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भूमि अधिग्रहण धांधली के पेच में फंसा मुंगेर मेडिकल कॉलेज, विभागों की भूमिका पर उठ रहे सवाल

मुंगेर मेडिकल कॉलेज के निर्माण में निर्धारित समय से काफी देरी हो सकती है. इसका कारण है जमीन अधिग्रहण में बरती गई अनियमितता. जानें क्या है पूरा मामला...


मुंगेर मेडिकल कॉलेज के निर्माण से पूर्व ही जमीन अधिग्रहण में बरती गयी धांधली ने एक बड़ा पेच फंसा दिया है. सरकारी स्तर पर बरती गयी अनियमितता के कारण 30 रैयतों से जमीन का रजिस्ट्री कराने के बाद बावजूद विभाग राशि का भुगतान नहीं कर रहा है. जमालपुर के अंचलाधिकारी के दस्तावेज के आधार पर भूस्वामियों से जमीन की रजिस्ट्री तो करा ली गयी, लेकिन अब आपत्ति पर आपत्ति दर्ज की जा रही है.

मामला जब उजागर हुआ तो फरवरी में ही जिलाधिकारी ने इसके लिए तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन कर दिया है. लेकिन अब तक न तो जांच पूरी हुई है और न ही मामले का निबटारा हो रहा है. इस परिस्थिति में मुंगेर मेडिकल कॉलेज के शीघ्र निर्माण पर ग्रहण का बादल मंडरा रहा है.

वर्षों की मांग के बाद सरकार ने मुंगेर के जमालपुर प्रखंड के संदलपुर मौजा में मेडिकल कॉलेज खोलने का निर्णय लिया और राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गत वर्ष ही इसका आधारशिला भी रखा था. जब चयनित भूमि के अधिग्रहण के लिए सतत लीज नीति के तहत भूस्वामियों से जमीन का रजिस्ट्री कराया जाने लगा तो जमालपुर अंचल कार्यालय से लेकर भू-अर्जन कार्यालय मुंगेर में बड़े पैमाने पर अनियमितता बरती गयी और बिना पड़ताल के ही जमीन निबंधन का खेल शुरू कर दिया गया.

करीब 102 रैयतों में से 59 रैयतों को जमीन का मुआवजा राशि 65.61 करोड़ का भुगतान कर दिया गया, लेकिन जमीन निबंधन के बाद अब जिला भू-अर्जन कार्यालय 28 रैयतों के भूमि पर आपत्ति की बात कर रहा है और ऐसे रैयतों को राशि का भुगतान नहीं किया गया है. यह मामला तब सुर्खियों में आया है जब ऐसे रैयत प्रमंडलीय आयुक्त से न्याय की गुहार लगा रहे है.

मात्र 59 रैयतों को अब तक मुआवजा का हुआ भुगतान

जिला भूअर्जन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मेडिकल कॉलेज निर्माण के लिए जमालपुर प्रखंड की बांक पंचायत के संदलपुर मौजा में 14.76 एकड़ जमीन का चयन किया गया. करीब 102 रैयतों की जमीन अधिग्रहण कर रजिस्ट्री कराया जाना था. 90 से अधिक रैयतों से जमीन की रजिस्ट्री गर्वमेंट ऑफ बिहार के नाम कराया गया. रैयतों को मुआवजा देने के लिए सरकार से जिला भू-अर्जन विभाग को लगभग 90 करोड़ रुपये दिया गया. जिसमें जिला भूअर्जन विभाग से 59 रैयतों को 65 करोड़ 61 लाख 587 रुपया भुगतान किया गया. प्रति डिसमील 3.99 लाख रुपये के दर से रैयतों को मुआवजा दिया गया.

विभाग और रैयत आमने-सामने, कमीशनखोरी का अरोप

जिला भू-अर्जन विभाग और मुआवजा से वंचित रैयत आमने-सामने हो गये हैं. विभाग की माने तो राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल के निर्माण के लिए अधिग्रहित की जाने वाली सतत लीज नीति-2014 के तहत रैयती भूमि लीज निबंधन कराया गया. निबंधन को मुआवजा राशि भुगतान के विरुद्ध आपत्ति प्राप्त हुआ. जिसके कारण 28 रैयतों का मुआवजा रोक दिया गया.

जिसकी जांच त्रिस्तरीय जांच टीम कर रही है. जबकि दो मामला सीओ जमालपुर स्तर पर चल रहा है. लेकिन मुआवजा से वंचित रैयतों ने प्रमंडलीय आयुक्त को सौंपे ज्ञापन में सीधे तौर पर कमीशनखोरी का अरोप लगाया गया है. रैयतों ने ज्ञापन में कहा है कि उसकी जमीन की रजिस्ट्री करा ली गयी. अब मुआवजा देने में आपत्ति कर रही है. जबकि हमलोगों से 1.20 लाख रुपये प्रति कट्ठा कमीशन की मांग की जा रही है. नहीं दिया तो आपत्ति लगा कर मुआवजा रोक दिया.

कहते है जिला भू अर्जन पदाधिकारी

जिला भू अर्जन पदाधिकारी पंकज कुमार ने बताया कि जमीन निबंधन के उपरांत आपत्ति मिलने लगी. जिसकी जांच के लिए डीएम स्तर से तीन सदस्यीय जांच टीम गठित किया गया. जांच टीम का जो निर्णय आयेगा, उसके अनुसार काम किया जायेगा.

कहते हैं डीसीएलआर

डीसीएलआर सदर अन्नू कुमार ने बताया कि वे जिला अवर निबंधन पदाधिकारी के प्रभार में भी हैं. तीन सदस्यीय टीम में उनके अलावे सीओ जमालपुर है. चुनाव के बाद सुनवाई कर मामलों का निष्पादन किया जायेगा. उन्होंने कहा कि जमालपुर सीओ से एनओसी मिलने के बाद ही रैयतों के जमीन की रजिस्ट्री करायी गयी.

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