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नदी, तालाब और कुओं का पानी सूखा, पानी के लिए हाहाकार

पौराणिक सीतामढ़ी का कुआं भी सूख गया

भूमिगत जलस्तर नीचे जाने से पेयजल समस्या बनी बिकराल फोटो कैप्शन- प्रखंड क्षेत्र का सूखा तालाब – सीतामढी मंदिर क पास बना सूखा हुआ कुंआ प्रतिनिधि, मेसकौर मेसकौर प्रखंड भर के नदी-नाला, तालाब, कुआं, डोभा, तिलैया नदी सहित अन्य जलस्रोत का पानी सूख गया है. चापाकल और बोरिंग का जल स्तर काफी नीचे चला गया है. अच्छे जलस्रोत वाले स्थानों पर बचे पानी से लोग किसी प्रकार बुनियादी जरूरतों को पूरा कर रहे हैं. जानकारी के अनुसार, पानी के लिए शहर से लेकर गांव स्तर तक हाहाकार मचा हुआ है. पेयजल विभाग के अलावा जिले के आला अधिकारी पानी की समस्या दूर करने का भरसक प्रयास कर रहे हैं. परंतु इस पर सफल नहीं हो पा रहे हैं. समस्या से छुटकारा पाने के लिए विभाग की ओर से कई वाटर टैंक व जलमीनार बनाए जाते रहे हैं. परंतु विभागीय लापरवाही व सही देखरेख के अभाव के कारण ऐसे टैंक सफल नहीं हो पाते हैं. नल जल योजना हो रहा फेल ग्रामीण क्षेत्र में पानी की समस्या से छुटकारा पाने के लिए नल जल योजना से सैकड़ो जलमिनार का निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया था.लेकिन जमीन के नीचे लेयर चले जाने के कारण मोटर काम करना बंद कर दिया है. जलस्तर 10 से 15 फुट तक नीचे गया है. नतीजा यह कि वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्र के लोग पानी के लिए तरस रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में लगाये गये कई जलमीनार, सोलर पेयजलापूर्ति सहित चापाकल खराब पड़े हैं. ग्रामीणों द्वारा इसकी मरम्मत के लिए कई बार आवेदन भी दिये जाते रहे हैं परंतु स्थिति जस की तस बनी हुई है. अंत में थक हारकर ग्रामीण चंदा इकट्ठा कर इसकी मरम्मत कराकर पानी पीने योग्य बनाते हैं. वहीं दूसरी ओर सबर्सिबल पर आश्रित रहने वाले किसान भी अपनी फसल को बचाने के लिए काफी प्रयास कर रहे हैं. कहते हैं किसान किसान पपु यादव, रामानंद यादव, अर्जुन यादव, अखिलेश सिंह, श्रीकांत सिंह, अजय सिंह एवं कामता सिंह आदि का कहना है कि खेतों में, तरबूज, ककड़ी, खीरा मिर्च, कद्दू जैसी अन्य फसल लगायी गयी है. बोरिंग में पानी नहीं रहने के कारण फसल को पटवन करने में काफी परेशानी हो रही है. खेतों में जेसीबी के माध्यम से 30 फिट गड्ढा खोदकर फसल को पानी दे रहे हैं. लेकिन भीषण गर्मी में गढ़ा भी सुख गया है. फसल बीमा कराने के बाद भी सरकार की ओर से कुछ लाभ नहीं मिलता है. गर्मी और तेज धूप से लोगों का जीना मुहाल हो गया है. इस स्थिति में पेयजल संकट उत्पन्न होने से स्थिति और गंभीर हो गयी है. लोगों का कहना है की नल जल योजना के तहत पाइपलाइन तो बिछायी, पर हमारे घरों तक पानी नहीं पहुंचता है. स्थानीय सीमा देवी, सुचित्रा देवी, रोमा देवी, मामोनी देवी, बॉबी देवी, गोपाल मांझी, भोला, मंजू व जानकी सहित अन्य ने कहा कि हम लोगों को पानी लाने के लिए एक से दो किलोमीटर जाना पड़ रहा. पानी देने वाला अधिकारी या कर्मचारी अगर मिल जाय तो उसको 20 झाड़ू से कम नहीं मारेंगे।पानी के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है. कभी-कभी पानी के लिए महिलाओं को रात भर संघर्ष करना पड़ता है. पानी का व्यवस्था में करने में ही हमारा पूरा समय बर्बाद हो जाता है. अन्य कार्य के लिए समय ही नहीं मिलता, फिर भी प्रर्याप्त मात्रा में पानी का व्यवस्था नही हो पाती है.

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