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रंजन की दिलेरी को सलाम, जान पर खेल बचा ली दो मासूम की जिंदगी

आतिशबाजी की चिंगारी से लगी भीषण आग ने बुजुर्ग रामचंद्र पासवान की दुनिया तो उजाड़ ही दी, पुत्र सुनील व पुत्र वधू लाली को भी उनसे छीन लिया.

अलीनगर. आतिशबाजी की चिंगारी से लगी भीषण आग ने बुजुर्ग रामचंद्र पासवान की दुनिया तो उजाड़ ही दी, पुत्र सुनील व पुत्र वधू लाली को भी उनसे छीन लिया. वो तो सुनील की चचेरी बहन 18 वर्षीया रंजन कुमारी ने दिलेरी दिखायी, वर्ना सुनील के खानदान का नाम पूरी तरह मिट जाता. रंजन ने बहादुरी का परिचय देते हुए सुनील पासवान की निशानियां पुत्र सुशांत व पुत्री स्वाति को लेकर सुरक्षित घर से बाहर भाग गयी. बता दें कि सुनील के दो बच्चों में पुत्र सुशांत (3) व पुत्री स्वाती (1) है. जिस समय यह हादसा हुआ, दोनों बच्चे घर में मां के साथ सो रहे थे. इन सभी के साथ बच्चों की बुआ व रामचंद्र पासवान की पुत्री भी तीन बच्चों के साथ में घर में ही सोयी हुई थी, जिन्हें बचाने के लिए सुनील अपनी जान की परवाह किये बगैर आग की लपट के बीच अंदर प्रवेश कर गया, लेकिन वह भी बाहर नहीं निकल सका. अगर रंजन ने दिलेरी व सूझबूझ का परिचय नहीं दिया होता तो शायद आज सुनील की इन दो निशानियों का भी क्या होता, यह सोचकर ही ग्रामीण सिहर उठते हैं. सुनील पासवान के दो मासूम बच्चे हैं. सुशांत और स्वाति. एक की उम्र पांच साल है तो दूसरी ने अभी पहला वसंत ही देखा है. दोनों में अपने-पराये का विभेद करने की समझ भी नहीं आयी है, लेकिन इन दोनों के सिर से माता-पिता का साया एक झटके में उठ गया. दादाा रामचंद्र पासवान के बूढ़े कंधों पर इन मासूम पोते-पोती का बोझ अचानक आ गया है. जिस बुढ़ापे में उन्हें खुद ही सहारा की जरूरत है, उस समय में उनके सहारे दो मासूम जिंदगी आ गयी है.

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