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Jamnagar: कौन हैं जाम साहेब शत्रुशल्य सिंह? पीएम मोदी को दिया विजयी भव का आर्शीवाद, जामनगर का पोलैंड कनेक्शन जानें

Jamnagar: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात में गुरुवार को ताबड़तोड़ रैली की. उन्होंने जामनगर में भी लोगों को संबोधित किया. लेकिन इस बीच उन्होंने जाम साहेब शत्रुशल्य सिंह से मुलाकात की और उनका आर्शीवाद लिया.

Jamnagar: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के जामनगर में जाम साहेब श्री शत्रुसल्य सिंह जी से उनके आवास पर मुलाकात की. पीएम ने इसकी जानकारी एक्स पर पोस्ट कर दी. पीएम ने वीडियो शेयर किया और लिखा, उनके साथ अद्भुत बातचीत हुई. उनसे मिलना हमेशा सुखद होता है. उनकी गर्मजोशी और बुद्धिमत्ता अनुकरणीय है. जाम साहेब शत्रुशल्य सिंह नावानगर के महाराजा हैं. जो प्रथम श्रेणी क्रिकेटर भी रहे हैं.

जाम साहेब श्री शत्रुसल्य सिंह ने पीएम मोदी को दिया विजयी भव का आर्शीवाद

जाम साहेब श्री शत्रुसल्य सिंह जी से मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जामनगर में रैली को संबोधित किया और कहा, गुजरात ने वर्तमान में देश के लिए जितना योगदान दिया है उतना ही योगदान अतीत में भी दिया है. जामनगर के महाराजा दिग्विजय सिंह ने द्वितीय विश्व युद्ध के समय पोलैंड के नागरिकों को जामनगर में शरण दी थी. उन्होंने जो बीज बोए इसके कारण आज भी पोलैंड के साथ हमारे रिश्ते मजबूत हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, आज भी पोलैंड के संसद में सत्र की शुरुआत होती है, तो सबसे पहले जामनगर का स्मरण किया जाता है. पीएम ने कहा, मैं यहां आने से पहले जाम साहेब से मिलने गया था और उनका आर्शीवाद लिया. जाम साहेब ने मुझे पगड़ी पहनाई और विजयी भव का आर्शीवाद दिया. पीएम मोदी ने कहा, जब जाम साहेब किसी को विजयी भव का आर्शीवाद देते हैं, तो उसकी जीत निश्चित हो जाती है.

क्या है जामनगर और पोलैंड के बीच कनेक्शन

पोलैंड में आज भी जामनगर की खुब चर्चा होती है. वहां के महाराजा जाम साहेब दिग्विजयसिंह जी रणजीतसिंह जी को पोलैंड में भगवान की तरह पूजा जाता है. उनकी दयालुता की कहानी कही जाती है. जब आप पोलैंड जाएंगे, तो महाराजा के नाम पर कई सड़कों के नाम नजर आ जाएंगे. दरअसल द्वितीय विश्व युद्ध के समय जामनगर के महाराजा ने पोलैंड के सैकड़ों नागरिकों को अपने यहां शरण दी थी. 600 से अधिक पोलैंड के बच्चे और महिलाओं को महाराजा ने न केवल शरण दिया, बल्कि बच्चों को स्कूलों में दाखिला भी कराया. जब हिटलर ने पोलैंड पर आक्रमण कर दिया था, तब पोलैंड के सैनिकों ने 500 महिलाओं और करीब 200 बच्चों को जहाज में बैठाकर विदा कर दिया था. सैनिकों ने उस समय कहा था कि जिस देश में शरण मिल जाए, वहां चले जाओ और फिर स्थिति नियंत्रण में होने पर वापस लौट आना. लेकिन पोलैंड के नागरिकों को किसी देश में शरण नहीं मिली. आखिर में पोलैंड नागरिकों का जहाज जामनगर के तट पर पहुंचा. तात्कालिन महाराजा जाम जाम साहेब दिग्विजय सिंह ने बच्चों और महिलाओं के लिए अपना महल का दरवाजा खोल दिया. उनको न केवल अपने यहां आश्रय दिया, बल्कि बच्चों को स्कूलों में दाखिला भी कराया. पोलैंड के ये शरणार्थी करीब 9 साल तक जामनगर में रहे. महाराजा की इसी दयालुता के कारण पोलैंड में जामनगर और महाराजा दिग्विजय सिंह की पूजा होती है.

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