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हेमंत ने गिरफ्तारी को दी थी चुनौती, हाइकोर्ट ने खारिज कर दी याचिका

रांची.

हाइकोर्ट ने इडी की कार्रवाई और हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को चुनौती देनेवाली याचिका खारिज कर दी है. न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि यह मामला सिर्फ

रांची.

हाइकोर्ट ने इडी की कार्रवाई और हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को चुनौती देनेवाली याचिका खारिज कर दी है. न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि यह मामला सिर्फ पीएमएलए की धारा-50 के तहत जबरन बयान दर्ज कराने पर आधारित नहीं है. यह मामला इडी द्वारा पेश किये गये वैसे दस्तावेज पर भी आधारित नहीं है, जो वास्तविक नहीं हैं, जैसा की याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया. कोर्ट में पेश रिकार्ड के आलोक में यह मामला राजस्व से जुड़े दस्तावेज में जालसाजी से संबंधित है. रिकार्ड के हिसाब से पहली नजर में तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का संबंध भानु प्रताप प्रसाद से प्रतीत होता है.

कोर्ट ने कहा कि सदर थाने में दर्ज प्राथमिकी (271-2023) में हेराफेरी की गयी है. याचिकाकर्ता की ओर से गिरफ्तारी और छापेमारी की प्रक्रिया को चुनौती नहीं दी गयी है. साथ ही जब्त किये गये 36 लाख रुपये से भी इनकार नहीं किया गया है. इसलिए याचिका निरस्त की जाती है. न्यायालय ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि याचिका पर हाईकोर्ट की राय से ट्रायल प्रभावित नहीं होगा. उल्लेखनीय है कि हेमंत सोरेन ने इडी की कार्रवाई को चुनौती देते हुए हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी. हाइकोर्ट ने मामले में सुनवाई पूरी करने के बाद 28 फरवरी 2024 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. एक्टिंग चीफ जस्टिस एस चंद्रशेखर और न्यायाधीश नवनीत कुमार की पीठ ने सोमवार को अपना फैसला सुनाया. मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा था. उनका साथ महाधिवक्ता राजीव रंजन व अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने दिया था.

प्रार्थी के अधिवक्ता ने कहा-हेमंत के खिलाफ मनी लॉउंड्रिंग का कोई मामला नहीं :

प्रार्थी का पक्ष रखते हुए वरीय अधिवक्ता श्री सिब्बल ने कहा था कि हेमंत सोरेन के खिलाफ मनी लॉउंड्रिंग का कोई मामला नहीं है. बरियातू की जिस 8.50 एकड़ जमीन पर इडी की ओर से जबरन उनका कब्जा व अधिग्रहण की बात कही जा रही है, वह शेड्यूल ऑफेंस में नहीं आता है. मूल दस्तावेज में भी हेमंत सोरेन का नाम नहीं है. पंजी-2 में छेड़छाड़ का जो आरोप लगाया जा रहा है, वह गलत है. पंजी-2 में जो छेड़छाड़ का कार्य भानु प्रताप प्रसाद की ओर से किया गया है, उसमें हेमंत सोरेन की कोई संलिप्तता नहीं है. हेमंत सोरेन द्वारा उक्त जमीन से धन अर्जित करने का कोई मामला भी नहीं बनता है. श्री सिब्बल ने यह भी कहा था कि पीएमएलए की धारा-50 के तहत भानु प्रताप प्रसाद सहित अन्य गवाहों का जो बयान इडी ने दर्ज किया है, उसे हेमंत सोरेन के खिलाफ अदालत में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.

इडी के अधिवक्ता बोले-हेमंत के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं इडी के पास :

इडी की ओर से एएसजीआइ वरीय अधिवक्ता एसवी राजू और अधिवक्ता एके दास ने पक्ष रखते हुए कहा था कि हेमंत सोरेन के खिलाफ शेड्यूल ऑफेंस का मामला बनता है. उनके खिलाफ इडी के पास पर्याप्त सबूत मौजूद हैं. प्रार्थी ने बरियातू में बड़गाईं अंचल की 8.50 एकड़ जमीन पर राजस्व उप निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद के सहयोग से कब्जा किया है. अंचलाधिकारी मनोज कुमार, राजस्व उप निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद, सीएमओ के कर्मी व जमीन के केयरटेकर ने भी जमीन हेमंत सोरेन का होना बताया है. उक्त जमीन पर हेमंत सोरेन तीन बार जा चुके हैं. विनोद सिंह व हेमंत सोरेन के बीच हुए व्हाट्सऐप चैट में इस जमीन पर बैंक्वेट हॉल बनाने की बात सामने आयी है. बड़गाईं अंचल के सीओ से राजकुमार पाहन के जमीन पर कब्जे की शिकायत के बाद एसएआर कोर्ट ने 29 जनवरी 2024 को राजकुमार पाहन को उक्त जमीन का मालिकाना हक दे दिया. यह मालिकाना हक उन्हें तब दिया गया, जब इडी ने दिल्ली में हेमंत सोरेन के आवास पर छापेमारी की थी. पहले समन के बाद से ही हेमंत सोरेन ने अपनी शक्ति का उपयोग करते हुए इस केस से संबंधित साक्ष्य को नष्ट करने का प्रयास किया है. इडी ने आठ अगस्त 2023 को जमीन घोटाले में पहला समन किया था तथा उन्हें 14 अगस्त को उपस्थित होने को कहा गया था. इडी ने प्रार्थी को 10 समन भेजे थे. श्री राजू ने सुप्रीम कोर्ट के रोहित टंडन व तरुण कुमार केस के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि पीएमएलए की धारा-50 के तहत लिया गया स्टेटमेंट अदालत में मान्य होगा.

छह को पुलिस कस्टडी में चाचा के श्राद्ध में शामिल होंगे हेमंत :

झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की अदालत ने जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉउंड्रिंग मामले में आरोपी पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से दायर जमानत याचिका पर सोमवार को सुनवाई की. हेमंत सोरेन को चाचा राजाराम सोरेन के श्राद्धकर्म में शामिल होने के लिए औपबंधिक जमानत देने से इनकार कर दिया. साथ ही उनकी याचिका खारिज कर दी. अदालत ने बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में बंद हेमंत सोरेन को छह मई को अपने चाचा के श्राद्धकर्म में पुलिस कस्टडी में शामिल होने की अनुमति दी. अदालत ने कहा कि पुलिस कस्टडी में रहने के दौरान हेमंत सोरेन मीडिया व गवाहों से बात नहीं करेंगे और न ही कोई राजनीतिक बयान देंगे. पुलिस कस्टडी में ही वह अपने चाचा के श्राद्धकर्म में छह मई को शामिल होंगे. श्राद्धकर्म में शामिल होने के बाद वे पुनः बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार होटवार ले जाये जायेंगे. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी हेमंत सोरेन ने जमानत याचिका दायर कर अपने चाचा के श्राद्धकर्म में शामिल होने के लिए हाइकोर्ट से एक दिन के लिए (छह मई के लिए) औपबंधिक जमानत देने की मांग की थी.

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