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मुंगेर शहर में लगभग 3000 दुकान व प्रतिष्ठान, मात्र 219 दुकानदारों को ट्रेड लाइसेंस . निगम को लाखों के राजस्व की क्षति

बिना ट्रेड लाइसेंस के शहर में संचालित हो रही अधिकांश दुकान, निगम को लाखों के राजस्व की क्षति. प्रतिनिधि, मुंगेर . नगर निगम क्षेत्र में स्थायी छोटे, मध्यम

बिना ट्रेड लाइसेंस के शहर में संचालित हो रही अधिकांश दुकान, निगम को लाखों के राजस्व की क्षति. प्रतिनिधि, मुंगेर . नगर निगम क्षेत्र में स्थायी छोटे, मध्यम व बड़े कारोबारियों को व्यापार के लिए ट्रेड लाइसेंस लेना जरूरी है. लेकिन मुंगेर नगर निगम क्षेत्र के अधिकांश कारोबारी बिना ट्रेड लाइसेंस के ही शहर में कारोबार कर रहे हैं. दुकानदारों की ऐसी रवैया और नगर निगम पदाधिकारी की उदासीनता के कारण हर साल 30 से 40 लाख रुपये राजस्व की क्षति हो रही है. हद तो यह है निगम के पास यह डाटा तक उपलब्ध नहीं है कि शहर में कितने दुकान व प्रतिष्ठान संचालित हैं.

219 कारोबारियों ने ही कराया ट्रेड लाइसेंस का नवीकरण

निगम क्षेत्र में बिना ट्रेड लाइसेंस के कारोबार करना जुर्म है. इतना ही नहीं जिन्होंने ट्रेड लाइसेंस लिया है उसका हर साल नवीकरण कराना है. एक साथ तीन वर्ष के लिए नवीकरण कारोबारी करवा सकते हैं. ट्रेड लाइसेंस नवीकरण नहीं करने पर जुर्माना का प्रावधान है. लेकिन मुंगेर में आज भी अधिकांश दुकान व प्रतिष्ठान बिना ट्रेड लाइसेंस के ही संचालित हो रही है. निगम के रजिस्टर में मात्र 219 कारोबारी है जिन्होंने ट्रेड लाइसेंस का नवीकरण कराया है. यह आकड़ा कोई एक वित्तीय वर्ष का नहीं है. बल्कि वर्ष 2019 से लेकर अब तक यह आंकड़ा है. जो निगम और दुकानदारों की उदासीनता को दर्शाता है. क्योंकि मुंगेर शहर में 3000 हजार से अधिक छोटा, मध्यम व बड़ा दुकान व प्रतिष्ठान अवैध रूप से बिना ट्रेड लाइसेंस के ही संचालित हो रहा है.

निगम को पता नहीं कि शहर में कितने स्थायी दुकान व प्रतिष्ठान

निगम के पास यह भी डाटा उपलब्ध नहीं है कि मुंगेर शहर में कितना दुकान व प्रतिष्ठान संचालित हो रहा है. जो निगम के पदाधिकारी व कर्मी के लापरवारियों को दर्शाता है. निगम कर्मियों ने बताया कि उनको वर्ष 2019 में इस फाइल का प्रभार मिला है. उससे पहले का कोई डाटा उसके पास नहीं है. नया रजिस्टर तैयार कर ट्रेड लाइसेंस लेने वाले व लाइसेंस नवीकरण कराने वालों का नाम दर्ज किया जा रहा है. अब तक मात्र 219 कारोबारियों ने ट्रेड लाइसेंस का नवीकरण कराया है. जिसमें कई ऐसे कारोबारी है जिन्होंने निर्धारित फीस जमा कर तीन-तीन साल के लिए लाइसेंस नवीकरण कराया है. विदित हो कि ट्रेड लाइसेंस की फाइल 2019 से पूर्व वहां के कर्मी अमित कुमार संधारित करते है. जब उनसे यह फाइल लेकर दूसरे को दिया गया तो उन्होंने प्रभार भी नहीं दिया कि शहर में कितना दुकानदार है, किसने नवीकरण कराया अथवा किसने ट्रेड लाइसेंस के लिए आवेदन दिया. विदित हो कि अमित कुमार अब निगम से सेवानिवृत हो चुके है.

निगम को लाखों रुपये राजस्व का हो रहा नुकसान

एक और निगम आंतरिक संसाधनों से अपना राजस्व बढ़ाने का प्रयास कर रही है, वहीं ट्रेड लाइसेंस से मिलने वाले राजस्व के प्रति ध्यान ही नहीं दे रहे है. वर्तमान समय में निगम प्रशासन द्वारा 1 से 10 लाख की प्रतिवर्ष कारोबार करने वाले कारोबारियों को मात्र 1000 रुपये देना पड़ता है. मुंगेर शहर में प्रतिवर्ष इतनी आय प्राप्त करने वाले दुकान व प्रतिष्ठान की संख्या कम से कम 3000 आवश्य होगी. यानी 30 लाख का प्रतिवर्ष ऐसे दुकानदार निगम को राजस्व की क्षति दे रहे है. इतना ही नहीं 10 लाख से ऊपर की कमाई करने वाले दुकानों की संख्या कम से कम 500 जरूर होगी. जिससे निगम को 12 लाख 50 हजार रुपये राजस्व प्राप्त होता. क्योंकि बाजार में हर वर्ष दर्जनों की संख्या में बड़े-बड़े दुकान व प्रतिष्ठान खुल रहे है. कम से कम आंकड़ा दर्शाना के बाद भी मुंगेर नगर निगम को प्रतिवर्ष 30 से 40 लाख रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है.

कहते है नगर आयुक्त

नगर आयुक्त निखिल धनराज ने कहा कि छोटे, मध्यम और बड़े सभी प्रकार के दुकान व प्रतिष्ठान संचालित करने वालों को हर हाल में निगम से ट्रेड लाइसेंस लेना अनिवार्य है. नहीं लेने पर एवं नवीकरण नहीं कराने पर जुर्माने का प्रावधान है. उन्होंने कहा कि ट्रेड लाइसेंस नवीकरण की जो स्थिति है वह चिंताजनक है. शीघ्र ही शहर में सर्वे कराया जायेगा कि यहां कितना दुकान व प्रतिष्ठान संचालित है. जिनके पास ट्रेस लाइसेंस है अथवा नहीं यह भी जांच किया जायेगा. उन्होंने दुकानदारों से आह्वान किया कि हर हाल में आप सभी निगम से ट्रेड लाइसेंस प्राप्त करें.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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