महुदा (धनबाद): झारखंड के धनबाद जिले के महुदा थाना क्षेत्र के लोहापट्टी (काशीटांड़) में शनिवार को एक साथ खुशी और गम का माहौल दिखा. शादी समारोह से पहले परिवार में गम ने दस्तक दी. ऐसे में बुद्धिजीवियों ने निर्णय लिया और पहले मंदिर में शादी करायी गयी, फिर अंतिम संस्कार किया गया. अधिवक्ता सुखदेव महतो व बिनोद महतो ने कहा कि परंपरा के अनुसार निधन के बाद घर में किसी की शादी एक साल बाद ही हो सकती है. ऐसे में दोनों परिवारों की परेशानी को देखते हुए ये निर्णय लिया गया है.
शादी से पहले करीबी की हो गयी मौत
लोहापट्टी (काशीटांड़) निवासी स्वर्गीय अनिल महतो के बड़े पुत्र शामू कुमार महतो की शादी छह मई को हरिहरपुर थाना क्षेत्र के बिशुनपुर नोमो निवासी धनेश्वर महतो की बड़ी पुत्री कुमारी सीता से होनी तय थी. अचानक तीन मई को स्वर्गीय अनिल महतो के परिवार की करीबी महिला को हार्ट अटैक आ गया. आनन-फानन में महिला को इलाज के लिए बोकारो ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
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शादी के बाद हुआ अंतिम संस्कार
धनबाद की इस घटना के बाद दूल्हा शामू कुमार महतो के परिजनों ने एक अच्छी पहल की और शव को अस्पताल में ही रोककर लड़कीवालों को इसकी सूचना दी. दोनों परिवारों की परेशानी को देखते हुए लड़की को महुदा बुलाकर पहले मंदिर में शादी करायी गयी, फिर शव का अंतिम संस्कार दामोदर तेलमोच्चो घाट पर की गयी.
दोनों परिवारों की परेशानी देख लिया निर्णय
मृतका के परिवार के ही अधिवक्ता सुखदेव महतो व लड़के के चाचा बिनोद महतो ने बताया कि पुरानी परंपरा के अनुसार निधन के बाद घर में किसी की शादी एक साल बाद ही होती. दोनों परिवारों की परेशानी को देखते हुए ही हमने यह निर्णय लिया और लड़की को बुलवाकर महुदा के ब्रह्मबाबा मंदिर में शादी करायी. अब सभी खुश हैं.
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