झारखंड हाइकोर्ट ने सिपाही नियुक्ति नियमावली-2014 को चुनौती देनेवाली याचिकाओं पर शुक्रवार को अपना फैसला सुनाया. एक्टिंग चीफ जस्टिस चंद्रशेखर व जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने प्रार्थियों को राहत देने से इनकार करते हुए याचिकाओं को खारिज कर दिया. साथ ही खंडपीठ ने राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2014 में बनायी गयी सिपाही नियुक्ति नियमावली को सही ठहराया. खंडपीठ के फैसले के बाद अब 7000 से अधिक नियुक्त सिपाहियों की नौकरी सुरक्षित हो गयी है. पूर्व में 15 मार्च 2024 को मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से खंडपीठ को बताया गया था कि राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2014 में बनायी गयी सिपाही नियुक्ति नियमावली सही नहीं है. उक्त नियमावली पुलिस मैनुअल के विपरीत है. वहीं, राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि नियमावली बनाने या संशोधित करने का अधिकार राज्य सरकार को है. झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरावाल ने बताया था कि वर्ष 2015 में 8000 से अधिक पदों पर सिपाहियों की नियुक्ति के लिए प्रतियोगिता परीक्षा की प्रक्रिया शुरू की गयी थी. वर्ष 2018 में नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर ली गयी थी. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी सुनील टूडू व अन्य की ओर से अलग-अलग 65 याचिका दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार द्वारा बनायी गयी नियमावली में लिखित परीक्षा के लिए निर्धारित न्यूनतम क्वालिफाइंग मार्क्स की शर्त लगाना भी गलत था. पूर्व में हाइकोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित कर कहा था कि याचिकाओं में पारित अंतिम आदेश से नियुक्तियां प्रभावित होंगी. सिपाही पद पर नियुक्त हो चुके लगभग 7000 से अधिक सफल अभ्यर्थियों (नियुक्त हो चुके सिपाहियों) को भी मामले में प्रतिवादी बनाया गया था.
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