बेतिया. पटना के एक होटल में लगी भीषण आग ने होटलों में फॉयर सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिये हैं. वैसे तो सभी संस्थानों को फॉयर ऑडिट कराने का नियम है, लेकिन शहर के ज्यादातर होटल व ढ़ाबों में आग से बचाव के फॉयर सिस्टम तक नहीं हैं. ढ़ाबों में जहां दिन रात कोयले की भठ्ठियां धधकती हैं. वहीं होटलों के किचेन में सिलेंडरों की भरमार लगी रहती है. ऐसे में अगर थोड़ी भी चूक होती है तो यहां भी भीषण अगलगी की घटना से इनकार नहीं किया जा सकता है. शहर के चुनिंदा बड़े होटलों को छोड़ दें तो ज्यादातर होटल व ढ़ावों में अग्निशमन यंत्रों का अभाव है. आकस्मिक द्वार व खिड़की भी मौजूद नहीं है. इसके अलावे अग्निशमन विभाग से एनओसी लेने के लिए कई बड़े होटलवाले तो एनओसी ले लिये है. कमरों एवं गैलरी में अग्निशमन सुरक्षा पाईप तो दिखायी दे रहे है, लेकिन सबसे बुरी हालत उनके किचेन की है. जहां न पर्याप्त हवा का माध्यम या अग्निशमन यंत्र मौजूद नहीं है. सबसे हैरत की बात तो यह है कि एनएच या बाजार में छोटे छोटे ढाबों में रसोई गैस पर हीं खाना तैयार हो रहा है. शहर के मीना बाजार, लालबाजार, सुप्रिया रोड एनएच किनारे बनाये गये ढाबा, बेतिया अरेराज रोड में विभिन्न प्रमुख स्थानों पर बनाये गये छोटे छोटे ढाबा की कमोवेश हालत एक जैसी ही है. जहां कोई सुरक्षा के उपाय नहीं किये गये हैं. शहर को जला सकती है कवाब की चिनगारी: शहर के पॉवर हाउस चौक, कलेक्ट्रेट रोड, सुप्रिया रोड समेत विभिन्न चौक पर कबाब सेंकने वाले, अहूना मटन की बिक्री करने वाले छोटे छोटे ढाबों की हालत देखी जाय तो एक चिंगारी पूरे शहर को जलाने के लिए काफी है. बिना किसी एनओसी या अग्निशमन उपकरण के मौजूद रहते सड़क किनारे कबाब की सेंकाई या अहुन मटन बनानेवाले बड़े बड़े बोर्ड तो लगा लिये है लेकिन अग्निशमन यंत्रों का अभाव है. शहर के अंदर ये सभी दुकानें इतने संकरे गली में है कि यदि कोई दुर्घटना हो जाय तो वहां फायरबिग्रेड के वाहनों का पहुंचना मुश्किल हीं है. क्या है नियम? सरकारी अथवा गैर सरकारी इमारत के संचालन से पहले दमकल विभाग से एनओसी लेना आवश्यक है. इसके तहत अग्निशमन विभाग के अधिकारी स्थलीय निरीक्षण कर मानक के अनुसार अग्निशमन उपकरण लगाने के निर्देश देते है. इन उपकरणों के सही हालत में लगने के बाद एनओसी दी जाती है. उपकरणों का निर्धारित अवधि पर नवीनीकरण एवं जांच होनी चाहिए. इसके अलावा होटलो समेत अन्य व्यवसायिक इमारतों में फायर अलार्म के साथ सेंसर स्प्रीकंलर लगा होना चाहिए. छोटे होटलों एवं ढाबों पर फायर फाईटर रेत से भरी बाल्टियां होनी चाहिए.
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