– जांच टीम में शामिल पदाधिकारियों को जानकारी मिली, किसी कर्मी द्वारा खाना बनाने की वजह से घटना होने की वजह से हुई थी घटना संवाददाता, भागलपुर नगर निगम कार्यालय परिसर में सात अप्रैल को भीषण आग लग गयी थी. घटना में करोड़ों रुपये का सामान जल गये थे. मामले में प्रशासनिक स्तर पर आग लगने के कारणों को लेकर जांच कराने की बात कही गयी थी. इसके बाद अग्निशमन विभाग की एक विशेष टीम ने प्रशासन के पदाधिकारियों के साथ मामले की संयुक्त जांच की और इसकी रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंप दी है. अग्निशमन विभाग की ओर से तैयार रिपोर्ट में कुछ चौंकने वाले खुलासे हुए हैं. रिपोर्ट में घटना को संदेहास्पद बताया गया है. इसमें आग खुद से लगने या लगाये जाने की बात स्पष्ट तौर पर नहीं लिखी गयी है. यह भी बताया गया है कि जिस ट्रांसफॉर्मर से आग लगने की बात कही जा रही थी, उसमें आग लगने से पूर्व शॉट सर्किट हुआ ही नहीं था. वहीं, दूसरी ओर अग्निशमन विभाग की ओर से की गयी जांच में कुछ कर्मियों से पूछताछ की गयी, जिसमें यह बात टीम के सामने आयी थी कि घटना से पूर्व परिसर में रहना वाला एक कर्मी खाना बना रहा था, जो पूरी तरह से नियमों के विरुद्ध है. खाना बनाने के दौरान ही आग लगी थी, लेकिन टीम को घटनास्थल से किसी भी प्रकार का चूल्हा या बर्तन नहीं मिला है. इससे यह भी स्पष्ट है कि कर्मी या तो झूठ बोल रहा है या फिर कोई बड़ी बात को छिपा रहा है. जान बूझकर जब्त सामान में आग लगाने की उस वक्त चर्चा ने पकड़ा था जोर अगलगी को लेकर नगर निगम के ऊपर कई सवाल उठने लगे थे. इसको लेकर शहर में कई तरह की चर्चाएं भी हो रही थी. शहर के लोग यह भी कहते सुने जा रहे थे कि नगर निगम के अतिक्रमण दस्ता द्वारा जब्त किये जाने वाले बैनरों और बोर्ड के स्थल पर पहले आग लगी थी. लोगों का संदेह था कि कहीं जब्त सामान में जान बूझकर आग तो नहीं लगायी या लगवायी गयी, क्योंकि अतिक्रमण दस्ता द्वारा जब्त किये गये सामान को छुड़ाने के लिए आरोपित पक्ष की ओर से नगर निगम को जुर्माना जमा कराना हाेता था और जुर्माना की राशि जमा कराने के बाद जब्त सामान को वापस देने का प्रावधान है, लेकिन जब्त सामान के ढेर में किसी एक-दो मामले में जब्त सामान को ढूंढ कर वापस नहीं दिला पा रहा था.
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