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स्वच्छ सर्वेक्षण के तय मानक पर काम नहीं कर पा रहा मुजफ्फरपुर नगर निगम, अंतिम राउंड में कट जायेंगे नंबर

मुजफ्फरपुर शहर में सफाई व्यवस्था पहले से तो सुधरी है. लेकिन यहां अब भी स्वच्छ सर्वेक्षण की गाइडलाइन के अनुसार सफाई नहीं हो पा रही है

केंद्र सरकार ने स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 के लिए जो गाइडलाइन जारी किया है. इसके अनुसार मुजफ्फरपुर नगर निगम को जिस तरीके से काम करना चाहिए. वह नहीं हो पा रहा है. सफाई की व्यवस्था पहले से सुधरी है. लेकिन, शहर के गली-मोहल्ले में खाली निजी मैदान या प्लॉट से जो गंदगी की सफाई करनी थी. इसमें निगम फिसड्डी साबित हो रहा है. इससे सर्वेक्षण के दौरान मिलने वाले अंक में कटौती हो सकता है.

इस बार सफाई की यह परीक्षा रि-साइकिल, रि-यूज, रि-ड्यूज (आरआरआर) थीम पर हो रही है. इसका मुख्य उद्देश्य है कि बैक लेन को उपयोग लायक बनाना अनिवार्य होगा. ताकि, यहां बच्चे इनका उपयोग खेल गतिविधियों में कर सकें, जो अभी तक कहीं संभव नहीं हो पाया है.

सिटीजन वॉइस में जनभागीदारी पर भी कोई काम नहीं

सिटीजन वॉइस में जनभागीदारी बढ़ाए जाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम कराना है. शहर के बाजार से लेकर स्कूल, कॉलेजों तक में कार्यक्रम किये जाने हैं. लेकिन, अब तक कहीं कोई कार्यक्रम नहीं किया गया है. बताया जाता है कि पहला मौका होगा जब सर्वेक्षण के लिए पहुंचने वाली केंद्रीय टीम स्कूलों में भी जाएगी. 75 अंक स्कूलों में साफ टॉयलेट और वहां कचरा निस्तारण को लेकर तय किए गए हैं. आवासीय और व्यावसायिक इलाकों में दिन और रात में नियमित रूप से झाड़ू लगनी चाहिए. इसके स्वच्छ सर्वेक्षण में 60 अंक तय हैं.

सरकारी दफ्तरों में पान, गुटखे के रेड स्पॉट पर सवाल

पान और गुटखे के दाग व्यावसायिक और आवासीय इलाके के साथ सरकारी दफ्तरों की दीवारों पर यदि रेड स्पॉट होंगे, तो नंबर कट सकता है. टीम को कहीं रेड स्पॉट नहीं दिखाई देती है. तब सर्वेक्षण में 60 अंक मिलेंगे. खुले में शौच की बजाय सार्वजनिक शौचालय में जाने पर भी 60 अंक तय किये गये हैं.

तीन हिस्सों में बांटा पूरा सर्वेक्षण

  • सर्विस लेवल प्रोग्रेस (5705 अंक)- कचरा संग्रहण से लेकर निस्तारण, आवासीय कॉलोनियों से लेकर बाजारों की साफ-सफाई और वॉटर बॉडी की सफाई देखी जाएगी.
  • सर्टिफिकेशन (2500 अंक)- सामुदायिक शौचालयों से लेकर टॉयलेट व अन्य कागजी प्रक्रिया को पूरा किया जाता है.
  • जन आंदोलन (1295 अंक)- सिटीजन फीडबैक को अब जन आंदोलन नाम दिया गया है. जिसमें शिकायतों का निवारण ऐप के जरिए करना है.

यहां है नंबर कटने का डर

  • नए निर्माण के दौरान निकलने वाले वेस्ट के निस्तारण का प्लांट अब तक नहीं तैयार कर सका निगम.
  • सड़क किनारे दो कचरा पात्र जरूरी हैं, लेकिन शहर में कई जगह एक ही कचरा पात्र रखा है.
  • प्रतिबंधित प्लास्टिक का उपयोग नियमित रूप से हो रहा है. इसकी वजह से सर्वेक्षण के दौरान अंकों में कटौती तय है. सर्वेक्षण में 150 अंक निर्धारित किए गए हैं.
  • विवाह स्थल, शिक्षण संस्थान, व्यावसायिक कार्यालय से लेकर होटल, रेस्टोरेंट और होटल को खुद कचरे से खाद बनाने की मशीन लगानी होगी. इसके 100 अंक तय किए हैं लेकिन शहर में इस नियम का पालन शून्य है.

स्मार्ट सिटी से हो रहे रंग रोगन पर मिलेगा 300 नंबर

स्वच्छ सर्वेक्षण में नंबर बढ़ाने के लिए शहर का सौंदर्गीकरण स्मार्ट सिटी से हो रहा है. मुख्य सड़कों की दीवारों पर रंग रोगन कर लाइट भी लगाये जा रहे हैं. इसके लिए स्वच्छ सर्वेक्षण में 300 अंक निर्धारित हैं. वहीं, स्वच्छ सर्वेक्षण में 140 नंबर पर्यटन स्थलों के आस-पास की सफाई पर है. शहर में पर्यटन स्थल कहीं कोई है ही नहीं. इससे 140 नंबर मिलना मुश्किल है.

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