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Exclusive News : रांची के चुटूपालू घाटी में मिट रहा पहाड़ों का अस्तित्व जहां 150 फीट ऊंचे पहाड़ थे, वहां अब हैं गहरे गड्ढे

क्रशर की धूल ने जंगलों की हरियाली छीन ली है. दर्जनों क्रशर से जो पत्थर के कण उड़ते हैं, उससे आसपास के कई एकड़ खेतीवाली जमीन बंजर हो गयी है.

चुटूपालू घाटी के पहाड़ गायब हो रहे हैं. जहां पहाड़ थे, वहां अब गहरे गड्ढे हैं. इस पूरे इलाके में धड़ल्ले से अवैध पत्थर खनन का काम हो रहा है. कहने को यहां कुछ लोगों को खनन पट्टे दिये गये हैं, लेकिन इनकी आड़ में यहां बेतरतीब अवैध खनन का काम जारी है. जहां पहाड़ों की ऊंचाई 150 फीट से भी ज्यादा होती थी, वहां आज गहरी खाई बन गयी है, जिसमें पानी भरा हुआ नजर आता है. अवैध क्रशर, खदान के संचालन से सरकार को राजस्व में करोड़ों का चूना लगाया जा रहा है.

पर्यावरण पर पड़ा रहा दुष्प्रभाव

इसका पर्यावरण और जनजीवन पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है. कई एकड़ जमीन बंजर हो गयी है. जंगल की हरियाली खत्म हो रही है. पहाड़ गड्ढों में तब्दील हो रहे हैं. यहां तक कि चुटूपालू घाटी स्थित अमर शहीद टिकैत उमराव सिंह शेख भिखारी का शहादत स्थल भी अब खतरे में है. अवैध पत्थर खदानों व क्रशरों के कारण पूरे इलाके का जलस्तर दिनों-दिन घटता चला जा रहा है.पूरे ओरमांझी अंचल में पत्थर लघु खनिज के 17 खनन पट्टे स्वीकृत हैं. सरकारी रिकॉर्ड में इनमें से अभी 12 वैध रूप से कार्यरत हैं. इलाके में पत्थर लघु खनिज के 39 खनिज विक्रेता निबंधित हैं. लेकिन सच्चाई यह है कि सिर्फ चुटूपालू घाटी के इलाके में ही दर्जनों पत्थर खदान व क्रशर चल रहे हैं. खदानों में पत्थर तोड़ने के लिए विस्फोट किये जाते हैं. विस्फोट की आवाज से इलाका थर्रा उठता है. ग्रामीणों के घरों की दीवारें दरक रही हैं. कई घरों की छतों पर पत्थर के टुकड़े गिरते हैं. पूरे इलाके में आम लोग त्रस्त हैं और जन-जीवन प्रभावित हो रहा है. एक समय था जब यहां रंग बिरंगे पक्षी पहाड़ों और जंगलों में चहकते नजर आते थे. अब वे सब गायब हो गये हैं.

क्रशर की धूल के कारण कई गांवों की सैकड़ों एकड़ जमीन हो गयी बंजर

अधिकतर क्रशर जंगलों के किनारे हैं. क्रशर की धूल ने जंगलों की हरियाली छीन ली है. दर्जनों क्रशर से जो पत्थर के कण उड़ते हैं, उससे आसपास के कई एकड़ खेतीवाली जमीन बंजर हो गयी है. जमीन मालिक जब इसका विरोध करते हैं, तो उन्हें पत्थर माफिया धमकी देते हैं या कुछ पैसे देकर मुंह बंद करा दिया जाता है. इससे वहां काम करने वाले मजदूर व गांव के लोग विभिन्न तरह के रोगों से ग्रसित हैं.

क्या पूरा मामला

जानकारी के अनुसार, अधिकतर पत्थर खदानों की लीज अवधि खत्म हो गयी है. कई क्रशर संचालकों के पास कागजात नहीं है. फिर भी क्रशर चल रहे हैं. टास्क फोर्स द्वारा दिखावे के लिए कभी-कभी कार्रवाई की जाती है. चढ़ावा देने पर मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है. बिजली विभाग द्वारा बिजली कनेक्शन काट दी जाती है, फिर कनेक्शन जोड़ भी दिया जाता है. थाने में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद कुछ दिन क्रशर बंद रहते हैं, फिर वह चालू हो जाते हैं. यह सिलसिला अनवरत जारी रहता है. इतने बड़े पैमाने पर अवैध माइनिंग विभाग के अधिकारियों व स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव ही नहीं है.

क्या कहते हैं सीओ

ओरमांझी के सीओ नितिन शुभम गुप्ता ने कहा कि जो भी अवैध खदान, क्रशर चल रहे हैं उस पर जिला खनन पदाधिकारी को कार्रवाई करनी चाहिए. चुनाव के बाद हम जांच कर कार्रवाई करेंगे.

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