Indian Railways: मुजफ्फरपुर. सहरसा और सिवान के बाद सबसे अधिक यात्री वैशाली एक्सप्रेस में सफर करते है. ऐसे में गाड़ी संख्या-12553 वैशाली एक्सप्रेस से कमाई के मामले में भी मुजफ्फरपुर जंक्शन टॉप -5 में तीसरे स्थान पर है. आमदनी के मामले में बरौनी, समस्तीपुर व हाजीपुर से मुजफ्फरपुर आगे निकल चुका है. आंकड़ों के अनुसार बीते एक वर्ष में मुजफ्फरपुर जंक्शन से वैशाली एक्सप्रेस में 51,806 यात्री सफर करते है. जिससे जंक्शन को 5.67 करोड़ की आमदनी हुई है.
औसतन प्रति महीने 4 हजार से अधिक यात्री करते हैं सफर
रिकॉर्ड के तहत औसतन प्रति महीने 4 हजार से अधिक यात्री के सफर का डाटा सामने आया है. इस कड़ी में सहरसा और सिवान जंक्शन पहले और दूसरे स्थान पर है. वहीं पांचवे स्थान पर गोरखपुर जंक्शन है. बता दें कि सहरसा से समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, गोरखपुर होते हुए दिल्ली तक जाने वाली वैशाली एक्सप्रेस नियमित ट्रेन है. जिसमें टिकट को लेकर हमेशा मारामारी की स्थिति बनी रहती है. दिल्ली जाने के लिये पहले यात्री वैशाली में ही टिकट की खोज करते है. हालांकि हमेशा वेटिंग की स्थिति बनी रहती है.
यात्री व आमदनी का आंकड़ा
- सहरसा – यात्री – 1,01,703 आमदनी – 10.6 करोड़
- सिवान – यात्री – 94,749 आमदनी – 9.59 करोड़
- मुजफ्फरपुर – यात्री – 51,806 आमदनी – 5.67 करोड़
- समस्तीपुर – यात्री – 56,817 आमदनी – 5.05 करोड़
- गोरखपुर – यात्री – 44,518 आमदनी – 4.14 करोड़
50 साल पहले शुरू हुआ था परिचालन
वैशाली एक्सप्रेस बनने से पहले यह जयंती जनता एक्सप्रेस थी. इसका परिचालन 31 अक्टूबर 1973 को समस्तीपुर से नई दिल्ली तक हुआ. इसका उदघाटन तत्कालीन रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र ने किया था. शुरुआत में ट्रेन समस्तीपुर से खुलकर बरौनी, मोकामा, पटना के रास्ते नई दिल्ली को जाती थी. समस्तीपुर मुजफ्फरपुर रेलखंड के बड़ी रेललाइन में परिवर्तित होने के बाद यह मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, बरौनी, पटना होकर चलने लगी. 7 साल बाद वर्ष 1982 से बरौनी से खुलकर मोकामा, पटना नहीं जाकर यह समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, हाजीपुर होकर चलने लगी. उसके बाद 7 मार्च 2019 से इसका विस्तार सहरसा तक किया गया. लखनऊ और कानपुर रूट होकर इस ट्रेन को परिचालित करने के लिए जयंती जनता का नाम बदलकर वैशाली सुपर फास्ट एक्सप्रेस किया गया.