Hanuman Jayanti 2024 : भारतीय जन समाज में जिस प्रकार एक वर्ष में दो नवरात्र, दो सूर्यषष्ठी पर्व, दो चित्रांश महोत्सव, दो बीहू उत्सव की परपंरा रही है, ठीक उसी प्रकार शक्तिपुंज, विघ्न विनाशक, वीरों के वीर हनुमान जी की जयंती वर्ष में दो बार मनायी जाती है. कार्तिक कृष्ण पक्ष नरक चतुर्दशी (धन्वंतरी जयंती) के दिन हनुमान जयंती मनायी जाती है, तो चैत्र पूर्णिमा के दिन भी श्री हनुमान जयंती शास्त्रानुसार मनाने की परंपरा है.
डॉ राकेश कुमार सिन्हा ‘रवि’
अजर-अमर देवता हनुमान जी की नित्य पूजा प्रत्येक दिन भारतवर्ष सहित संसार के कितने ही देशों में की जाती है. हरेक वर्ष दोनों हनुमान जयंती, रामनवमी, शारदीय व वासंतिक नवरात्र के साथ गुरु पूर्णिमा में रामभक्त हनुमान की विशेष रूप से की जाती है. कई अर्थों में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की शक्ति हैं हनुमान, तो भारत देश में भक्ति का सेतु हैं हनुमान.
भक्तराज, वीरों के वीर, अंजनी पुत्र, राम भक्त व कलियुग के जाग्रत देव हनुमान के कितनी ही उपनाम हैं और आज भी कठिन से कठिन कार्य करने वाले इनके नाम का शुभ स्मरण किया करते हैं. श्री हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, सुंदर कांड सहित कितने ही मंत्र और स्रोत देव श्रीहनुमान के नाम समर्पित हैं, पर धर्मज्ञों का मानना है कि हनुमान जी द्वादश नामावली से सर्वाधिक कृपा बरसाते हैं.
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द्वादश नाम के स्मरण से सभी कष्ट व भय होते हैं दूर
भारतीय वांग्ड्मय में देवी-देवताओं के प्रायश: द्वादश नाम का स्त्रोत ज्ञात होता है, पर समस्त देवी-देवताओं के मध्य हनुमान जी के द्वादश नाम का माला बड़ा ही महत्वपूर्ण है. ऐसे तो हनुमान जी के अष्टादश नाम, शतनाम, सहस्त्रनाम, शत सहस्त्रनामादि हैं, पर इन सबों के बीच द्वादश नाम का अधिक महत्व है. भक्तराज हनुमान के संदर्भ में श्री आनंद रामायण (8/13/ 8 -11) में अंकित है कि हनुमान, अंजनी सुनु (माता अंजनी के पुत्र), वायु पुत्र (पवन देव के पुत्र), महाबल (अति बलशाली), रामेष्ट (श्रीराम जी के प्रिय), फाल्गुन सखा (अर्जुन के मित्र), पिंड्गलाक्ष (भूरे नेत्र वाले), अमित विक्रम (अति यश:कायी), उदधिक्रमण (समुद्र को लांघने वाले), सीता शोक विनाशक (सीता के शोक का नाश करने वाले), लक्ष्मण प्राणदाता (संजीवनी प्रदान कर लक्ष्मणजी को जीवित करने वाले) व दशग्रीवस्य दर्पहा (रावण की घमंड को दूर करने वाले) हनुमान के यही बारह नाम हैं. यदि शयन काल, दिवस उदय काल, युद्ध के मैदान में, राज दरबार में, संकट के समय और यात्रा के समय इन नामों का स्मरण, उच्चारण करें, तो समस्त कष्ट, बाधा व भय दूर हो कार्य सफलतापूर्वक संपन्न हो जाते हैं.
देशभर में हनुमान जी के कई हैं अद्भुत तीर्थ स्थल
संपूर्ण देश में रामायण काल से लेकर आज तक देव श्री हनुमान की पूजा निर्बाध रूप से होती चली आ रही है. भारतवर्ष में ढाई इंच से लेकर ढाई सौ फीट ऊंचाई के हनुमान जी विराजमान हैं. हनुमान के अद्भुत तीर्थ स्थानों की भी कोई कमी नहीं. इनमें प्रयागराज के संगमस्थ लेटे हुए हनुमान, घाटा मेंहदीपुर के बालाजी, हनुमान गढ़ी (अयोध्या) के हनुमान, द्वारिका के हनुमान देव मंदिर, हनुमान वाटिका (राउरकेला) के हनुमान, सांवरे इंदौर के उल्टे हनुमान, वाराणसी के संकट मोचन, दाढ़ी मूछ युक्त सालासर के बालाजी हनुमान, सारंगपुर के हनुमान, चित्रकूट के हनुमान धारा के हनुमान, उज्जैन का मंगल हनुमान, देवघर का रूद्रावतार हनुमान, जयपुर के दक्षिण मुखी बालाजी, रतनपुर बिलासपुर के महिमामय हनुमान, हरिद्वार के सिद्धिप्रद हनुमान, गया विष्णुपद के दक्षिणमुखी श्रीपंचमुखी हनुमान, रामेश्वरम के हनुमान तीर्थ, हम्पी (कर्नाटक) के यंत्रोद्धार हनुमान, पुणे के डुल्या मारुति हनुमान, पटना का महावीर मंदिर, कुंभकोणम के पंचमुखी हनुमान, छत्तीसगढ़ के गिरजावंश हनुमान, मकरध्वज हनुमान, प्रियाल अंजनेय मंदिर, अलीगंज का हनुमान मंदिर, नासिक के काले हनुमान मंदिर, जाखू हनुमान मंदिर, जामनगर बालाजी हनुमान मंदिर, कर्माघाट हनुमान मंदिर आदि का विशेष मान है.
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भारत देश में उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूरब से लेकर पश्चिम तक ऐसा कोई गांव अथवा शहर नहीं, जहां श्री हनुमान जी का स्थान न हो. हनुमान जी का पुण्य-प्रताप देखें कि इन्हें जन-जन का देवता कहा गया है. कई अर्थों में हनुमान जी सभी शरणागत के कार्य बनाने वाले हैं और ऐसे में इनके द्वादश नाम त्वरित फलदायी व बेहद उपयोगी माने गये हैं. भक्तों का अखंड विश्वास है कि हनुमान के चरण-शरण में सभी का कल्याण सहज में हो जाता है. तभी तो हनुमान जी को महा कल्याणकारी कहा गया है.