Education : शिक्षा के नाम पर महंगी फीस लेनेवाले ऐसे कई संस्थान व विश्वविद्यालय है, जो छात्रों को फर्जी डिग्री थमा का उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हैं. इसी के चलते विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) समय-समय पर ऐसे संस्थानों से सचेत रहने की चेतावनी देता है. ऐसे में आप अगर हायर एजुकेशन या प्रोफेशनल स्टडी के लिए किसी संस्थान में दाखिला लेने का मन बना रहे हैं, तो संस्थान से संबंधित इन बातों पर ध्यान जरूर दें…
जाचें संस्थान की मान्यता
काेर्स के अनुसार दाखिले के लिए आप जिस विश्वविद्यालय में दाखिला लेने का मन बना रहे हैं, सबसे पहले उसकी मान्यता की जांच करें. बारहवीं के बाद की पढ़ाई करानेवाले संस्थान की मान्यता आप यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन (यूजीसी) की वेबसाइट पर जांच सकते हैं. वहीं टेक्निकल एजुकेशन जैसे – इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी, मैनेजमेंट स्टडीज, वोकेशनल एजुकेशन आदि कोर्सेज करानेवाले किसी संस्थान की मान्यता देखने के लिए एआईसीटीई वेबसाइट की मदद ले सकते हैं. संस्थान के साथ कोर्स की मान्यता भी जरूर जाचें. किसी संस्थान को मान्यता प्राप्त होने का यह मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि सभी तरह के कोर्स चलाने के लिए उसे मान्यता मिली हुई है. ये दोनों अलग-अलग मुद्दे हैं.
देखें संस्थान की रैंकिंग
भारत में सबसे महत्वपूर्ण रैंकिंग प्राधिकरण एनआईआरएफ (राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क) है. इसके तहत विश्वविद्यालयों को विभिन्न श्रेणियों जैसे-टीचिंग, इंप्लॉयबिलिटी, रिसर्च फैसिलिटी आदि मापदंडों के आधार पर रैंक दी जाती है. इसके अलावा यूजीसी की गाइडलाइन के तहत राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) की ओर से यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को रेटिंग दी जाती है. नैक रेटिंग से छात्रों को संस्थान के बारे में शिक्षा की गुणवत्ता, अनुसंधान, बुनियादी ढांचा और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी जानकारी हासिल करने में आसानी होती है. इतना ही नहीं, नैक ग्रेड शिक्षण संस्थानों की दी गयी डिग्रियों का मूल्य भी निर्धारित करते हैं. हाल ही में भारतीय विश्वविद्यालयों ने क्यूएस स्टार रेटिंग भी मांगना शुरू कर दिया है. क्यूएस एक अंतरराष्ट्रीय रेटिंग प्रणाली है, जो कई मापदंडों पर विचार करती है.
टीचिंग स्टाफ व करिकुलम के बारे में जानें
फैकल्टी एवं टीचिंग स्टाफ किसी भी संस्थान की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी होते हैं. आज कोई भी प्रतिष्ठित संस्थान अच्छा अनुभव रखनेवाले शिक्षकों की बहाली पर ही जोर देता है, फिर भी बेहतर होगा कि जिस कोर्स में आप दाखिला लेना चाह रहे हैं, संस्थान में उस विषय को पढ़ानेवाले शिक्षकों के बारे में जानकारी प्राप्त करें. इसके लिए पुराने छात्रों से बातचीत करना सबसे अच्छा विकल्प है. साथ ही संस्थान द्वारा कोर्स के तहत कराये जानेवाले करिकुलम व प्रॉस्पेक्टस को बारीकी से समझें.
प्लेसमेंट रिकॉर्ड को दें महत्व
किसी भी यूनिवर्सिटी या कॉलेज का प्लेसमेंट का रिकॉर्ड चेक करने के लिए छात्रों को उनके बीते पांच सालों का ट्रैक रिकॉर्ड देखना चाहिए. किस तरह की कंपनियां वहां आती है और कितने पैकेज तक का जॉब ऑफर करती हैं, इसके बारे में कॉलेज या यूनिवर्सिटी से वेबसाइट्स से जानकारी प्राप्त करें.