जैंतगढ़ : झारखंड-ओडिशा सीमा से लगे जगन्नाथपुर प्रखंड की आठ पंचायतें आज भी उड़िया बेल्ट के नाम से जानी जाती हैं. यहां का कल्चर भी ओडिया है. सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी ओडिया है. यहां 77 साल बाद भी क्षेत्र के लोग आज भी झारखंड सरकार की उपेक्षा से मूलभूत सुविधाओं के लिए पूरी तरह से ओडिशा पर निर्भर हैं. इसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, मोबाइल सेवा व कारोबार आदि शामिल हैं. जानकारी के अनुसार, झारखंड-ओडिशा की सीमा पर बसा जैंतगढ़-चंपुआ को जोड़ाव नगर कहा जाता है, लेकिन मात्र तीन सौ मीटर के अंतर में बसे नगरों में जमीन-आसमान का अंतर है. जैंतगढ़ सीमा पार होकर जैसे ही ओडिशा की सीमा में प्रवेश करते हैं, चारों ओर रौनक और विकास दिखता है. वहीं, झारखंड सीमावर्ती क्षेत्र के लोग स्वास्थ्य सेवा के लिए पूर्ण रूप से ओडिशा के चंपुआ अस्पताल पर निर्भर हैं. शिक्षा के लिए भी आसपास के दर्जनों गांव के बच्चे ओडिशा के सरकारी स्कूलों में पढ़ने जाते हैं. इसके साथ झारखंड क्षेत्र के सैकड़ों बच्चे रोज चंपुआ स्थित विभिन्न पब्लिक स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करते हैं. मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट सेवा पूरी तरह ओडिशा पर निर्भर हैं. कारोबार भी पूरी तरह ओडिशा पर निर्भर : विदित हो कि झारखंड सीमा में दस किमी के रेडियस में ओडिशा की मोबाइल सेवा बहाल है. कारोबार भी पूरी तरह ओडिशा पर निर्भर है. मंडी में 90% धान ओडिशा से आता है. चावल, गल्ला व कपड़ा व जूता की 50% ओडिशा से आपूर्ति होती है. 70% ग्राहक ओडिशा से आते हैं. रसायनिक उर्वरक और दवाओं की बड़ी खेप भी ओडिशा से ही आती है. अधिकांश लोग भारी वाहन लेकर ओडिशा के खान क्षेत्रों ने वाहन चला कर अपना और परिवार का पेट पाल रहे हैं. इसके साथ शादी- विवाह, पढ़ाई- दवाई, मोबाइल और रोजगार के लिए झारखंड के लोग ओडिशा पर निर्भर रहते हैं.
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