Supreme Court सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि किसी व्यक्ति को चुनाव लड़ने से सिर्फ इसलिए नहीं रोका जा सकता, क्योंकि उसका नाम किसी राजनेता के नाम पर है. सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें यह मांग की गई थी उस व्यक्ति को चुनाव लड़ने ने रोका जाए, जिसका नाम किसी राजनेता के नाम पर हो. तीन सदस्यीय बेंच का नेतृत्व जस्टिस बीआर गवई कर रहे थे. याचिका में यह मांग की गई थी कि दिशा में कार्रवाई के लिए चुनाव आयोग को निर्देशित किया जाए.
नाम के कारण चुनाव लड़ने से रोकना अधिकारों का हनन
कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि अगर कोई जन्म से राहुल गांधी या लालू यादव के साथ है, तो क्या हम उन्हें चुनाव लड़ने से रोक सकते हैं? कोर्ट ने याचिका दाखिल करने वाले व्यक्ति साबू स्टीफन के वकील वीके बिजू से पूछा कि क्या हम उनके अधिकारों का हनन नहीं कर रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि अगर किसी राजनेता के समान नाम होने से अगर हम किसी व्यक्ति को चुनाव लड़ने से रोकते हैं, तो क्या यह उसके चुनाव लड़ने के अधिकारों के रास्ते में बाधा नहीं है? कोर्ट ने कहा कि क्या आपको पता है कि इस केस की किस्मत क्या है? इतना कहने के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता को केस वापस लेने की अनुमति दे दी.
मतदाताओं के मन में भ्रम की स्थिति
याचिका दाखिल करने वाले साबू स्टीफन ने कोर्ट से यह मांग की थी कि वह किसी राजनेता के हमनाम को चुनाव मैदान में उतरने से रोकें, क्योंकि इससे मतदाताओं के मन में भ्रम की स्थिति बनती है. स्टीफन ने इसके लिए जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 और चुनाव संचालन नियम, 1961 में उचित संशोधन का सुझाव भी दिया था. हालांकि याचिकाकर्ता ने यह भी माना कि समान नाम वाले व्यक्ति सभी फर्जी नहीं हैं. कोर्ट ने इसपर यह कहा कि किसी माता-पिता को उसके बच्चों का नाम रखने से कैसे रोका जा सकता है. यह उनका अधिकार है.