गालूडीह.
घाटशिला वन क्षेत्र के अधीन बड़ाकुर्शी, छोटाकुर्शी, गिधिबिल, आमचुड़िया के 50 हेक्टेयर में काजू जंगल फैला है. अभी काजू के फल लगने लगे हैं. हालांकि कई सालों से काजू वनों की सुरक्षा में वन विभाग फेल है. यहां आग लगने से काजू जंगल बर्बाद हो रहे हैं. पुराने काजू के पेड़ झुलस जाने से उत्पादन में गिरावट आयी है. जानकारी के अनुसार, मार्च-अप्रैल से काजू का मौसम शुरू हो जाता है. काजू के एक मुख्य वनोत्पाद है, जिससे लोगों को रोजगार मिलता है. कई वर्ष पहले से वन विभाग काजू पर वन सुरक्षा समिति गठित कर इसका मालिकाना हक ग्रामीणों को दे चुका है. काजू जंगल की रखवाली ग्रामीण समिति गठित कर करते हैं और इसका फल समिति ही बेचती है. इससे जो आमदनी होती है, उसे गांव के विकास में खर्च किया जाता है और समिति के बैंक खाते में पैसे जमा होते हैं.बारिश के अभाव में काजू उत्पादन कम होने के आसार
इधर, इस वर्ष बारिश के अभाव में काजू का उत्पादन कम होने के आसार हैं. वन सुरक्षा समिति के मुताबिक इस वर्ष काजू के फल कम आये हैं. इसका कारण बारिश का नहीं होना है. काजू के वृक्ष पर फल निकल आये हैं, लेकिन इस वर्ष फलों आकर काफी छोटा है. अप्रैल तक काजू के पेड़ फलों से लद जाते हैं और कुछ दिनों बाद काजू बीज का संग्रह शुरू होगा. काजू बीज का संग्रह वन सुरक्षा समिति द्वारा किया जाता है. ज्ञात हो कि काजू जंगलों की सुरक्षा नहीं हो रही है. काजू के पुराने पेड़ धीरे-धीरे बर्बाद हो रहे हैं. कई बार गर्मियों के मौसम में आग लगने से भी काजू जंगलों को भारी नुकसान हो रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है