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विकसित भारत के लिए नवाचार को प्रोत्साहित करें : प्रो अनिल

जनजातीय भाषा, संस्कृति एवं आदिम ज्ञान परंपरा को संरक्षित करके भारत को विकसित राष्ट्र की श्रेणी में लाया जा सकता है.

रांची. जनजातीय भाषा, संस्कृति एवं आदिम ज्ञान परंपरा को संरक्षित करके भारत को विकसित राष्ट्र की श्रेणी में लाया जा सकता है. यह बात मंगलवार को संतोष कॉलेज ऑफ टीचर्स ट्रेनिग एंड एजुकेशन के आइक्यूएसी सेल द्वारा डोरंडा के पलाश ऑडिटोरियम में आयोजित सेमिनार में मुख्य अतिथि प्रो अनिल दत्तात्रेय सहस्त्रबुद्धे ने कहीं. इस सेमिनार का विषय विकसित भारत @2047: भारत के जनजातियों की आवाज था. वहीं सम्मानित अतिथि के रूप में केंद्रीय विवि के कुलपति प्रोफेसर क्षिति भूषण और विशिष्ट अतिथि के रूप में रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजीत कुमार सिन्हा व डीएसपीएमयू के कुलपति डॉ तपन कुमार शांडिल्य उपस्थित थे. इस अवसर पर अतिथियों ने सोविनियर, जनजातीय लोक संगीत संकलन पुस्तिका एवं त्रैमासिक ज्ञान पीयूष का विमोचन किया गया. इसके अलावा वैल्यू एडेड कोर्स डिजिटल कंटेट क्रिएशन की औपचारिक शुरुआत की गयी. इस सेमिनार में तीन सत्र का आयोजन किया गया. इसमें वक्ता के रूप में एनसीइआरटी के प्रो सत्येंद्र कुमार यादव एवं प्रोफेसर सरोज यादव, सीयूजे के मानवशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर रवींद्र नाथ शर्मा और झारखंड के विभिन्न विवि के शोधार्थियों व व्याख्याताओं द्वारा शोध पत्र प्रस्तुत किया गया. वहीं समापन समारोह में मुख्य अतिथि जेयूटी के कुलपति प्रो डीके सिंह ने वक्ताओं और प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया. इस अवसर पर डॉ रश्मि, डॉ शुभ्रा ठाकुर, डॉ अनीता मिश्रा, डॉ भावना झा, खुशबू कुमारी और हेमंत कुमार सहित अन्य मौजूद थे.

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