रंजीत कुमार, बोकारो, वर्तमान में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो, जो तनाव से ना घिरा हो. खासकर युवा आज सबसे ज्यादा तनाव में है. तनाव के पीछे सबसे बड़ी वजह बदलती जीवनशैली है. बदलते परिवेश में टेक्नोलॉजी, काम का बोझ, नाइट लाइफ, शिफ्टिंग जॉब, खेलकूद की कमी, सोशल नेटवर्किंग साइट, शौक की कमी जीवन को प्रभावित कर रही है. इसका परिणाम मानव जीवन में तनाव के रूप में देखने को मिल रहा है. मनोचिकित्सक डॉ प्रशांत मिश्र व डॉ जीके सिंह के अनुसार तनावग्रस्त मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. बदलती जीवनशैली व बढ़ती आकांक्षा मुख्य वजह है. डॉ मिश्र के अनुसार जीवन शैली में बदलाव लाकर तनाव पर नियंत्रण पाया जा सकता है. युवाओं में कैंपेन चला कर संकल्प दिलाने की जरूरत है.
हर माह लगभग 1200 मरीजों का इलाज-काउंसेलिंग
बीजीएच व सदर अस्पताल के मनोचिकित्सा विभाग (ओपीडी) में हर माह लगभग 1200 (नये व पुराने) तनाव ग्रस्त मरीजों का इलाज किया जाता है. इसमें छात्र-छात्राओं की संख्या छह प्रतिशत, 30 प्रतिशत अधिकारी व 30 प्रतिशत कर्मचारी वर्ग, 10 प्रतिशत व्यवसायी व कामकाजी, 20 प्रतिशत नव दंपती शामिल हैं. लगभग चार प्रतिशत वैसे इलाज के लिए दाखिल होते हैं. इसमें कई मरीज ऐसे हैं, जिन्हें बाहर के अस्पतालों में भी भेजना पड़ता है.क्या कहते हैं मनोचिकित्सक व काउंसलर
किसी बात से परेशान, आहत या दुखी होकर, व्यक्ति का मन से गहन उदास होना ही तनाव है. तनाव मन से संबंधित है. तनाव एक तरह का द्वंद है, जो संतुलन व सामंजस्य न बैठा पाने के कारण होता है. जो व्यक्ति तनाव से ग्रसित होता है. उसका मन अशांत हो जाता है. भावनाएं स्थिर नहीं रह पातीं. ऐसी स्थिति में हमें अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए तनावग्रस्त व्यक्ति से हमदर्दी रखते हुए वजह जानने का प्रयास करना चाहिए.डॉ प्रशांत मिश्र,
मनोचिकित्सक, सदर अस्पताल, बोकारोतनावग्रस्त व्यक्ति के लिए सही व गलत का फैसला करना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में संबंधित व्यक्ति की शारीरिक व मानिसक दोनों ही स्थिति प्रतिदिन खराब होती जाती हैं. तनावग्रस्त व्यक्ति के मन की बातों को धैर्य पूर्वक सुनने की जरूरत है. उसी के अनुसार समस्याओं को समझने की जरूरत है. जब हम उनकी पूरी बातों को नहीं समझेंगे, तभी समाधान करने का प्रयास भी संभव हो पायेगा.