इंक्रीमेंट की उम्मीद लगाए कर्मचारियों का टूटेगा सपना, ड्राई प्रमोशन अर्थात बिना पैसे का प्रमोशन
Dry Promotion: अप्रैल का महीना प्राइवेट फर्मों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए काफी उम्मीदों वाला होता है. पिछले कुछ साल में इन उम्मीदों पर एक नया टर्म पानी फेरता नजर आ रही है. यह टर्म है ‘ड्राई प्रमोशन’. एम्प्लॉयर में ड्राई अप्रैजल का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है. इससे इम्पलॉई नाखुश हैं. तो आइए जानते हैं कि क्या है ड्राई प्रमोशन और क्यों इसे कर्मचारियों के हित में नहीं बताया जा रहा. सवाल उठता है कि आखिर ड्राई प्रमोशन क्या है? क्यों इसे कर्मचारियों के हित में नहीं बताया जा रहा है. इसका सीधा जवाब है कि आपकी कुर्सी का दायरा और ऊंचाई कंपनी मैनेजमेंट के द्वारा बढ़ा दी जाती है, पर पैसा नहीं बढ़ाया जाता. इसका मतलब होता है कि इंक्रीमेंट अवधि के बाद सैलरी में सूखा. सैलरी में एक पैसा नहीं बढ़ता, रूतबा बढ़ा दिया जाता है. अब इतने से आप खुश हैं तो ठीक, नहीं तो कंपनी छोड़ने का विकल्प तो हमेशा खुला रहता है. इसे ही कहते हैं ड्राई प्रमोशन.
Dry Promotion: 2018 से शुरू हुआ यह कॉन्सेप्ट
यह सारा हंगामा वॉल स्ट्रीट जर्नल की हालिया रिपोर्ट के बाद बरपा है, जिसके मुताबिक 13 प्रतिशत से अधिक कंपनियों या एम्प्लॉयर ने कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने की बजाय उन्हें प्रमोशन देने के ट्रेंड को अपनाया है. ड्राई प्रमोशन का कॉन्सेप्ट 2018 से अमेरिका से शुरू हुआ. कोविडकाल में इसका ट्रेंड चल निकला, जब कंपनियों में छंटनी का दौर चल रहा था. तब कई ऐसी कंपनियां थीं, जो अपने एम्पलाई को खोना नहीं चाहती थीं. वैसी स्थिति में उन्होंने ‘ड्राई प्रमोशन’ का सहारा लिया. 2020 में ड्राई प्रमोशन परवान पर था. धीरे-धीरे इसमें वृद्धि हुई और अब 2024 में यह 13 परसेंट पर जा पहुंचा.
Dry Promotion: 2018 में 8%, इस साल बढ़कर हुआ 13%
कंपनसेशन कंसलटेंट पर्ल मेयर की रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है कि वर्तमान में 13% से अधिक एम्प्लॉयर कर्मचारियों के वेतन में इंक्रीमेंट करने की बजाय प्रमोशन देते हैं. वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में ऐसी कंपनियां 8 फीसदी थीं, जो ड्राई प्रमोशन देती थीं. अब इनकी संख्या 13 फीसदी तक पहुंच चुकी है. मर्सर द्वारा 900 कंपनियों का सर्वेक्षण किया गया है, जिससे कर्मचारियों के लिए यह डराने वाला आंकड़ा निकल कर सामने आया है. इस सर्वेक्षण में यह भी खुलासा हुआ है कि पिछले साल की तुलना में कंपनियां इंक्रीमेंट का बजट घटा चुकी हैं अर्थात इस वर्ष कर्मचारी ज्यादा इंक्रीमेंट का सपना पाल कर नहीं रखें इससे निराशा हाथ लगेगी.
Dry Promotion: ड्राई प्रमोशन की सबसे बड़ी वजह एआई
कोरोना काल के बाद से ही आर्थिक अनिश्चितता का क्रम शुरू हुआ. अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के आने के बाद इस तरह का ट्रेंड देखा जा रहा है कि कर्मचारियों को इंक्रीमेंट के नाम पर ‘ड्राई प्रमोशन’ देकर खुश कर दिया जाता है. इससे अंततोगत्वा कंपनी को फायदा होता है. इसमें कर्मचारियों की सैलरी या तो बढ़ाई ही नहीं जाती, या बढ़ाई भी जाती है तो बेहद मामूली. इसमें बढ़ती है तो कंपनी के प्रति जिम्मेदारियां.
Dry Promotion: केवल प्रमोशन से नाम का फायदा
सवाल उठता है कि ड्राई प्रमोशन से कर्मचारियों को आखिरकार हासिल क्या होता है? पैसा तो बढ़ता नहीं? इसका जवाब है कर्मचारियों को कंपनी का एक खास एसेट होने का अहसास होता है. कंपनी में रूतबा बढ़ता है. यदि नाम के पहले सीनियर जैसा शब्द जोड़वाने से आप खुश हैं तो ड्राई प्रमोशन पाने के बाद आप थोड़ा खुश तो हो सकते हैं, पर पैसों की वृद्धि के मापदंड पर देखें तो यह कर्मचारी के लिए कहीं से फायदेमंद नहीं होता. मतलब वर्क लोड भी बढ़ता है और आर्थिक मोर्चे पर कोई लाभ भी नहीं.
Dry Promotion: कंपनियों की सोच: कम बजट में एम्पलाइज को होल्ड करने की नीति
यहां कंपनियों की सोच यह है कि कम बजट में कैसे अपने एम्पलाइज को होल्ड करके रखा जा सके. कंपनियां ऐसी सूरत में एम्पलाई का डेजिगनेशन या पद बढ़ा देती हैं. इससे वेतन मद में एक अच्छा-खासा बजट उनका बच जाता है. कंपनियां अपने लागत खर्चे को घटाने के लिए हरसंभव उपाय करना चाहती हैं. इन्हीं में से एक उपाय है ड्राई प्रमोशन का. विशेषज्ञों के मुताबिक ड्राई प्रमोशन जैसी चीजें कर्मचारियों के हित में कतई नहीं हैं. इससे उनका पूरा आर्थिक ढांचा ही चरमरा जाएगा. वास्तव में यह एक तरह का डिमोशन ही है, क्योंकि सैलरी में इंक्रीमेंट की बजाय यह कर्मचारियों की जिम्मेदारियों में बढ़ोतरी की जा रही है. इस बढ़ोतरी के लिए कोई मुआवजा यानी सैलरी में बढ़ोतरी भी नहीं की जा रही है. इससे कर्मचारियों पर वर्कलोड बढ़ जाएगा.
क्यों हो रहा ऐसा: लागत खर्च कम करना चाहती हैं कंपनियां
एक मल्टी नेशनल कंपनी के एचआर विभाग के दीपक बताते हैं कि कंपनी में ड्राई प्रमोशन, कॉस्ट कटिंग व छंटनी जैसे प्रोसेस तब किए जाते हैं जब कंपनियां अपना लागत खर्च कम करना चाहती हों. यह आमतौर पर तब होता है जब कंपनी घाटे में चल रही हो अथवा उसका मुनाफा टारगेट के अनुसार नहीं हो रहा हो. ड्राई प्रमोशन का बढ़ता ट्रेंज कंपनियों के हिसाब से सही है, लेकिन एंप्लाइज के हिसाब से यह एक गलत रणनीति है.
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