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बिहार के गौरैया मैन संजय कुमार बोले, प्लास्टिक को रोजमर्रा की जिंदगी से निकालें बाहर, पक्षियों के लिए करें दाना-पानी की व्यवस्था

बिहार के गौरैया मैन के नाम से मशहूर संजय कुमार ने कहा कि प्लास्टिक को रोजमर्रा की जिंदगी से बाहर निकालें. इसके साथ ही पक्षियों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था घरों में करें.

रांची: बिहार में गौरैया मैन के नाम से प्रसिद्ध व केंद्रीय संचार ब्यूरो (पटना) में उपनिदेशक संजय कुमार ने कहा कि प्लास्टिक का इस्तेमाल इसी प्रकार बढ़ता रहा तो आने वाले दिनों में पृथ्वी का तापमान तीन गुना बढ़ जाएगा. लू से बचाव, जलवायु परिवर्तन, जल या पर्यावरण संरक्षण को लेकर प्लास्टिक को अपने दैनिक जीवन से पूरी तरह बाहर करें. वे गुरुवार को केंद्रीय संचार ब्यूरो, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय व रांची के मिल्लत एकेडमी स्कूल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में बोल रहे थे. ‘बढ़ते तापमान और जीव-जंतुओं के महत्व’ पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. उन्होंने कहा कि पहले मिट्टी या खपड़े के मकान व हाथ-पंखे व घड़े के पानी के दौर से निकलकर हम पक्के मकान व फ्रीज एवं एयर कंडीशन के दौर में पहुंच चुके हैं. तेजी से उद्योग और प्लास्टिक उत्पादन से कार्बन का उत्सर्जन बढ़ता जा रहा है. ऐसे कई कारण हैं, जिससे पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है.

पक्षियों के लिए घरों में दाना-पानी की व्यवस्था करें
गौरैया मैन के नाम से मशहूर संजय कुमार ने कहा कि समुद्र पर प्लास्टिक के कचरे से भरते जा रहे हैं. एक वक्त आएगा कि मछलियां विलुप्त हो जाएंगी. बढ़ते तापमान की विनाशलीला पर संजय कुमार ने मार्मिक संस्मरण पेश किया. गर्मी की दोपहर में अचानक एक चिड़िया उनके फ्लैट के अंदर आकर जोर जोर से चीं-चीं करने लगी. उन्होंने देखा कि वह गौरैया पानी के बेसिन के निकट अपना मुंह खोले प्यास की मुद्रा में इधर-उधर जा रही है. उन्होंने बेसिन खोलकर चिड़िया को पानी पिलाया‌ और वह उड़ गयी. उन्होंने लोगों से खासकर बच्चों से अपील की कि वे अपने घरों में पक्षियों के लिए पानी और दाने की व्यवस्था करें. अपने आसपास ऐसे पेड़-पौधे लगाएं, जिसमें पक्षी अपना ठिकाना बना सकें. इसके लिए उन्होंने मालती के पौधे और बैगनबेलिया का विशेष रूप से उल्लेख किया. घर में बचे हुए खाने को कूड़ेदान में फेंकने की जगह पर पक्षियों एवं अन्य जंतुओं को खिलाने की व्यवस्था करें.

कौन हैं संजय कुमार
संजय कुमार गौरैया संरक्षण में 2007 से ही सक्रिय‌ हैं. वे राष्ट्रीय व स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में विविध विषयों खासकर मीडिया, वंचित वर्ग, सामाजिक सरोकर, पर्यावरण एवं जीव-जंतु संरक्षण के मुद्दे को लेकर लगातार लिखते रहते हैं. उनकी अब तक 14 पुस्तकें प्रकाशित‌‌ हो चुकी हैं. इसमें तीन किताबें गौरैया संरक्षण पर हैं. उन्हें कई महत्वपूर्ण अवार्ड्स से भी सम्मानित किया गया है.

पर्यावरण व पशु-पक्षी संरक्षण के लिए करेंगे प्रयास
मिल्लत एकेडमी स्कूल की प्रिंसिपल सबीहा बानो ने कहा कि हमारे परिवेश में पशु-पक्षी व हरियाली सकारात्मक ऊर्जा के महत्वपूर्ण स्रोत हैं. उन्होंने कहा कि आज हम सभी वादा करते हैं कि पर्यावरण व पशु-पक्षी संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास करेंगे.

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