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प्रशासन व जनप्रतिनिधियों के खिलाफ 10 टोले के लोगों में आक्रोश

सांसद व विधायक से लेकर गांव की सरकार भी 20 साल में नहीं बनवा सकी सड़क

रविकांत साहू,सिमडेगा

क्रूसकेला से लेकर भुंडूपानी तक लगभग 10 टोले के लगभग चार हजार लोगों में सरकार, प्रशासन व जनप्रतिनिधियों के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश देखने को मिल रहा है. 10 टोले के लोग लगभग 20 वर्षों से रोड बनने का इंतजार कर रहे हैं, किंतु 20 साल गुजरने के बाद भी सरकार, शासन प्रशासन और न तो जनप्रतिनिधियों द्वारा रोड बनाने की पहल की गयी. इस कारण लगभग चार हजार की आबादी लगभग पांच किमी रोड जर्जर होने से परेशान है. किंतु उक्त ग्रामीणों की परेशानी से शासन प्रशासन सरकार व जनप्रतिनिधियों को कुछ लेना-देना नहीं है. अगर लेना-देना रहता, तो इतने वर्षों में उक्त सड़क बन कर जरूर तैयार हो जाती. इस कारण ग्रामीणों में गुस्सा देखने को मिल रहा है. क्रूसकेला से लेकर भुंडूपानी तक लगभग पांच किमी रोड की स्थिति काफी घटिया व जर्जर है. लगभग पांच किमी तक बने रोड पर पूरी तरह से बोल्डर व नुकीले पत्थर निकल आये हैं. यह हालात एक दो वर्षों के नहीं 20 वर्षों के है. रोड जर्जर होने से उक्त रोड पर सुबह में एक ऑटो किसी तरह शहर जाती है. इसके बाद वहीं ऑटो शाम को वापस गांव की ओर आती है. रात को अगर कोई बीमार पड़ जाये, तो भगवान भरोसे रात काटनी पड़ती है. बरसात में इस रोड में आवागमन की बात करनी पूरी तरह से बेइमानी है. बरसात में वाहनों का आवागमन पूरी तरह से बंद हो जाता है. बारिश में इस रोड में बाइक चलाना कष्टकारी साबित होता है. ऐसे में तीन पहिया या चार पहिया वाहनों के परिचालन की कल्पना बेकार है. बारिश में अगर कोई बीमार पड़ जाता है, तो मरीज को खटिया पर लाद कर लगभग चार से पांच किमी पैदल चल कर क्रूसकेला पहुंचाया जाता है. क्रूसकेला से हर तरह की गाड़ी ग्रामीणों को मिल जाती है.

10 वर्ष पूर्व यह क्षेत्र था घोर नक्सल प्रभावित: यह क्षेत्र लगभग 10 वर्ष पहले घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र था. घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने से इलाके का विकास नहीं हो सका. लगभग 20 वर्ष पहले ही नक्सलियों द्वारा रोड निर्माण कार्य रोक दिया गया था. अब इलाके में नक्सलियों का प्रभाव नहीं है. इसके बाद भी रोड बनाने की पहल नहीं की जा रही है. गांव की सरकार भी रोड बनाने में अक्षम साबित हुई. विधायक व सांसदों के अपेक्षा पूर्ण रवैया से तंग आ चुके लोगों को गांव की सरकार से अपेक्षाएं थी, किंतु गांव की सरकार ने भी ग्रामीणों को पूरी तरह से मायूस किया है.

किसी पार्टी के नेताओं उनकी समस्याओं का हल नहीं किया: ग्रामीणों का कहना है कि अब नेता आयेंगे व रोड बनाने का झूठा आश्वासन देंगे और वोट लेकर चले जायेंगे. नेता जितने के बाद में कभी उनके हालात को देखने के लिए नहीं आते हैं. हर बार झूठा आश्वासन देकर भोले भाले ग्रामीण आदिवासियों के वोट सभी राजनीतिक दल अपने-अपने पाले में कर लेते है. किंतु जितने के बाद ग्रामीणों की समस्याओं को देखने की फुर्सत उन जनप्रतिनिधियों को नहीं मिलती. ऐसे में 10 टोले के लोगों के बीच वोट उत्सव का भी कोई मायने नहीं रखता. ग्रामीणों का कहना है कि वे लोग वोट देकर अपने बीच जनप्रतिनिधियों को चुनते हैं, ताकि वे उनकी समस्याओं का समाधान करें. किंतु 20 वर्षों में झारखंड पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस व भाजपा के अलावा गांव की सरकार को भी उन्होंने चुनने का काम किया. किंतु किसी भी दल या किसी भी पार्टी के जनप्रतिनिधियों ने उनकी समस्याओं को हल नहीं किया.

युवा से बूढ़े हो गये, पर नहीं बना रोड : निस्तार टोप्पो

तिलाईटांड़ निवासी निस्तार टोप्पो ने कहा कि जब वह पूरी तरह से जवानी की दहलीज पर थे. रोड में उन्होंने चौका काटने का काम किया था. उस वक्त सवा रुपये प्रति चौका काटने का मिलता था. किंतु अब वे बूढ़े हो चुके है. लाठी पकड़ कर चलते हैं, किंतु लगभग 20 वर्षों के बाद भी यह रोड नहीं बना. इसका खामियाजा उन्हें और उनके गांव वालों को भुगतना पड़ रहा है.

20 साल भी नही बदली सड़क की स्थिति : कौशल्या

कौशल्या देवी ने बताया कि लगभग 20 वर्ष पूर्व शादी होने के बाद इस गांव में आयी थी. उस वक्त भी रोड की यही स्थिति थी. अब इस रोड की स्थिति और बदतर हो गयी है. रोड में लगभग पांच किमी की दूरी में हर जगह बड़े-बड़े बोल्डर व नुकीले पत्थर निकल आये हैं. पैदल चलने में भी ठेस लग जाने पर पैर जख्मी हो जाता है. कई बार पैदल चलते हुए लोग गिर भी जाते हैं.

प्रभावित टोले: कदमडांड़, तिलाईटांड, कटहलडांड़, अंबाडांड़, भुंडूपानी, कटहलटांड़, कुड़पानी, सरनाडीपा, टांगरटोली व कुसुमटोली.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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