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सिजेरियन के लिए नजराना नहीं देने पर गर्भवती महिला ने तोड़ा दम

सदर अस्पताल शेखपुरा में स्वास्थ्य व्यवस्था की लापरवाही के कारण एक गर्भवती महिला की प्रसव के दौरान मौत हो गई. पांच हजार रुपए का नजराना नहीं देने के कारण गर्भवती महिला के पेट में मृत बच्चे को सिजेरियन ऑपरेशन कराने से सदर अस्पताल में महिला स्वास्थ्य कर्मियों ने इनकार कर दिया.

शेखपुरा. सदर अस्पताल शेखपुरा में स्वास्थ्य व्यवस्था की लापरवाही के कारण एक गर्भवती महिला की प्रसव के दौरान मौत हो गई. पांच हजार रुपए का नजराना नहीं देने के कारण गर्भवती महिला के पेट में मृत बच्चे को सिजेरियन ऑपरेशन कराने से सदर अस्पताल में महिला स्वास्थ्य कर्मियों ने इनकार कर दिया. इस दौरान अमानवीय चेहरा तब सामने आया, जब स्वास्थ्यकर्मियों ने प्रसव पीड़ा से तड़पती उक्त महिला की एक नहीं सुनी और उसे प्रसव कक्ष से बाहर कर दिया. करीब चार घंटे तक चले इस घटनाक्रम में आखिरकार गर्भवती महिला ने भी दम तोड़ दिया. मृतक महिला की पहचान अरियरी थाना क्षेत्र के लालू बीघा निवासी मनोज प्रसाद की पत्नी 40 वर्षीय पुतुल देवी के रूप में की गयी है. महिला की मौत के बाद परिजनों ने जमकर नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि शेखपुरा में स्वास्थ्य व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रह गई है. परिजनों की माने तो सुबह करीब 7:00 बजे महिला को सदर अस्पताल लाया गया और फिर करीब 4 घंटे तक स्वास्थ्य कर्मियों की मनमानी का खेल चलता रहा. सदर अस्पताल की चौपट व्यवस्था के कारण आखिरकार गर्भवती महिला की तड़प-तड़प कर मौत हो गई.

अरियरी में चिकित्सक के फरार रहने के कारण लाया गया था सदर अस्पताल

अरियरी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ड्यूटी से चिकित्सक के फरार रहने के कारण ही उक्त महिला को सदर अस्पताल लाया गया था.परिजनों ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रसव पीड़ा के बाद उक्त महिला को अरियरी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में रात को 12:00 बजे भर्ती कराया गया था. लेकिन, वहां एक भी चिकित्सक मौजूद नहीं थे. आशा कर्मी भी लगातार फोन करने के बाद मोबाइल रिसीव नहीं कर रही थी. महिला स्वास्थ्य कर्मियों ने स्थिति को भांपते हुए उन्हें बेहतर इलाज के लिए सदर अस्पताल शेखपुरा रेफर कर दिया.

सिजेरियन की सलाह देते हुए पांच हजार का मांगा गया नजराना

सदर अस्पताल लाये जाने के पश्चात यहां स्वास्थ्य कर्मियों ने गर्भवती के पेट में पल रहे बच्चे को मृत बताते हुए सिजेरियन की सलाह दी. इसके साथ ही इस दौरान 5 हजार नगद नजराना भी जमा करने की बात कही. हालांकि, प्रसव पीड़ा से तड़पती गर्भवती महिला को देख परिजन दो हजार रुपए देने के लिए भी राजी हो गए. इतना ही नहीं पूरी राशि जमा नहीं करने पर सिजेरियन नहीं करने एवं महिला स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा उक्त पीड़िता को अस्पताल से बाहर करने का आरोप लगाया गया.

स्वास्थ्यकर्मियों का अमानवीय चेहरा एक बार फिर आया सामने

सदर अस्पताल में स्वास्थ्य कर्मियों का अमानवीय चेहरा एक बार फिर सामने आया और गर्भ में ही बच्चे की मौत होने के बाद घण्टों तक महिला दर्द से तड़पती रही. परंतु मांगे गए नजराना नहीं देने के कारण आखिरकार उक्त महिला ने दम तोड़ दिया. परिजनों ने बताया कि वहां मौजूद स्वास्थ्य कर्मी उनसे 5000 रुपये का डिमांड करते रहे. परंतु दो हजार रुपये देने पर राजी होने के बावजूद उसका इलाज की दिशा में हुए कदम नहीं उठाया गया. सदर अस्पताल में करीब 4 घंटे तक दर्द से तड़पने के कारण महिला की स्थिति जब एकदम नाजुक हो गई तो उसे रेफर कर दिया गया और फिर महिला को ऊपर से नीचे तक लाते -लाते ही उसकी मौत हो गई.

आखिर कब सुधरेगी सदर अस्पताल की चौपट व्यवस्था

सदर अस्पताल के साथ-साथ जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था में बेहतर सुधार के लिए वैसे तो आए दिन सरकारी अधिकारियों द्वारा बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं. परंतु धरातल पर स्थित बिल्कुल ही इसके विपरीत है. सदर अस्पताल की चौपट व्यवस्था के मामले आए दिन सामने आते रहते हैं. परंतु इसके बावजूद इस पर बड़ी कार्रवाई करने की वजाय वरीय अधिकारी इस पर पर्दा डालने में जूट जाते हैं, जिसका नतीजा है कि इसका खामियाजा आए दिन यहां इलाज करने वाले लोगों को भुगतना पड़ता है. इसी क्रम में एक बार फिर इस चौपट व्यवस्था की शिकार गर्भवती महिला पुतुल कुमारी हुई और उसे अपनी जान से हाथ धोना पड़ा.

अधिकारियों द्वारा नहीं दी गई कोई प्रतिक्रिया

इस पूरे मामले में अधिकारियों द्वारा अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई. वैसे तो पीड़ित परिजनों ने इस मामले में वरीय अधिकारियों से लापरवाह कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है.इस घटना को लेकर सदर अस्पताल के उपाधीक्षक नौशाद आलम,सिविल सर्जन संजय कुमार सिंह के अलावे अन्य अधिकारियों से फोन पर बात करने की कोशिश की गई. लेकिन कोई अधिकारी फोन रिसीव करना भी मुनासिब नहीं समझ रहे.

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