- 2300-2400 रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा था मक्का, अब 1800 रुपए हो रही बिक्री-
कौनैन बशीर, उदाकिशुनगंज, मधेपुरा.
अचानक मक्के के कीमत में गिरावट आने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें दिखाई देने लगे हैं. पिछले कुछ हफ्ता पहले जिस मक्का की कीमत 2300सौ रूपये प्रति क्विंटल था. उसी का वर्तमान मूल्य 1800 सौ रुपए कुंटल से भी नीचे आ गया है. अचानक मक्के की कीमत में गिरावट आने से उदाकिशुनगंज अनुमंडल क्षेत्र के किसान चिंतित हो उठें है. दर्जनों किसानों ने बताया कि बाजार में एकाएक गल्ला व्यवसायियों द्वारा कम कीमत लगाया जा रहा है.जबकि वर्तमान समय में मक्का की क्वालिटी भी काफी बेहतर है. किसानों ने बताया कि गल्ला व्यापारी और बिचौलियों द्वारा किसानों को परेशान किया जा रहा है. महंगे उर्वरक,कीटनाशक, सिंचाई एवं खेतों की जुताई करने में किसानों का दम निकल जाता है.इस कमर तोड़ महंगाई एवं कठिन परिश्रम के साथ साथ प्राकृतिक आपदा का टीस सहन कर ही रहे थे,लेकिन मंदी का जहर धीरे-धीरे कृषकों को कब्र की ओर ले जाने के लिए विवश कर रहा है. अचानक मक्का की कीमत में गिरावट आने से किसान काफी चिंतित हैं.पिछले सप्ताह तक मक्के का भाव 2300-2400 रुपए प्रति क्विंटल रहने से किसानों में थोड़ी खुशी थी.लेकिन इस सप्ताह दिन प्रतिदिन मक्के का भाव गिरते रहने से किसानों में जहां निराशा छा रही है. उनके अंदर हड़बड़ाहट भी व्याप्त हो गई है.एक सप्ताह पूर्व बाजार में मक्के का भाव जहां 2300 रूपये से अधिक प्रति क्विंटल था. वही अभी 1800 रूपए हो गया. लोगों से बातचीत में किसानों ने बताया कि उनकी चिंता की लकीरें बढ़ती जा रही है. मोहम्मद अहमद,नरेश सादा,निजाम उद्दीन,विवेकानंद शर्मा,अनिल सिंह आदि किसान इसका कारण बताते हुए कहते हैं एक तो बुआई के समय से लेकर अंत समय तक फसल को खाद का पर्याप्त डोज दिया जाता है.जिस कारण किसानों को अत्यधिक राशि खर्च करना पड़ता है.वही भाव में बढ़ोतरी होने से कम उपज की भरपाई हो जाती.
– सरकार से मक्का का समर्थन मूल्य निर्धारित करने की मांग-
पिछले वर्ष किसानों को मक्का से थोड़ी बहुत लाभ भी मिला था, लेकिन इस वर्ष मक्का का लागत मूल्य ही किसानों को प्राप्त हो रहा है. किसान बिचौलियों के हाथों पीला सोना मक्का कौड़ी के भाव बेचने के लिए तैयार हो जाते हैं. कारण है कि अभी किसानों को पैसे की सख्त आवश्यकता है. किसानों को बेटी की शादी,बच्चों की पढ़ाई एवं महाजनों का कर्ज चुकाना जरूरी है. इसके अलावा उनके सामने कोई विकल्प नहीं है. पिछले वर्ष दो हजार रूपये से अधिक प्रति क्विंटल की दर से किसान मक्का बेचे थे.इस वर्ष वर्ष खाद-बीज व कीटनाशकों के मूल्यों में दोगुना वृद्धि हुई है. इसके कारण मक्का किसानों को परेशानी हो रही है. किसान आज के परिवेश में कैसे जी रहे हैं या उनकी पीड़ा व टीस क्या है.यह मक्का किसान ही बता सकते हैं.जिस तरह राज्य सरकार धान व गेहूं का मूल्य निर्धारण किया है उसी तरह अगर मक्का का भी सरकारी दर निर्धारित हो जाए तो बहुत हद तक मक्का कृषकों को राहत मिलेगी. किसान मुख्तार आलम,आजाद झा,विनोद कुमार आजाद,महिंद्र मंडल,मिठ्ठू मंडल,ओरंजेब आलम आदि ने बताया कि किसानों को मक्का का मूल्य कम रहने के कारण उसे उसकी लागत भी नहीं निकल पा रहा है. किसानों ने राज्य सरकार से गेहूं,धान की तरह ही मक्का का समर्थन मूल्य निर्धारित करने की मांग की है.
– सरकार भी मक्का का उत्पादन बढ़ाने पर दे रही है जोर –
केंद्र सरकार मक्का का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रही है. ताकि इथेनॉल उत्पादन और पोल्ट्री उद्योग की जरूरतों को पूरा किया जा सके.लेकिन दूसरी ओर अभी जितना उत्पादन हो रहा है उस पर भी किसानों को उचित भाव नहीं मिल रहा है.ऐसे में किसान क्योंं उत्पादन बढ़ाने के लिए आगे आएंगे.भारत से मक्का एक्सपोर्ट होने के बावजूद स्थानीय बाजारों में दाम बहुत कम है.मार्केट में इसका दाम 1700 से 1800 की रेंज में ही मिल रहा है. ऐसे में जब तक किसानों को अच्छी दाम की उम्मीद नहीं दिखाई देगी तब तक वो मक्का उत्पादन नहीं बढ़ाएंगे. वही एमएसपी पर मक्का की खरीद नहीं होती है जिसका फायदा व्यापारियों को मिलता है.
– क्या कहते हैं मक्का किसान-
स्थानीय किसान कैलाश यादव ने कहा कि रोज़ाना 50 रुपये तक मूल्य गिर रहा है,ऐसे में किसान बेहद परेशान हैं.महाजन एहतेशाम आलम से पूछने पर उन्होंने बताया कि गुलाबबाग मंडी में प्रत्येक दिन 40 से 50 रूपए कर के मक्का का रेट गिर रहा है. इसी कारण स्थानीय बाजार में भी रैट टूट रहा है. और किसान बेचारा मर रहा है.लोगों का कहना हैं कि मक्का किसान की स्थिति बहुत दयनीय है. इसका कारण है कि यहाँ रेक नहीं लग रहा है. यहां से माल बाहर नहीं जा रहा है इसलिए दाम गिर जा रहा है. उन्होंने कहा कि आस पास में इतनी बड़ी मंडी है गुलाब बाग की लेकिन यहां यह स्थिति है. हमलोग यही मांग करेंगे कि किसान को उचित मूल्य मिले.खाद महंगा है,पानी महंगा है,सब कुछ महंगा ही है फिर भी हमको उचित मूल्य नहीं मिल रहा है.