Photo: श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के यज्ञाधीश कन्हैया दास महाराज जी ने बताया कि श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ आपको भौतिक संपदा और प्रचुरता का आह्वान करने में मदद करता है. देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं, और उनकी प्रार्थना करने से भक्तों को धन और समृद्धि मिल सकती है.
वित्तीय कठिनाइयों, ऋण और रिश्ते के मुद्दों पर काबू पाने में मदद पाने के लिए कोई भी व्यक्ति इस यज्ञ को कर सकता है. श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का मुख्य उद्देश्य विश्व शांति, सद्बुद्धि और अन्य धन में वृद्धि की कामना होती है. श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ में सम्मलित होने से पुण्य की प्राप्ति होती है.
धार्मिक मान्यता के अनुसार मनुष्य के जीवन में यज्ञ परिक्रमा का विशेष महत्व माना जाता है. यज्ञ मंडप पर अग्नि नारायण सहित समेत देवी-देवताओं का आह्वान किया जाता है, इस दौरान समस्त देवी देवताओं को प्रसन्न करने के लिए पग-पग यज्ञ की परिक्रमा कर मनुष्य सुख-शांति,आरोग्यता, दीर्घायु प्राप्त करता है.
श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का आयोजन होने से सर्व देवी देवता एवं सारे तीर्थ विराजमान होते हैं. शास्त्रोक्त इस आधार से यज्ञ मंडप परिक्रमा करने से मनोवांछित फल मिलता है. श्री लक्ष्मी नारायण के संयुक्त पूजन से सुख-संपत्ति, धन, वैभव का वरदान मिलता है. नौकरी और कारोबार में सफलता मिलती है. श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ मंडप की परिक्रमा करने से मात्र लंबी उम्र, अच्छी सेहत और आध्यात्मिक विकास का आशीर्वाद भी मिलता है.
श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ परेशानी मुक्त और शांतिपूर्ण जीवन के लिए किया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि यह किसी व्यक्ति या उसके परिवार की इच्छाओं और इच्छाओं को पूरा करने के लिए बहुत प्रभावी होता है. यह बाधाओं को दूर करता है और आपकी नौकरी या किसी भी कार्य को करने की योजना में व्यक्ति को सफल बनाता है. यह यज्ञ दुर्भाग्य को भी दूर करता है और भक्त के लिए सौभाग्य लाता है. यह शुभ महायज्ञ उन लोगों को नई आशा देता है जो बेरोजगार हैं, बीमार है, आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्री लक्ष्मी जी नारायण की पत्नी हैं, इसलिए वह सर्वव्यापी हैं. लक्ष्मी जी वाणी है, नारायण अर्थ, धर्म है, भक्ति है, सृष्टि है, लक्ष्मी पृथ्वी है और नारायण आधार है. यदि नारायण चन्द्रमा हैं तो लक्ष्मी उनकी अमोघ ज्योति हैं. वह रेंगने वाली लता है, और वह वृक्ष है. जिसके चारों ओर वह लिपटी रहती है. वह रात है, और वह दिन है.
जिस तरह नारायण अलग-अलग युगों में अलग-अलग रूपों में पृथ्वी पर अवतरित होते हैं, उसी तरह लक्ष्मी जी भी है, जब नारायण ने वामन अवतार के रूप में अवतार लिया, तो लक्ष्मी कमल के रूप में कमल से पैदा हुईं, परशुराम के समय में, लक्ष्मी धरणी थीं, राम के लिए वह सीता बन गईं, और कृष्ण के लिए वह रुक्मिणी हैं. जब भी भगवान प्रकट होते हैं, श्री भी वहां होते हैं.
श्री लक्ष्मी जी की असली कृपा जीवन में संतोष के गुण में दिखाई देती है. दुनिया का सबसे गरीब आदमी भी राजा से ज्यादा अमीर है. अगर उसके पास संतोष है, फिर भी जिस आदमी के पास सभी भौतिक संपत्ति उपलब्ध है उसे कभी भी शांति नहीं मिलेगी. जब तक कि उसका मन संतुष्ट न हो जाए. संतोष के बिना शांति असंभव है और समृद्धि मृगतृष्णा है. लेकिन जब लक्ष्मी की नजर आप पर पड़ती है तो मन में संतोष पैदा हो जाता है. तभी जीवन में शांति, प्रचुरता और समृद्धि स्थापित होती है.
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