प्रतिनिधि, गिद्दी. डाड़ी प्रखंड में कर्मियों व पदाधिकारियों की मिलीभगत से मनरेगा में लूट मची है. कई योजनाओं में भ्रष्टाचार उजागर हुए हैं, लेकिन कार्रवाई नाममात्र लोगों पर ही हुई है. मनरेगा के अधिकांश कार्य स्थलों पर सूचना बोर्ड भी नहीं लगा है. यहां काम पूरा होने पर बोर्ड लगा दिया जाता है. डाड़ी प्रखंड की लगभग 10 पंचायतों में मनरेगा की कई योजनाएं चल रही हैं. इसके तहत कूप, डोभा सहित अन्य योजनाओं का निर्माण किया जा रहा है. अधिकांश कार्य स्थलों पर योजना का सूचना बोर्ड नहीं लगा हुआ है. इसके कारण लोगों को योजना व प्राक्कलन की जानकारी नहीं मिल रही है. इसकी शिकायत प्रखंड के पदाधिकारियों से कई बार की गयी, लेकिन कोई पहल नहीं की गयी. लोकपाल व सामाजिक अंकेक्षण की टीम ने भी जांच के दौरान कई बार कार्य स्थलों पर सूचना बोर्ड नहीं पाया. इसके लिए आर्थिक दंड भी लगाया गया. जिन लाभुकों को मनरेगा से डोभा व कूप सहित अन्य योजनाएं मिलती हैं, वह अपनी जमीन पर जेसीबी मशीन से डोभा व कूप का निर्माण कराते हैं. जब उनसे पूछताछ की जाती है, तो निजी स्तर पर कार्य कराने की बात कही जाती है. इसके बाद धीरे-धीरे योजना से मजदूरी व मेटेरियल की राशि निकाल ली जाती है. बाद में लोगों को पता चलता है कि वहां पर मनरेगा से डोभा या कूप बन गया है. यह धंधा यहां पिछले कई वर्षों से चल रहा है. प्रखंड में मानव सृजन कागज पर कर लिया जाता है, लेकिन मजदूरों के नाम पर फर्जी मजदूरी की लूट हो रही है. इससे सरकार को हर माह लाखों का आर्थिक नुकसान हो रहा है. योजना लेने के नाम पर पहले लाभुक से पैसे की वसूली की जाती है. फिर उन्हें मशीन चलाने के लिए सुझाव दिया जाता है. शिकायत के बाद भी प्रखंड ही नहीं, बल्कि जिला प्रशासन भी मौन रहता है. पंचायत सचिव लाल बहादुर महथा ने कहा कि कार्य शुरू होने के दौरान ही सूचना बोर्ड लगना चाहिए.
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