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Lok Sabha Election 2024: दूसरे चरण में मुद्दों पर जातीय समीकरण हावी, हर सीट पर कांटे की टक्कर…

लोकसभा के दूसरे चरण के चुनाव से पहले नेताओं की जुबानी तल्खियों खूब चर्चा में रही. सबसे ज्यादा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लालू प्रसाद के बेटे-बेटियों की संख्या को लेकर दिया गया बयान सुर्खियों में रहा.

मनोज कुमार, पटना

Lok Sabha Election 2024 राज्य में दूसरे चरण की पांच लोकसभा सीट बांका, भागलपुर, कटिहार, किशनगंज और पूर्णिया में 26 अप्रैल को वोट डाले जायेंगे. पांचों सीटों पर एनडीए की ओर से जदयू के उम्मीदवार मैदान में हैं. भाजपा और लोजपा का प्रत्याशी दूसरे चरण में नहीं है. वहीं, इंडिया से राजद व कांग्रेस के प्रत्याशी चुनावी समर में हैं. किशनगंज को छोड़कर शेष चार सीटें अभी जदयू के कब्जे में है. जदयू के सामने सीटों को बरकरार रखने की चुनौती हाेगी. पहले चरण में कम वोटिंग हुई है. कम मतदान से किसको फायदा, किसको नुकसान, इसका हिसाब अभी लगाया जा रहा है. मगर, कम वोटिंग से राजनीतिक दल और दूसरे चरण के प्रत्याशी अलर्ट हैं. आधार व समर्थक वोटों को बूथ तक लाने की रणनीति बनायी जा रही है. जीत-हार में यह अहम फैक्टर होगा.

तल्ख बयानों से चढ़ा राजनीतिक पारापहले चरण में गया, नवादा, जमुई व औरंगाबाद में चुनावी शोर कम सुनाई दिया. मगर, दूसरे चरण में राजनीतिक दलों की तल्ख टिप्पणियों से राजनीतिक पारा उफान पर है. राजद से तेजस्वी प्रसाद यादव, रोहिणी आचार्या और भाजपा से उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के बीच जुबानी जंग तेज हो गयी है. भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं ने भी राजद को निशाने पर ले रखा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी एक छोर से मोर्चा संभाले हुए हैं. इससे राजनीतिक माहौल गरम है. पूर्णिया लोकसभा सीट पर सभी की नजरें हैं. पांचों लोकसभा क्षेत्रों में मुद्दों पर जातीय समीकरण हावी है. भीषण गर्मी की आशंका के बीच अगले कुछ घंटे बाद पांच सीटों पर होने वाला मतदान बिहार में लोकसभा चुनाव का रूख तय करेगा. जदयू की राजनीतिक ताकत का गणित भी इस चुनाव से जुड़ा है. कुल मिलाकर दूसरे चरण का चुनाव बिहार में अगले तीन फेज के चुनाव की दशा-दिशा तय करेगा.

भागलपुर में अगड़ा बनाम पिछड़ा की सियासत

भागलपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस के अजीत शर्मा और जदयू के अजय कुमार मंडल आमने-सामने हैं. इस सीट पर जदयू के अजय मंडल का अभी कब्जा है. यहां मुख्य मुकाबला इन दोनों के बीच ही बताया जा रहा है. इस सीट से कुल 12 प्रत्याशी मैदान में हैं. यहां की राजनीति में यादव, मुस्लिम व गंगोता समाज का जबरदस्त दखल है. वैश्य, कुशवाहा, कुर्मी और सवर्ण मतदाता भी प्रभावी संख्या में हैं. भूमिहार की संख्या भी यहां एक लाख 80 हजार और गंगोता दो लाख के आसपास हैं. अजय मंडल गंगोता व अजीत शर्मा भूमिहार जाति से हैं. यहां जीत-हार का मुख्य फैक्टर दलों के आधार मतों को साधना और जाति के वोट को गोलबंद रखना बताया जा रहा है.

बांका: दो यादवों में टक्कर, अति पिछड़ा, कुर्मी, कोइरी व दलित अहम फैक्टर

बांका में जदयू से गिरधारी यादव और राजद से जयप्रकाश नारायण यादव मैदान में हैं. इन दोनों के बीच ही मुख्य मुकाबला है. बांका सीट भी जदयू के कब्जे में है. यहां कुल दस उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. जातीय गोलबंदी यहां जबरदस्त तरीके से होती है. पिछले चुनाव में गिरधारी यादव ने जयप्रकाश नारायण यादव को दो लाख वोटों से हराया था. यादव बाहुल्य इस सीट पर अकेले यादव मतदाता तीन लाख के करीब हैं. जबकि राजपूत, ब्राह्माण, भूमिहार और कायस्थ की संख्या भी तीन लाख के आसपास है. बड़ी संख्या में अति पिछड़ी जाति के मतदाता हैं. मुसलमान, महादलित, कुर्मी, कोईरी व अति पिछड़े वोटर भी बड़ी संख्या में हैं. दोनों पार्टियों से यादव उम्मीदवार ही मैदान में हैं. मुसलमान, महादलित व अति पिछड़े वोटर यहां अहम फैक्टर हैं. इनकी गोलबंदी यहां की सियासत को प्रभावित करेगी.

कटिहार में एमवाइ समीकरण हावी, नीतीश पर दारोमदार

कटिहार में कांग्रेस से तारिक अनवर और जदयू से दुलालचंद्र गोस्वामी मैदान में हैं. इन दोनों के बीच मुख्य मुकाबला है. यहां से कुल नौ उम्मीदवार मैदान में हैं. कटिहार सीट भी जदयू के कब्जे में है. पिछली बार यहां 57 हजार मतों से दुलालचंद्र गोस्वामी चुनाव जीतने में सफल रहे. इस सीट पर एमवाइ समीकरण हावी रहने के इस बार भी आसार हैं. बताया जा रहा है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अपील पर अति पिछड़े और मुस्लिम वोटरों ने पिछली बार जदयू को वोट किया था. इससे कड़ी टक्कर के बीच जदयू प्रत्याशी जीतने में सफल रहे थे. इस बार भी जदयू प्रत्याशी को नीतीश कुमार के सहारे मुस्लिम और अति पिछड़े वोटरों का आसरा है.

किशनगंज: कांग्रेस-जदयू की भिड़ंत, एआइएमआइएम का भी दखल

किशनगंज सीट कांग्रेस के कब्जे में है. यहां से 12 प्रत्याशी मैदान में हैं. यहां कांग्रेस से मो. जावेद और जदयू से मुजाहिद आलम चुनाव मैदान में हैं. ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम से अख्तरूल ईमान भी चुनाव लड़ रहे हैं. कांग्रेस की यह सबसे मजबूत सीट मानी जाती है. देश में मोदी लहर के बाद भी यहां कांग्रेस ने जीत बरकरार रखी थी. बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से एकमात्र किशनगंज सीट पर इंडिया गठबंधन का कब्जा है. किशनगंज में 75 फीसदी आबादी मुस्लिम है. गैर मुस्लिम में यादव, सहनी, शर्मा, दलित, ब्राह्मण व आदिवासी भी हैं. मगर, मुस्लिम मतदाताओं का वोट ही निर्णायक होता है. एआइएमआइएम का दखल भी यहां लगातार बढ़ा है.

पूर्णिया: पप्पू यादव के कारण मुकाबला हुआ दिलचस्प

पूर्णिया लोकसभा सीट काफी सुर्खियों में है. पप्पू यादव ने अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में किया. मगर, यह सीट समझौते में राजद को चली गयी. राजद ने भी यहां से जदयू की बागी विधायक बीमा भारती को मैदान में उतार दिया. पप्पू यादव यहां से निर्दलीय मैदान में हैं. यह सीट अभी जदयू के कब्जे में हैं. यहां से जदयू से संतोष कुशवाहा चुनाव लड़ रहे हैं. इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले के आसार हैं. यहां राजद नेताओं ने डेरा डाल रखा है. तेजस्वी यादव धुआंधार प्रचार कर रहे हैं. राजद के एमवाइ समीकरण को बरकरार रखने पर राजद का फोकस है. जानकार बताते हैं कि राजद यहां हर कीमत पर पप्पू यादव की हार चाहता है.

दूसरे चरण में नेताओं की जुबानी तल्खियां बढ़ीं

दूसरे चरण में नेताओं की जुबानी तल्खियों की भी खूब चर्चा रही. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लालू प्रसाद के बेटे-बेटियों की संख्या को लेकर दिया गया बयान सुर्खियों में रहा. डॉ भीमराव आंबेडकर व सुभाषचंद्र बोस के भाई-बहनों की संख्या गिनाकर तेजस्वी यादव का पलटवार भी काफी चर्चा में रहा. बिहार के उपमुख्यमंत्री व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी के पिता को लेकर रोहिणी आचार्या के बयान पर सियासी तूफान मचा. पूर्णिया में किसी संदर्भ में तेजस्वी यादव की ओर से इंडिया को वोट नहीं देने पर एनडीए को वोट देने की बात पर भी खूब सियायी जोड़-घटाव किये गये.कुल 50 प्रत्याशी, तीन महिला व चार आदिवासी भी मैदान मेंपांचों लोकसभा सीट से कुल 50 प्रत्याशी मैदान में हैं. इनमें तीन महिलाएं और चार आदिवासी प्रत्याशी भी मैदान में हैं. इसमें सात साक्षर, चार आठवीं पास, पांच दसवीं और सात 12वीं पास हैं. 11 स्नातक, पांच स्नातक प्रोफेशनल, नौ पोस्ट ग्रेजुएट तथा एक डॉक्टरेट व एक डिप्लोमाधारी प्रत्याशी मैदान में हैं.

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