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Lok Sabha Chunav: भागलपुर और बांका में क्या है जीत-हार का फैक्टर? जातीय गोलबंदी का यहां जानिए प्रभाव..

भागलपुर और बांका संसदीय सीट पर जानिए हार-जीत का क्या है फैक्टर. जातीय गोलबंदी का जानिए प्रभाव..

Lok Sabha Chunav: बिहार में दूसरे चरण की पांच लोकसभा सीटों पर मतदान होना है. 26 अप्रैल को भागलपुर और बांका संसदीय सीटों पर भी वोट डाले जाएंगे. दोनों जगह एनडीए और महागठबंधन में सीधी टक्कर की संभावना है. दूसरे चरण के मतदान के लिए प्रचार का शोर अब थम चुका है. अब मतदान की बारी है और वोटर अपने मतों से उम्मीदवारों का भविष्य शुक्रवार को तय कर देंगे. दोनों सीटों पर अभी जदयू के मौजूदा सांसद मैदान में हैं. जबकि आरजेडी और कांग्रेस के उम्मीदवार एक-एक सीट पर महागठबंधन की ओर से मुकाबले में हैं.

भागलपुर और बांका की लड़ाई

भागलपुर और बांका संसदीय सीट पर इस बार किसका कब्जा होगा. इसकी चर्चा दोनों जिलों के वोटरों के बीच भी है. दोनों सीटों पर मौजूदा सांसद को ही जदयू ने फिर एकबार मौका दिया है. भागलपुर की बात करें तो अजय मंडल मैदान में है और महागठबंधन की ओर से कांग्रेस उम्मीदवार अजीत शर्मा मुकाबले में हैं. अजीत शर्मा भागलपुर विधानसभा के विधायक हैं. यहां कुल 12 उम्मीदवार मैदान में हैं. हालांकि कांग्रेस और जदयू उम्मीदवार के बीच ही आमने-सामने की टक्कर दिख रही है. वहीं बांका में जदयू से गिरधारी यादव और राजद से जयप्रकाश नारायण यादव के बीच सीधा मुकाबला दिख रहा है.

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भागलपुर में जीत-हार का मुख्य फैक्टर

भागलपुर में जदयू के अजय मंडल एनडीए के प्रत्याशी हैं. कांग्रेस ने अजीत शर्मा को मैदान में उतारा है. इस सीट की राजनीति में गंगोता, मुस्लिम और यादव वोटरों की बड़ी भूमिका रहती है. भूमिहार वोटर यहां एक लाख 80 हजार के करीब हैं जबकि गंगोता वोटर दो लाख के आसपास हैं. एनडीए उम्मीदवार अजय मंडल गंगोता जाति से ताल्लुक रखते हैं जबकि कांग्रेस उम्मीदवार अजीत शर्मा भूमिहार बिरादरी से आते हैं. यहां जीत हार का मुख्य फैक्टर दलों के आधार पर मतों को साधना और जाति के वोट को गोलबंद रखना बताया जा रहा है.

बांका में यादव वोटरों को साधने की कोशिश..

बांका में जदयू के गिरधारी यादव और राजद के जयप्रकाश नारायण यादव आमने-सामने होंगे. बांका यादव बाहुल्य सीट है. अभी 10 उम्मीदवार यहां से अपना भाग्य आजमा रहे हैं. पिछले चुनाव की बात करें तो जदयू के गिरधारी यादव ने राजद के जयप्रकाश नारायण यादव को दो लाख वोटों से हरा दिया था. इस सीट की बात करें तो तीन लाख के करीब यहां यादव वोटर हैं. राजपूत, ब्राह्मण, भूमिहार और कायस्थ भी तीन लाख के आसपास हैं. अति पिछड़ी जाति के मतदाता यहां बड़ी संख्या में हैं. मुसलमान, कोईरी, महादलित और कुर्मी वोटर भी यहां बड़ी संख्या में हैं. यादव वोटरों की बाहुल्यता देखते हुए दोनों दलों ने यादव उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. मुसलमान, महादलित और अति पिछड़े वोटर यहां बड़ी भूमिका निभाएंगे.

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