बक्सर. गेहूं की खरीदारी को लेकर जिले के तमाम सरकारी क्रय केन्द्र हांफ रहे हैं. नतीजा यह है कि तमाम कवायद के बावजूद गेहूं की खरीद में तेजी नहीं आ रही है. इसका कारण खुले बाजार में गेहूं का भाव अधिक मिल रहा है. लिहाजा किसान अपने खेत-खलिहानों से ही अपना गेहूं खाद्यान्न व्यापरियों व निजी एजेंसियों को बेच दे रहे हैं. जाहिर है कि सहकारी समितियों के माध्यम से गेहूं की सरकारी खरीद निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,275 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से हो रही है. जबकि व्यापारी किसानों के खेत-खलिहानों से 2,300 से 2,350 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से खरीद रहे हैं. ऐसे में गेहूं की कम कीमत मिलने से किसान सरकारी खरीद में रुचि नहीं दिखा रहे हैं.
अभी तक मात्र 78 एमटी हुई है गेहूं की खरीदारी
राज्य समेत जिले में 15 मार्च से 15 जून तक गेहूं की खरीद करने की समयावधि निर्धारित है. लेकिन अभी तक बक्सर जिला में सरकारी खरीद मात्र 18 किसानों से 78.4500 एमटी हुई है. जिले में चालू खरीफ विपणन मौसम में 20 हजार 143 एमटी खरीद का लक्ष्य तय किया गया है. इसके लिए कुल 135 समितियों को चयन कर गेहूं खरीद की जिम्मेवारी दी गई है. जिसमें 128 पैक्स एवं 07 व्यापार मंडल हैं.
गेहूं खरीदारी का लक्ष्य पूरा करने को लेकर सहकारिता विभाग के पदाधिकारियों पर काफी दबाव है. सो इसके लिए वे तमाम तरह के कसरत कर रहे हैं, परंतु घाटा का सौदा कर किसान सरकारी एजेंसी को गेहूं बेचने में रुचि नहीं ले रहे हैं. जिला सहकारिता पदाधिकारी प्रभाकर कुमार समेत अन्य विभागीय पदाधिकारी भी स्वीकार कर रहे हैं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य से ज्यादा बाजार भाव होने से किसानों द्वारा व्यापारियों व अढ़तियों को ही गेहूं बेचा जा रहा है. हालांकि संबंधित अधिकारी पैक्सों में जाकर गेहूं खरीद की स्थिति का जायजा ले रहे हैं और किसानों को प्रोत्साहित कर रहे हैं.
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