समस्तीपुर : यूं तो विद्युत कंपनी उपभोक्ताओं को सुचारू बिजली आपूर्ति के लिये राउंड द क्लॉक सेवा देने का दावा करता है लेकिन हकीकत में ग्राहकों को 24 घंटे की सेवा नहीं मिल रही है. बेतहाशा गर्मी के कारण दिन में एसी-कूलर चलने के वजह से बिजली का उपभोग बढ़ा है. इससे ट्रांसफॉर्मर ओवरलोड होकर हांफ रहे हैं. किसी का तेल रिसने लगा है तो कोई ओवरहीट से फुंक रहे हैं तो कही उससे जुड़े केबल जल जा रहे है. इन फाॅल्टों को दुरुस्त करने के लिए दो से चार घंटे बिजली बंद करना अब आम बात हो गयी है. यह केवल इस गर्मी की बात नहीं है. हर साल गर्मी आते ही टांसफार्मर हांफने लगते हैं. बिजली कटौती से परेशान उपभोक्ताओं को लो वोल्टेज की समस्या से जूझना पड़ता है. बिजली कंपनी के अधिकारी अत्यधिक गर्मी पड़ने के कारण पानी सूखने का हवाला देते हुए अर्थिंग कमजोर होने की बात कह पल्ला झाड़ लेते है. शहर के विकास भवन रोड स्थित पावर ट्रांसफॉर्मर से जुड़े केबल में आग लग गए. कुछ यही हाल गोला रोड स्थित ट्रांसफॉर्मर का भी हुआ. शहर के तिरहुत एकेडमी रोड स्थित ट्रांसफॉर्मर अचानक से जोरदार आवाज कर लो वोल्टेज देने लगा. वही ताजपुर रोड स्थित ट्रांसफॉर्मर जल गया. जिसे बदलकर गुरुवार को लोड दिया गया. बिजली कंपनी से जुड़े अधिकारियों की माने तो फिलहाल शहर में बिजली सप्लाई टाउन वन,टू,थ्री, इमरजेंसी फीडर बना कर दी जा रही है. शहरी क्षेत्र के करीब 22 हजार उपभोक्ता को बिजली सप्लाई देने के लिए करीब 185 से अधिक सप्लाई ट्रांसफॉर्मर लगाए गए है. लेकिन इन फीडरों में उत्पन्न फाल्ट को दुरुस्त करने,फ्यूज काॅल बनाने, तार जोड़ने व विद्युत संचरण व्यवस्था से जुड़े अन्य कार्यों की देखरेख के लिए फील्ड में करीब 12 मानव बल और कुछेक सरकारी मिस्री कार्यरत है. वही कुछ सरकारी मिस्री व मानव बल बिजली कंपनी के कार्यालय,नाइट गार्ड व अन्य कार्यो के लिए तैनात किए गए है. कभी फाल्ट उत्पन्न होता है तो मानव बलों को चार से पांच घंटे दुरुस्त करने में लग जाते है. न ग्लब्स, न दस्ताना. बिजली कंपनी के फ्यूज कॉल ठीक करने वाले मानव बल जान जोखिम में डालकर नंगे हाथों से बिजली का तार पकड़ रहे हैं. कारण कि बिजली कंपनी के मापदंड के अनुसार 4500 रुपए में आईटीआई पास लड़के नहीं मिल रहे हैं. बिजली कंपनी को मैन पावर सप्लाई करने वाली एजेंसी ने इन्हे बहाल कर रखा है. सप्लाई ट्रांसफॉर्मर , उपभोक्ताओं की संख्या व विद्युत संचरण व्यवस्था को देखते हुए और मानव बलों की आवश्यकता बताया जा रहा है लेकिन बहाली क्यों नहीं की जा रही इसकी जानकारी देने से बिजली कंपनी के अधिकारी परहेज कर रहे है. सुविधा के नाम पर मानव बलों को क्या दिया जाता है, यह भी किसी से छिपा नहीं है.
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