सीसीएल को वर्ष 2025-26 तक करना है 135 मिलियन टन कोयला उत्पादन
राकेश वर्मा, बेरमो :
सीसीएल के नये सीएमडी निलेंदू कुमार सिंह ने अपना पदभार ग्रहण कर लिया है. उनके समक्ष माइंसों का विस्तार और नयी माइंसों को चालू करने की चुनौती होगी. फिलहाल कुछ जगहों पर माइंस विस्तार, शिफ्टिंग व वन भूमि के क्लीयरेंस की समस्याएं हैं. कुछ नयी माइंस आने वाली हैं, जिसमें कोतरे- बसंतपुर, चंद्रगुप्त के अलावा मगध एरिया में जमीन लैंड ईश्यू है. वन विभाग से स्टेज-दो का क्लीयरेंस मिलने की उम्मीद है.बेरमो की कारो ओसीपी में शिफ्टिंग समस्या है. चालू वित्तीय वर्ष में सीसीएल का कोयला उत्पादन लक्ष्य 100 मिलियन टन है. गत वित्तीय वर्ष में रिकाॅर्ड 86 मिलियन टन उत्पादन हुआ था, जबकि लक्ष्य 84 मिलियन टन था. सीसीएल के सामने वर्ष 2025-26 तक 135 मिलियन टन उत्पादन करने का लक्ष्य है. इसे हासिल करने के लिए सीसीएल को लगभग 21 सौ हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि की आवश्यकता पड़ेगी. आने वाले समय में सीसीएल में कई नयी परियोजनाएं आने वाली हैं. इसमें संघमित्रा, चंद्रगुप्त, कोतरे-बसतपुर-पचमो, हिदगिर, तापीन साउथ. पिछरी, अरगड्डा, जीवनधारा, पिपरवार, पतरातू आदि शामिल हैं.
बेरमो में कोयला उत्पादन बढ़ाने की अपार संभावनाएं :
बेरमो में सीसीएल के बीएंडके, ढोरी व कथारा एरिया में कोयला उत्पादन बढ़ाने की संभावना है. यहां कई माइंसों के विस्तार एवं नयी माइंस खोलने की दिशा में गंभीरता से पहल करने की जरूरत है. बीएंडके एरिया की कारो ओसीपी में शिफ्टिंग समस्या के कारण माइंस विस्तार बाधित है. जगह नहीं रहने के कारण यहां जल्द ही कोयला उत्पादन बंद हो सकता है. इसी एरिया के मेगा एकेके प्रोजेक्ट के विस्तार को लेकर बरवाबेड़ा गांव को शिफ्ट करना जरूरी है. इसकी शिफ्टिंग के लिए गोविंदपुर फेज दो परियोजना में 14 करोड़ की लागत से आरआर साइट का निर्माण कराया गया है, लेकिन प्रबंधन को शिफ्टिंग में सफलता नहीं मिल रही है. कथारा एरिया की स्वांग-गोविंदपुर परियोजना के विस्तार के लिए मोटिंको नाला की शिफ्टिंग के कार्य को अमलीजामा पहनाया गया है. इसके बाद इस परियोजना का भविष्य 15 साल तक के लिए सुरक्षित हो गया. जारंगडीह परियोजना का विस्तारीकरण भी जरूरी है और इसके लिए जारंगडीह स्थित ढोरी माता के अलावा टाटा ब्लॉक, एसबीआइ, एटीएम आदि को शिफ्ट करना है.ढोरी एरिया से सालाना नौ मिलियन टन उत्पादन की संभावना :
ढोरी एरिया से आने वाले समय में सालाना नौ मिलियन टन कोयला उत्पादन की संभावना है. बंद पिछरी व अंगवाली माइंस को चालू करने की दिशा में गंभीरता से पहल करनी होगी. अंगवाली माइंस से 18 लाख टन कोयला खनन की योजना पर काम चल रहा है. प्रबंधन के अनुसार ऐसे पूरे माइंस में जियोलॉजिकल रिपोर्ट के अनुसार कुल कोल रिजर्व 15 मिलियन टन से ज्यादा है, जो 85 हेक्टेयर में है. पिछरी माइंस की तर्ज पर इसका भी माइन प्लान बनाया जा रहा है. यहां की रैयती जमीन के लिए वर्षों पहले से प्रबंधन द्वारा 75 नौकरी देने का दावा किया जा रहा है. फिलहाल यहां के जिस जमीन पर कोयला खनन किया जाना है, उस पर किसी तरह का विस्थापन समस्या नहीं है. इसे भी आउटसोर्सिंग मोड में चलाया जायेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है