पूर्णिया. वोकेशनल कोर्सेस को लेकर शुरू से ही पूर्णिया विवि ने ढिलाई बरती है. यही कारण है कि आज लॉ, बीएड, मैनेजमेंट, कंप्यूटर और सीएनडी के कोर्सेस को लेकर छात्र-छात्राओं में ऊहापोह की स्थिति है. तकनीकी कारणों से इन सभी कोर्सेस में पेंच फंस गया है. पूर्णिया विवि ने स्थापना के पांच वर्ष पूरे होने पर बड़े जोश-खरोश से पांचवे संकाय के रूप में विधि संकाय कायम किया. मगर उसके बाद ही तकनीकी कारणों से लॉ कॉलेजों में शून्य सत्र की नौबत आ गयी. पिछले छह महीने से राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद की एफिलिएटिंग बॉडी में पूर्णिया विवि का नाम गायब रहने का मसला छात्र-छात्रा उठा रहे हैं. अब जाकर पूर्णिया विवि ने अपनी तरफ से राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद का इस विषय पर ध्यान दिलाया है. इसी प्रकार से मैनेजमेंट, कंप्यूटर और सीएनडी की पढ़ाई पर आये संकट को दूर करने में पूर्णिया विवि की तत्परता गायब है. विशेषज्ञों के अनुसार, एआइसीटीइ से अनुदान प्राप्त करने के लिए एआइसीटीइ के अनुमोदन की आवश्यकता है. इसलिए पूर्णिया विवि को यह स्पष्ट करना चाहिए कि अनुदान के लिए एआइसीटीइ से अनुमोदन के लिए कॉलेजों को निर्देश दिया जा रहा है. राज्य सरकार ने जो निर्देश दिया है, उसे भी सार्वजनिक किये जाने पर विशेषज्ञों का जोर है. गौरतलब है कि कुलपति प्रो. राजनाथ यादव ने कई मौकों पर कहा है कि प्रथम कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने पीजी, एमबीए जैसे कोर्सेस बिना राज्य सरकार की मान्यता के शुरू कर दिये. उनके कार्यकाल में इन कोर्सेस को मान्यता दिलायी गयी. मगर उनके कार्यकाल में कायम किये गये विधि संकाय पर उनकी चुप्पी कायम है. बीएड में एफिलिएटिंग बॉडी के मामले को भी पूर्णिया विवि ने काफी हल्के में लिया. यह मसला आने के बाद कुलपति प्रो. राजनाथ यादव ने कॉलेजों को ही अपने स्तर से आगे बढ़ने का निर्देश दिया. अब जब कॉलेजों के स्तर से समस्या हल नहीं हुई है तो पूर्णिया विवि ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद को लिखा है. 6 साल में बीएड के चार सत्र पूरे हो गये पर एफिलिएटिंग बॉडी में पूर्णिया विवि की जगह बीएनएमयू का नाम है. इस संबंध में कुलसचिव प्रो. अनंत प्रसाद गुप्ता ने बताया कि बीएड एफिलिएटिंग बॉडी मामले में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद को लिखा गया है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है