औरंगाबाद. वैशाख में सूर्यदेव का रौद्र रूप दिख रहा है. तपिश से एक ओर जहां आगजनी की घटनाओं में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है, वहीं चिलचिलाती धूप से लोगों का जीना मुहाल हो गया है. खासकर स्कूली बच्चे व किसान बढ़ती गर्मी से परेशान हैं. किसान खेत में झुलस रहे हैं, तो स्कूली बच्चे घर वापस लौटते-लौटते थक कर चूर हो जा रहे हैं. अगले दिन स्कूल जाने में आनाकानी बच्चों के दिनचर्या में शामिल हो गया है. जानकारी मिली कि अधिकतर विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति भी कम हो गयी है. तापमान में लगातार वृद्धि से लोग बीमार पड़ रहे हैं. लू की चपेट में आने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ी है. लोग दस्त के साथ लू मोशन का भी शिकार हो रहे हैं. ऐसे में धूप से बचाव के लिए ठंडे पदार्थ का सेवन ही लोगों का एक सहारा बना है. वैसे अधिकतर लोग दोपहर में घर में ही रहना पसंद कर रहे हैं. दूसरी तरफ बाजार में सन्नाटे के बीच फुटपाथी दुकानदार चिलचिलाती धूप में ग्राहकों का इंतजार कर रहे है. इक्के-दुक्के ग्राहक ही पहुंच रहे हैं. फुटपाथी दुकानदारों ने बताया कि धूप के कारण उनके दुकान तक लोग नहीं पहुंते हैं. रोजगार पूरी तरह ठप हो चुका है. इसके विपरीत तरबूज, खीरा, कोल्ड ड्रिंक्स व आइसक्रीम की खूब बिक्री हो रही है. गुरुवार को देव का तापमान 43 डिग्री सेल्सियस को पार कर किया. वहीं 25 से 35 किलोमीटर प्रति घंटा के रफ्तार से गर्म हवा भी चली. मौसम विभाग ने औरंगाबाद को ऑरेंज अलर्ट ग्रुप में रखा है. बड़ी बात यह है कि सुबह सात बजते ही कड़ी धूप और लू का विकराल रूप शुरू हो जा रहा है. 11 बजते-बजते लगता है आसमान से आग के गोले बरस रहे है. स्कूली बच्चों को सबसे अधिक परेशानी सुबह सात बजे से ही स्थिति विकराल हो जा रही हैं. ऐसे में छोटे-छोटे बच्चे जब स्कूल के लिए निकलते हैं तो उनके चेहरे पर गर्मी की सिकन साफ देखने को मिलती है. विद्यालय से बाहर निकलते ही बच्चे तेज धूप से बचने को लेकर सिर पर बैग या किताब रख लेते है. बच्चों ने बताया कि पढ़ाई जरूरी है. सरकारी स्कूल में फ्री में पढ़ाई होती है. वहीं अगर घर पर कोई शिक्षक आकर पढ़ाते हैं तो 2000 से 4000 रुपये मांगते हैं. इसलिए भीषण गर्मी होने के बावजूद विद्यालय में पढ़ाई करना मजबूरी है. गन्ने के जूस व सत्तू के शरबत की बढ़ी बिक्री आसमान से बरस रहे आग के गोले का असली मजा सड़क किनारे ठेला पर तरबूज, गन्ने का रस और सत्तू के शर्बत बेचने वाले ले रहे हैं. सूर्य मंदिर और सूर्यकुंड एवं हॉस्पिटल मोड व गोदाम मोड के आस-पास गन्ने का जूस, लस्सी, बेल का शरबत ठंडा सहित अन्य शीतल पेय पीने के लिए दुकान पर काफी भीड़ दिख रही है. दुकानदारों ने बताया कि पिछले दो तीन दिनों से जमकर बिक्री हुई. भीषण गर्मी में इन दुकानों पर लोग अपनी प्यास बुझाते हुए दिख रहे हैं. मालूम हो कि आगे चलकर धूप व लू से और परेशानी बढ़ने की आशंका जतायी जा रही है. कहते हैं अधिकारी मौसम का मिजाज गर्म रहने की संभावना है. अगले कुछ दिनों तक लू चलने एवं गर्मी बढ़ने की संभावना है. तापमान के 42 से 44 डिग्री सेल्सियस तक जाने की संभावना है. इसके लिए लोग दोपहर में हीट वेव से बचने का उपाय निश्चित रूप से करें. अनूप चौबे, कृषि वैज्ञानिक कहते हैं चिकित्सक यदि शरीर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक होता है, तो दिल का दौरे पड़ सकते है या इंसान कोमा में भी जा सकता है. ऐसे में लोगों को धूप में निकलने से परहेज करना चाहिए. ठंडे पेय पदार्थ का सेवन करना चाहिए. अधिक जरूरत पड़ने पर धूप में छाता व गमछे का प्रयोग करें. अशोक कुमार, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, देव गर्मी से बचाने पशुओं पर रखे विशेष नजर पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ आर एन प्रसाद ने भीषण गर्मी में पशुओं के बचाव और उनकी देखभाल के लिए किसानों को समसामयिक सलाह दी है. डॉ आर एन प्रसाद ने कहा कि तेज गर्मी के चलते पशुओं को लू-लगने व उनके बीमार होने की संभावना बनी रहती हैं. पशुओं को आहार लेने में अरुचि, तेज बुखार, हांफना, नाक से स्राव बहना, आंखों से आंसू गिरना व आखों में लालिमा आना, पतला दस्त होना आदि लू-लगने के सामान्य लक्षण है.बीमारी के बाद इसके उपचार कराने के बदले इससे बचाव के उपाय करना ज्यादा लाभकारी होता है. ऐसे समय में पशु पालक पशुओं के स्वास्थ्य के प्रति बहुत अधिक सावधानी बरतें. पशुओं के पीने के लिए नांद में सदैव ठंडा और साफ पानी भरे रहना चाहिए. उन्हें दिन के समय सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक छाया दार जगह पर बांधकर रखें.
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