे भरोसेमंद साथी भी अपराध की गुत्थी नहीं सुलझा पाती फिर आम लोग किस जुगाड़ पर भरोसा करें. इससे कि अपराधी गतिविधि पर नकेल डाला जा सके. बताया जाता है कि प्रखंड क्षेत्र में गत 2 सालों में दर्जनभर मामले सामने आये. इसमें पुलिस ने सीसीटीवी की मदद ली. अपराधी गतिविधि की पूरी जानकारी कमरे में कैद हो गई. लेकिन लाख प्रयास के बावजूद न तो मामले की गुत्थी सुलझी न ही अपराधियों की शिनाख्त हो पायी. मामला चाहे बनवीरा पंचायत के पेट्रोल पंप पर ट्रक से लूट का हो या चकलालशाही चौक पर टेंपो सवार महिला से 40 हजार छिनतई का. जीविका दीदी से 50000 लूट का मामला हो या जिले के नामचीन दुकानों में हुई बड़ी लूटपाट का. सभी मामलों में पुलिस के हाथ खाली रह गये. जबकि सीसीटीवी फुटेज ने सब कुछ का पर्दाफाश किया था. लोगों का कहना है कि अब ऐसी कौन सी तकनीक इस्तेमाल की जाये जिससे कि यह और कारगर हो सके. हर घटना के बाद पुलिस सीसीटीवी फुटेज को अपना कारगर हथियार मानती है. लोग भी इत्मीनान हो जाते हैं कि मामले की गुत्थी तुरंत सुलझ जायेगी क्योंकि सब कुछ कमरे में कैद हो चुका है. लेकिन जब सालों बीत जाने के बाद मामले के सुलझाने में असफलता हाथ लगती है तो लोगों को यह तकनीक भी भरोसेमंद दिखाई नहीं देता है. बताया जाता है कि अब तक जिला स्तर पर भी कई मामले में सीसीटीवी फुटेज को चश्मदीद बनाकर मामले की छानबीन शुरू हुई लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका. कहानी अनसुलझे ही फाइलों में दफन होकर रह गयी.