बरारी. श्रीगुरुतेग बहादुर गुरुद्वारा में अवल अला नूर उपाया कुदरत के सब बंदे, एक नूर ते सब जग उपजा कौं भले कौं मंदे गुरुवाणी का श्रवण तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब के हजुरी राज्ञी भाई अरविंद सिंह ने कराया. हजुरी राज्ञी जत्था ने खालसा पंथ के नौंवी पातशाही गुरुतेग बहादुर जी महाराज की कांतनगर की धरती पर 1666 में चरण पड़े. तख्त पटना से आये ज्ञानी हरभजन सिंह ने कान्तनगर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह वह स्थान है, जहां 15O4 में प्रथम गुरु नानक देव जी महाराज एवं नौंवी पातशाही गुरुतेग बहादुर जी महाराज का 1665 पदार्पण हुआ. उन्होंने महीनों संत्संग किया, जिससे भवानीपुर जुड़ा हुआ है. ऐतिहासिक नगरी में आकर सतसंग निहाल हो गयी. कथावाचक ने गुरु साहिब की जीवनी से संगतों को निहाल किया. मंच संचालन कर रहे अवध किशोर सिंह ने बताया कि गुरु साहिब की बीड़ साहिब जो आज लक्ष्मीपुर गुरुद्वारा में दर्शनार्थ रखा गया है. ग्रंथ साहिब की लेखारी कांतनगर में मानक सिंह कलवार किया करते थे. तीन दिवसीय प्रकाश पर्व गुरुग्रंथ साहिब के अखंड पाठ की समाप्ति मंगलवार को दस बजे हुई. उपरांत भव्य पंडाल में गुरुग्रंथ साहिब की हजुरी में दीवान सजाया गया. सजे दीवान में संगतों ने गुरु की पवित्र वाणी का श्रवण कर निहाल हुए. हेड ग्रंथी भाई दलजीत सिंह ने गुरुग्रंथ साहिब जी महाराज के समक्ष मानव कल्याण हेतु अरदास किया. गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटि के प्रधान त्रिलोक सिंह, उप प्रधान कमल सिंह, महासचिव प्रभु सिंह, बबलू सिंह, सत्यदेव सिंह ने बताया कि तीन दिवसीय गुरुपर्व में सर्वसाध संगतों का सहयोग रहा. मौके पर मुखिया उमाकांत सिंह, पूर्व मुखिया जामुन यादव, भण्डारतल गुरुद्वारा के प्रधान अमरजीत सिंह, उप मुखिया बीमल सिंह, भगत सिंह, नरेंद्र सिंह, राजू सिंह, जगजीत सिंह सोडी, भवानीपुर गुरुद्वारा के महासचिव एच सिंह, पूर्व प्रमुख नीलम कौर, सरपंच प्रत्याशी नीलम कौर सोडी सहित काफी संख्या में संगत गुरुपर्व में शामिल हुए.
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