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जिले में बगैर माइनिंग प्लान के ही खेतों से हो रही मिट्टी की कटाई

जिले में बगैर माइनिंग प्लान लिये मिट्टी व्यवसाय से जुड़े हुए लोग खेतों से मिट्टी की कटाई धड़ल्ले से कर रहे हैं. इसे ऊंचे दामों पर बिक्री कर रहे हैं.

जहानाबाद. जिले में बगैर माइनिंग प्लान लिये मिट्टी व्यवसाय से जुड़े हुए लोग खेतों से मिट्टी की कटाई धड़ल्ले से कर रहे हैं. इसे ऊंचे दामों पर बिक्री कर रहे हैं. मिट्टी व्यवसाय से जुड़े हुए जिले में सैकड़ों लोगों की संख्या है, जो शहरी क्षेत्र के साथ-साथ ग्रामीण इलाके में भी मिट्टी का व्यवसाय कर रहे हैं और उनके द्वारा खेत हो या पइन, या आहर हो. जब भी मौका मिल रहा है मिट्टी की कटाई कर ले रहे हैं. यहां तक कि नदी तट की भी कटाई कर मिट्टी की बिक्री कर रहे हैं. इसके लिए मिट्टी व्यवसाय से जुड़े हुए लोग खनन विभाग द्वारा माइनिंग प्लान लेना भी मुनासिब नहीं समझ रहे हैं जिसको जहां मौका मिल रहा है, मिट्टी के खेतों से कटाई कर बिक्री कर रहे हैं. मिट्टी व्यवसाय से जुड़े हुए लोग बाजार में ऊंचे दामों पर मिट्टी की बिक्री कर रहे हैं. बाजार में वर्तमान समय में 600 से लेकर 900 रुपये प्रति ट्रैक्टर मिट्टी की बिक्री हो रही है. खासकर मकान बनाने के लिए भराई करने में रेत की मिट्टी की आवश्यकता अधिक रहती है. इसलिए मिट्टी व्यवसाय से जुड़े हुए लोग इस मिट्टी का दाम अधिक किये हुए हैं और बाजार में 900 रुपये प्रति ट्रैक्टर बिक्री कर रहे हैं. वहीं, जमीन की भराई करने के लिए 600 रुपये ट्रैक्टर मिट्टी की बिक्री की जा रही है. शहरी क्षेत्र में रोजाना सैकड़ों ट्रैक्टर मिट्टी लदे हुए आते हैं और अपने गंतव्य स्थान पर गिरा कर चला जाता है, लेकिन प्रशासन द्वारा कहीं भी रोक-टोक नहीं की जाती है. मिट्टी व्यवसाय से जुड़े हुए लोग बाजार में ऊंचे दामों पर मिट्टी की बिक्री कर रहे हैं. बाजार में वर्तमान समय में 600 से लेकर 900 रुपये प्रति ट्रैक्टर मिट्टी की बिक्री हो रही है. खासकर मकान बनाने के लिए भराई करने में रेत की मिट्टी की आवश्यकता अधिक रहती है. इसलिए मिट्टी व्यवसाय से जुड़े हुए लोग इस मिट्टी का दाम अधिक किये हुए हैं और बाजार में 900 रुपये प्रति ट्रैक्टर बिक्री कर रहे हैं. वहीं, जमीन की भराई करने के लिए 600 रुपये ट्रैक्टर मिट्टी की बिक्री की जा रही है. शहरी क्षेत्र में रोजाना सैकड़ों ट्रैक्टर मिट्टी लदे हुए आते हैं और अपने गंतव्य स्थान पर गिरा कर चला जाता है, लेकिन प्रशासन द्वारा कहीं भी रोक-टोक नहीं की जाती है. इस व्यवसाय से जुड़े हुए व्यक्ति को सबसे पहले जिस जमीन से मिट्टी की कटाई करनी होती है, जमीन मालिक के साथ एग्रीमेंट करना होता है. एग्रीमेंट का पेपर खनन विभाग में जमा किया जाता है और रॉयल्टी टैक्स जमा किया जाता है. रॉयल्टी टैक्स जमा होने के बाद ही खनन विभाग द्वारा उन्हें मिट्टी की कटाई करने के लिए माइनिंग प्लान का लाइसेंस दिया जाता है, तब जाकर वह मिट्टी की कटाई कर खरीद-बिक्री कर सकते हैं. जिले में इक्का-दुक्का लोग को छोड़ कर कोई भी व्यक्ति खनन विभाग में माइनिंग का प्लान लेना मुनासिब नहीं समझते हैं, यहां तक कि ईंट भट्ठा के संचालक द्वारा भी मिट्टी की कटाई की जाती है, लेकिन माइनिंग प्लान नहीं लिया जाता है, जबकि नियम के अनुसार उन्हें भी मिट्टी की कटाई करने के लिए माइनिंग प्लान लेना अतिआवश्यक रहता है.

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