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Indian Economy: ग्लोबल इकोनॉमी के लिए कैटेलिस्ट बना भारत, GDP की रफ्तार तेज मगर खाद्य महंगाई बनी टेंशन

Indian Economy: भारतीय वित्त मंत्रालय के द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, अनिश्चित वैश्विक परिस्थितियों के बीच मजबूत वृद्धि, मूल्य स्थिरता और बाहरी क्षेत्र के स्थिर दृष्टिकोण से भारत के आशाजनक आर्थिक प्रदर्शन को समर्थन मिलना जारी है.

Indian Economy: दुनिया में भारत सबसे बड़ा बाजार बनकर उभरा है. आज हर विकसित देश भारत के साथ कारोबार करने के लिए कतार में खड़ा है. बड़ी घरेलू खपत भारत की सबसे बड़ी ताकत है. ऐसे में ग्लोबल इकोनॉमी मंदी से निकलने के लिए भारत को एक कैटेलिस्ट के रुप देख रहा है. भारतीय वित्त मंत्रालय के द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, अनिश्चित वैश्विक परिस्थितियों के बीच मजबूत वृद्धि, मूल्य स्थिरता और बाहरी क्षेत्र के स्थिर दृष्टिकोण से भारत के आशाजनक आर्थिक प्रदर्शन को समर्थन मिलना जारी है. मंत्रालय ने मार्च महीने की आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय संगठनों और रिजर्व बैंक ने भारत के लिए चालू वित्त वर्ष का वृद्धि संबंधी नजरिया सकारात्मक रखा हुआ है और भारत सबसे तेजी से बढ़ रही प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है.

IMF ने बढ़ाया जीडीपी वृद्धि का अनुमान

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने हाल ही में जारी विश्व आर्थिक परिदृश्य (डब्ल्यूईओ) में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि के अनुमान को बढ़ाकर 7.8 प्रतिशत किया है. वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट कहती है कि वैश्विक आर्थिक वृद्धि परिदृश्य एक बार फिर उत्थान की राह पर है. इससे मंदी की आशंकाओं में कमी और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि में तेजी की स्थिति बन रही है. हालांकि वैश्विक स्तर पर तनाव चिंता का विषय बना हुआ है लेकिन हाल के घटनाक्रमों के बावजूद जोखिम धारणाएं फीकी पड़ी हैं. इससे वृद्धि तेज होने की संभावना दिख रही है. वैश्विक आर्थिक वृद्धि में सुधार के बारे में रिपोर्ट कहती है कि प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में यह प्रगति पर है लेकिन असमानताएं बरकरार हैं.

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क्या कहती है रिपोर्ट

रिपोर्ट कहती है कि जहां प्रमुख संकेतक आर्थिक गतिविधि में वृद्धि और भू-राजनीतिक तनाव में कमी का इशारा कर रहे हैं. वहीं, हाल के संघर्षों से जोखिम पैदा हो रहे हैं. वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत अपने मजबूत आर्थिक प्रदर्शन के साथ अलग दिख रहा है. भारत सभी क्षेत्रों में व्यापक आधार वाली वृद्धि को दर्शा रहा है और वैश्विक वृद्धि के समर्थन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का दावा कर रहा है. इसके मुताबिक, वैश्विक सुस्ती के कारण भारत के व्यापारिक निर्यात और आयात में नरमी आई है. व्यापार मंदा होने से वित्त वर्ष 2023-24 में वस्तु व्यापार घाटा कम हो गया है, क्योंकि आयात की तुलना में निर्यात में कम गिरावट आई है. हालांकि, गैर-पेट्रोलियम और गैर-रत्न एवं आभूषण निर्यात ने पिछले कुछ महीनों में निरंतर वृद्धि के साथ जुझारूपन दिखाया है. बढ़ते सॉफ्टवेयर निर्यात और वाणिज्यिक सेवाओं के निर्यात द्वारा समर्थित, वित्त वर्ष 2023-24 में सेवा निर्यात सबसे तेज गति से बढ़ा. इन कारणों से देश का चालू खाते का घाटा 2023-24 के पहले नौ महीनों में पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में बेहतर हुआ है. देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी मार्च, 2024 में सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया.
(भाषा इनपुट के साथ)

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