मोरवा : प्रखंड के कई पंचायतों में करोड़ों की योजनाएं संचालित है लेकिन स्कीम बोर्ड दिखाई नहीं दे रहा है. एस्टीमेट बनने के पहले ही योजनाएं धरातल पर उतरने लगते हैं. न तो तकनीकी जांच होती है और न ही अधिकारियों का निरीक्षण. ऐसे में योजनाओं का फर्क करना मुश्किल हो जाता है कि आखिर किस फंड से योजनाएं पंचायत में संचालित है. प्रखंड क्षेत्र में इन दिनों मनरेगा की योजनाएं चल रही है. लेकिन इसमें गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखा जा रहा. क्योंकि तकनीकी सहायक और तकनीकी अधिकारी ले आउट के समय नहीं पहुंचते न ही योजनाओं की जांच करते हैं. योजना शुरू होने के बाद सीधे इसकी मापीपुस्त होती है. योजनाओं की गुणवत्ता की अनदेखी के कारण लगातार योजनाएं दम तोड़ती नजर आ रही है. पीसीसी से बनी सड़कें एक साल में ही दम तोड़ने लगती है तो वृक्षारोपण का कहीं नामोनिशान दिखाई नहीं दे रहा. ऐसे में बगैर स्कीम की बोर्ड की योजनाएं संचालित कर लोगों की आंखों में धूल झोंका जा रहा है. स्थानीय लोगों की मानें तो उन्हें नहीं मालूम कि किस फंड से योजनाएं संचालित हो रही है. वहीं सम्बंधित अधिकारियों से पूछे जाने पर उनका एक ही सवाल होता है कि छानबीन कर इसके बारे में बताया जायेगा. प्रखंड क्षेत्र में संचालित योजनाओं की दुर्दशा इसी से देखने को मिलती है कि जब अधिकारी को ही इसके गुणवत्ता की जानकारी नहीं फिर धरातल पर क्या हो रहा है इसकी जानकारी कैसे हो पायेगी. लोगों द्वारा अक्सर इस बावत आवाज उठाये जाते हैं लेकिन अधिकारियों के द्वारा इसकी अनदेखी की जाती है. पूछे जाने पर प्रखंड विकास पदाधिकारी संजय कुमार सिन्हा ने कहा कि ऐसी गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर तुरंत कार्रवाई की जायेगी. प्रमुख सान्या नेहा ने कहा कि इस तरह की हरकत योजनाओं की अनियमितता को दर्शाता है. इसकी छानबीन जरूरी है.
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बगैर स्कीम बोर्ड के संचालित हो रही करोड़ों की योजनाएं
मोरवा : प्रखंड के कई पंचायतों में करोड़ों की योजनाएं संचालित है लेकिन स्कीम बोर्ड दिखाई नहीं दे रहा है.
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