भभुआ नगर. तीन करोड़ की लागत से शहर के पूरब पोखर के पास बनाये गये अत्याधुनिक सोनहन बस स्टैंड आज नगर पर्षद के लापरवाह रवैये के चलते भगवान भरोसे हो चुका है. स्टैंड में ना तो पेयजल की व्यवस्था है और ना ही यात्रियों के रुकने और ठहरने के लिए पड़ाव में बने हॉल और कमरे के दरवाजे ही खुल सके हैं. आज सात वर्ष बाद भी यात्री स्टैंड में बने कमरे और हॉल का दरवाजा खुलने का इंतजार कर रहे हैं. इसके चलते यात्रियों सहित बस, मैजिक आदि के चालक और एजेंट भी परेशान हैं, लेकिन इस मामले में शिकायत के बावजूद अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई हैं. नगर पर्षद ने तो उद्घाटन के बाद से सोनहन बस पड़ाव की व्यवस्था से मानो मुंह ही मोड़ लिया है. इसके चलते परिसर में लगे जेनसेट सहित अन्य सामानों की चोरी कर ली गयी या उन्हें उड़ा लिया गया. स्थिति यह हो गयी है कि स्टैंड में सुविधा नहीं रहने के चलते यात्री बसें या सवारी वाहन भी स्टैंड की जगह कुदरा-भभुआ सड़क पर से ही खुल रहे है. स्टैंड में पेयजल की व्यवस्था नहीं रहने से लोग जबर्दस्त गर्मी व धूप में भी प्यास बुझाने के लिए मारे मारे फिरते है. गौरतलब है कि वर्ष 2017 में शहरी आधारभूत संरचना निगम लिमिटेड द्वारा लगभग 2 करोड़ 95 लाख की लागत से बनाये गये सोनहन बस पड़ाव में यात्रियों को किस प्रकार की सुविधा मिल रही है, इसका जायजा लिया तो कई मामले चौंकाने वाले सामने आये. इसमें नप को हस्तगत किये छह साल से अधिक बीत जाने के बाद भी इस बस पड़ाव में यात्रियों की सुविधाओं के लिए नगर पर्षद की ओर से कुछ नया नहीं हो पाया है. शहरी सुविधा की विडंबना भी है कि यहां आने-जाने वाले यात्रियों व लोगों के लिए पेयजल व बैठने जैसी मूलभूत सुविधाओं का भी ख्याल नहीं रखा गया है. क्योंकि, कमरों और हॉल में ताला लटके होने के कारण यात्रियों और नयी नवेली दुल्हनों, बूढ़े बुजुर्गों को बस पड़ाव के गलियारे में फर्श पर बैठना पड़ जाता है. इस स्टैंड में प्रतीक्षालय सहित आठ कमरे व हॉल है. लेकिन, नगर पर्षद को हस्तगत होने के बाद यानी छह साल से प्रतीक्षालय व कमरों में आज भी ताला लटके हुए हैं. वैसे ही पेयजल के लिए परिसर के बाहर व अंदर दो हैंडपंप लगाये गये हैं. लेकिन, इसमें एक हैंडपंप बंद है, तो एक हैंडपंप बाहर होने की वजह से यात्री वहां तक पहुंच नहीं पाते. =बस पड़ाव में शौचालय पर भी लगे हैं ताले बस पड़ाव में फर्श पर बैठ बस के इंतजार में मिली सोनवर्षा की इंद्रावती देवी, शिवसागर की मधु देवी, अकोढ़ी के लक्ष्मण कुमार आदि का कहना था कि इतनी बड़ी बिल्डिंग का क्या फायदा, जब बस पड़ाव में यात्रियों को फर्श पर ही बैठना पड़े और प्यास बुझाने के लिए मारा-मारा फिरना पड़े. ऊपर से सभी कमरों में ताला बंद है. यहां पर महिलाओं के लिए परिसर में शौचालय तक नहीं है या है भी तो उनपर ताला लगे हुए है. अब करोड़ों रुपये खर्च कर इतना बड़ा बस पड़ाव बनाने से क्या फायदा. =साफ-सफाई की सुविधा भी बदहाल दरअसल, अत्याधुनिक बने सोनहन बस पड़ाव के प्रतीक्षालय सहित अन्य कमरों में ताला लटकता रहता है. यात्रियों को बस पड़ाव के गलियारे के फर्श पर बैठ कर वाहनों का इंतजार करना पड़ता है. इस बस पड़ाव में लगभग आधा दर्जन से अधिक कमरे है. बड़े-बड़े हॉल हैं. लेकिन, बाहर व अंदर के हॉल में भी बैठने की व्यवस्था नहीं है. परिसर में महिलाओं के लिए शौचालय की भी व्यवस्था नहीं है. इस स्थिति में महिला यात्रियों को खुले में शौच जाने की मजबूरी रहती है. इसके अलावा पेयजल, साफ सफाई आदि की भी सुविधा बदहाल हो चुकी हैं. =कई जिलों के लिए खुलती हैं गाड़ियां दरअसल, सोनहन बस पड़ाव में एक वर्ष से विभिन्न जगहों के लिए यात्री वाहनें खुल रहे हैं. लेकिन, रात गुजारना तो दूर इस बस पड़ाव में अब भी यात्रियों की बैठने जैसी मामूली सुविधा भी बहाल नहीं हो सकी है. वाहन एजेंटों ने बताया कि इस स्टैंड से सासाराम, चेनारी, वाराणसी, कुदरा सहित कई जिला व प्रखंडों के लिए बस, पिकअप, ऑटो आदि छोटे-बड़े वाहनें खुलते हैं. लेकिन, यहां पर यात्रियों को बैठने, लाइट, शौचालय आदि की व्यवस्था नहीं होने से सारी व्यवस्था धरी की धरी रह जा रही है.
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