मदद को चीखती रही बेटी, न उस वक्त न कोई आया और न ही मरने के बाद कोई शव उठाने आया सामने
बढ़ती गर्मी में पानी की पैदा हो रही किल्लत के बीच हुए एक विवाद में पानी के बदले भाई ने भाई का ही खून बहा दिया. मामला भागलपुर जिला के हबीबपुर थाना क्षेत्र स्थित शाहजंगी मोहल्ले का है. शाहजंगी स्थित पुरानी महल के पीछे मोहल्ला में रहने वाले टोटो चालक मो कामिल उर्फ कामो (55) मंगलवार सुबह करीब 9 बजे हर दिन की तरह अपने पैतृक घर पर पानी लेने के गये थे. जहां पहुंचने पर उनके छोटे भाई मो लाल ने पानी लेने से मना कर दिया. इसी बात को लेकर शुरू हुआ विवाद मारपीट में तब्दील हो गया. इस दौरान छोटे भाई ने अपने बड़े भाई को लाठी-डंडे से पीटना शुरू कर दिया. इस बीच कामो की बेटी रोजी चीख-चीख कर मोहल्ले के लोगों से अपने पिता को बचाने के लिए मदद मांगती रही. पर कोई भी सामने नहीं आया. मो लाल अपने बड़े भाई को तब तक पीटा जब तक वह बेहोश नहीं हो गया. बेहोशी के हालत में करीब दो घंटे तक कामो ऐसे ही पड़ा रहा. जहां बेटी और पत्नी दोनों लोगों से उनके पिता को डाॅक्टर के पास ले जाने के लिए गुहार लगाती रही. पर कोई सामने नहीं आया. इसी दौरान बाहर से काम कर लौटे पड़ोसी कलीम ने जब यह देखा तो उसने मोहल्ले के लोगों को धुतकारा और अपने भाई-भतीजों के साथ कामो को उठाकर इलाके में मौजूद एक निजी डाॅक्टर के पास लेकर गये. जहां डाॅक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. दोपहर करीब दो बजे हबीबपुर पुलिस को इस बात की सूचना मिली. जिसके बाद पुलिस जांच को पहुंची. जहां मृतक कामो की बेटी ने पुलिस को सारी बातों की जानकारी दी. पुलिस ने मामले में मृतक की पत्नी बीबी रानी के लिखित आवेदन पर केस दर्ज कर शव को देर शाम पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. पुलिस के पहुंचने के बाद से ही लाल और उसके परिवार के लोग अपना घर छोड़ फरार हो चुके थे. उनकी तलाश में पुलिस देर रात तक छापेमारी करती रही.
शव पोस्टमार्टम के लिए ले जाने के लिए कोई नहीं आया सामने, पड़ाेसी कलीम ने की मदद
मो कामिल उर्फ कामो की मौत के बाद मोहल्ले वालों की संवेदनहीनता सामने आयी. जहां कामो की पिटाई के वक्त उसकी मदद को कोई सामने नहीं आया था और न ही अस्पताल ले जाने के लिए. वहीं पुलिस के पहुंचने के बाद जब शव को पोस्टमार्टम भेजने की बात आयी तो मौके पर तमाशबीन बने दर्जनों लोग देखते रहे. जिस कलीम ने पहले मदद की थी फिर उसी अपने परिवार के लोगों को तैयार किया और शव को उठाकर टेंपो में लोड कर पोस्टमार्टम हाउस लेकर पहुंचे.
खाने पर भी थी आफत, प्लास्टिक का तिरपाल लगा रह रहा था परिवार, बेटी को पढ़ाने में नहीं छोड़ी थी कसरमृतक कामिल उर्फ कामो का घर पन्नी के बने तिरपाल का था. दो घरों के बीच प्लास्टिक का तिरपाल बांध 55 वर्षीय कामिल अपने पत्नी और एक बेटी के साथ गुजर बसर कर रहे थे. एक बेटी रोजी के अलावा उन्हें कोई और संतान नहीं थी. टोटो चलाकर होने वाली कमाई पूरी की पूरी वह अपनी बेटी की पढ़ाई में झोंक देते थे. अगले दिन घर में खाना बनेगा या नहीं इसकी चिंता उन्हें नहीं थी. पर बेटी की पढ़ाई-लिखाई में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी थी.
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