राजपुर. लोकसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ती जा रही है. अंतिम चरण में होने वाले मतदान के लिए आगामी सात मई से नामांकन होगा. इससे पहले ही लोकसभा क्षेत्र से भाग्य आजमाने वाले प्रत्याशी चुनावी मैदान में आकर जनता की हाल-चाल ले रहे हैं. इस बार इस चुनावी शोरगुल में आम जनता से जुड़े हुए मुद्दे पूरी तरह से गायब है. बात करें राजपुर विधानसभा क्षेत्र की तो पिछले परिसीमन के बाद इटाढ़ी प्रखंड के कई पंचायत है जबकि पूरे प्रखंड क्षेत्र के लगभग 245 से अधिक गांव के विकास के लिए अब तक किसी भी जनप्रतिनिधि के तरफ से कोई ठोस पहल नहीं की गई है.
किसानों की समस्या का नहीं हुआ समाधान :
किसानों की समस्या को शायद ही किसी ने सुना होगा. राजपुर पश्चिमी क्षेत्र के दर्जनों गांव में पानी की समस्या हमेशा बनी रहती है. जिसमें नागपुर, कजरिया, पिपरा, कठजा, ईंटवा, खीरी, मंगराव, संगराव के अलावा बक्सर सदर के रामपुर, निकृष, सौरी पलिया जहां पानी की पहुंच नहीं हो पाती है. ऐसे में किसानों को हर बार मुसीबत का सामना करना पड़ता है. पिछले कई वर्षों से इन इलाकों में सैकड़ों एकड़ खेत परती रह जाने से किसानों को आर्थिक क्षति भी उठाना पड़ा. जिनके मुद्दे को किसी ने नहीं उठाया. पिछले कुछ वर्षों से इस क्षेत्र को हरा भरा बनाने के लिए निकृष पंप कैनाल योजना की शुरुआत की गई है जो पिछले दिसंबर माह में ही किसानों को पानी देने के लिए भरोसा जताया था. अब तक इससे पानी की सप्लाई शुरू नहीं की गयी है.ऐतिहासिक व धार्मिक स्थलों का नहीं हुआ जीर्णोद्धार :
इसी विधानसभा क्षेत्र में आने वाले देवढिया के ऐतिहासिक सूर्य मंदिर का अब तक जीर्णोद्धार नहीं किया गया. हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव एवं लोकसभा में भी इसका मुद्दा काफी सरगर्मी पर था. वोट मांगने गए प्रत्याशियों से ग्रामीणों ने गुहार लगाई थी. फिर भी इसे पर्यटन स्थल का दर्जा नहीं मिल पाया. राजपुर के ऐतिहासिक गढ़ का मुख्यमंत्री ने अवलोकन का निरीक्षण किया. जिसके बाद से कई बार विभागीय टीम ने जाकर दौरा किया जो फाइलों में ही सिमट कर रह गई.अस्पताल को नहीं मिली आधुनिक सुविधा :
सीएचसी निरीक्षण के लिए आई केंद्रीय टीम के तरफ से अस्पताल को आधुनिक बनाने के लिए कार्य योजना बनायी थी. जिसमें ब्लड बैंक के अलावा कई प्रकार के जांच की व्यवस्था की जानी थी जो अब तक नहीं हो पाया.फल सब्जियों को नहीं मिला बेहतर बाजार :
सरकार ने भले ही आधुनिक बाजार बनाने की घोषणा किया. लेकिन इस क्षेत्र में फल एवं सब्जी उगाने वाले किसानों को बेहतर बाजार नहीं मिला. किसान अपने खेतों में उत्पादित अनाज को जैसे तैसे बेचते हैं. अगर बेहतर बाजार मिला होता तो आर्थिक उन्नति करते.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है