सीवान. प्रभात खबर में 26 अप्रैल को टीबी की 4 एफडीसी दवा खत्म होने से मरीजों की परेशानियां बढ़ने की खबर छपने के बाद जिला यक्ष्मा पदाधिकारी द्वारा लगभग एक माह की टीबी की दवा की खरीदारी की गई है.विभाग ने टीबी की दवा की तो खरीदारी की है लेकिन जरूरत के मुताबिक निर्धारित पावर में दवाओं की खरीद नहीं होने से मरीजों की परेशानियां अधिक हो गई है. 50 किलोग्राम वाला टीबी मरीज जो एक दिन में 4 एफडीसी के 4 टैबलेट दवा खाता था उसे अब उसके बदले में चारों विभिन्न प्रकार के साल्टों 14 टैबलेट खाने पड़ रहें हैं.उसके बाद भी मरीज को विभाग के निर्देशानुसार दवा का डोज नहीं मिल पा रहा है. टीबी मरीज को उपचार में इंटेंसिव फेज में दो महीने के लिए 4 एफडीसी तथा इसके बाद कंटिन्यूएशन फेज में चार महीने 3 एफडीसी दवा दी जाती है. 4 एफडीसी में आइसोनियाज़िड 75 मिलीग्राम, रिफैम्पिसिन 150 मिलीग्राम,एथमब्यूटोल 275 मिलीग्राम और पाइराज़िनामाइड 400 मिलीग्राम तथा 3 एफडीसी आइसोनियाज़िड 75 मिलीग्राम, रिफैम्पिसिन 150 मिलीग्राम और एथमब्यूटोल 275 मिलीग्राम दवा शामिल रहती है. वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग ने अलग-अलग सॉल्ट में आइसोनियाज़िड 100 मिलीग्राम, रिफैम्पिसिन 150 मिलीग्राम,एथमब्यूटोल 400 मिलीग्राम और पाइराज़िनामाइड 500 मिलीग्राम की दवा की खरीद किया है. अधिकारियों ने अलग-अलग साल्टो में आइसोनियाज़िड 100 मिलीग्राम, रिफैम्पिसिन 150 मिलीग्राम,एथमब्यूटोल 400 मिलीग्राम और पाइराज़िनामाइड 500 मिलीग्राम की दवा की खरीद की है. दवा नहीं मिलने पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री से की शिकायत बड़हिया प्रखंड के एक बोन का मरीज को सरकारी टीबी की दी नहीं मिलने पर भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉक्टर मनसुख मांडविया से शिकायत कर दी. मरीज की शिकायत थी कि वह प्राइवेट में डॉक्टर से दिखता है तथा निजी अस्पतालों के देखकर करने वाले स्वास्थ्य विभाग के हेल्थ पार्टनर द्वारा टीबी की दवा उपलब्ध नहीं कराई जा रही है. उसकी अभी शिकायत थी कि वह 10 दिनों की दवा मार्केट से खरीदी है. दवा खाने के बाद पूरे शरीर में इचिंग हो रहा है.भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं कल्याण विभाग द्वारा इस संबंध में जिलाधिकारी के द्वारा जिला यक्ष्मा पदाधिकारी से दवा उपलब्ध नहीं होने के संबंध में पूछताछ की गई. यक्ष्मा पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि विभाग द्वारा दवा की आपूर्ति नहीं किए जाने के कारण कुछ दिनों मरीजों को परेशानी हुई. अब दवा की स्थानीय स्तर पर खरीद की जा चुकी है.
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