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ईंट-भट्ठों पर काम करने वाले बच्चों के लिए बनेगा पालना घर

राज्य के ईंट-भट्ठों पर काम करने वाले बच्चों के लिए विशेष अभियान चलाया जायेगा. इनके के लिए पालना घर बनाने की स्वीकृति विभागीय स्तर पर हो गयी है.

संवाददाता, पटना राज्य के ईंट-भट्ठों पर काम करने वाले बच्चों के लिए विशेष अभियान चलाया जायेगा. अभियान का मकसद ईंट-भट्ठों पर काम करने वाले बच्चों को अनिवार्य रूप से शिक्षित करना है. उनका बेहतर लालन-पालन भी करना है. अभियान श्रम संसाधन, शिक्षा और समाज कल्याण विभाग की सहायता से होगा, जिसमें ईंट-भट्ठा के संचालकों की भी सहायता लेगा. इनके बच्चों के लिए पालना घर बनाने की स्वीकृति विभागीय स्तर पर हो गयी है. चुनाव बाद इसको लेकर काम शुरू हो जायेगा. बच्चों का होगा पठन-पाठन, शिक्षा विभाग ने शुरू किया काम श्रम अधिनियम के अनुसार ईंट-भट्ठों पर बालक व किशोरों का नियोजन प्रतिबंधित है और यह गैरकानूनी भी है. इसे देखते हुए ही सरकार ने तय किया है कि ईंट-भट्ठों पर काम करने वाले कामगारों के छोटे बच्चों के लिए पालना घर का निर्माण किया जाये, ताकि उनका लालन-पालन बेहतर तरीके से हो सके. बच्चों के पोषण पर भी ध्यान दिया जायेगी. साथ ही इन्हें शिक्षण की भी सुविधा दी जायेगी. चूंकि अधिकतर ईंट-भट्ठे एक-दूसरे के करीब होते हैं. यह है अनुमान , एक हजार अस्थायी शैक्षिक केंद्र का होगा निर्माण अनुमान लगाया गया है कि पांच से 10 ईंट-भट्ठों के समूह के पास 40-50 बच्चे पाए जा सकते हैं. राज्य में 65 सौ से अधिक ईंट-भट्ठा कार्यरत है. इस हिसाब से पढ़ाई के लिए कलस्टर के समीप नियोजकों की सहायता से एक हजार अस्थायी शैक्षिक केंद्र का निर्माण होगा. समग्र शिक्षा अभियान के तहत शिक्षा विभाग की ओर से प्रत्येक शैक्षिक केंद्र पर दो शिक्षकों की व्यवस्था की जायेगी. इसको लेकर कुछ माह पूर्व में श्रम संसाधन विभाग की बैठक हो चुकी है. अब शिक्षा विभाग ने भी काम शुरू कर दिया है. मध्याह्न भोजन के लिए शैक्षणिक केंद्र को नजदीकी प्राथमिक विद्यालय से जोड़ा जायेगा मध्याह्न भोजन के लिए शैक्षणिक केंद्र को नजदीकी प्राथमिक विद्यालय से जोड़ा जायेगा. एससीइआरटी को छह महीने का पाठ्यक्रम डिजाइन करने की जिम्मेदारी सौंपी जायेगी. पाठ्यक्रम दो श्रेणियों में तैयार किया जायेगा. कनीय समूह पांच से 10 वर्ष की आयु और वरीय समूह 10 से 15 वर्ष के बच्चों के लिए डिजाइन की जायेगी.

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