धूल और धुआं से शहर में बढ़ रहे दमा के मरीज बच्चे और युवा भी आ रहे बीमारी की चपेट में विश्व दमा दिवस पर विशेष उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर मुजफ्फरपुर शहर गंभीर प्रदूषण की चपेट में है. इससे दमा रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ी है. धूल और धुआं इस बीमारी को लगातार बढ़ा रहे हैं. कारों के इंजन पुराने मॉडल के होने के कारण भी प्रदूषण बढ़ रहा है, जो सीधे तौर पर दमा बीमारी को जन्म दे रहा है. पहले लोग एलर्जी के शिकार होते हैं और लंबे समय तक एलर्जी रहने के बाद यह दमा में परिवर्तित हो जाता है. कुछ वर्ष पूर्व अहमदाबाद में संपन्न नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन पलमनरी डिजीज में देशभर के चेस्ट रोग विशेषज्ञ जमा हुए थे. इसमें छाती रोग बढ़ने के लिए प्रदूषण को मुख्य रूप से जिम्मेवार माना गया था. बावजूद प्रदूषण कम करने के लिये सरकारी स्तर पर कोई प्लानिंग नहीं की गयी. देश के टॉप दस प्रदूषित शहरों में आने वाले मुजफ्फरपुर में प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की पहल से प्रदूषण कम करने के लिये प्लान तो बना, लेकिन उस पर काम नहीं हुआ. नतीजा युवा और छोटे बच्चे भी एलर्जी की समस्या से पीड़ित हो रहे हैं, जो बाद में गंभीर बीमारी का रूप ले सकता है. जिले के 4.7 फीसदी नवजात को सांस संबंधी समस्या प्रदूषण के कारण शिशुओं में भी सांस संबंधी समस्या बढ़ रही है. वैसे तो समय से पहले प्रसव और अनियंत्रित मधुमेह से पीड़ित गर्भवती महिलाओं के शिशुओं में सांस सबंधी परेशानी होने की समस्या सामने आती है, लेकिन इसमें प्रदूषण भी एक बडृ़ा कारण है. गर्भवती महिलाएं धूल और धुएं के बीच रहती हैं तो उनके शिशु को एक्यूटर रेस्पिरेटरी इंफेक्शन हो सकता है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे बताता है कि पांच वर्ष पहले मुजफ्फरपुर में 4.3 फीसदी शिशु इस बीमारी से पीड़ित हो रहे थे, जो बढ़ कर 4.7 हो गया है. यह स्थिति चिंताजनक है. एनसीडी में दमा शामिल, इलाज की व्यवस्था नहीं केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय ने गैर संचारी रोग के लिये अलग सेल बनाया है, जो सभी जिला अस्पताल में है. मुजफ्फरपुर में भी यह सेल काम कर रहा है, इस सेल के तहत हृदय रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप व दमा शामिल है, लेकिन यहां दमा के इलाज की व्यवस्था नहीं है. एनसीडी सेल प्रभारी डॉ नवीन कुमार ने कहा कि पटना के सरकारी अस्पताल में दमा मरीजों के लिये इस सेल के तहत इलाज की अलग व्यवस्था है, लेकिन मुजफ्फरपुर के लिये प्रोजेक्ट नहीं है. गाइडलाइन मिलने के बाद ही दमा के इलाज की व्यवस्था होगी. दमा होने के लक्षण – सीने में जकड़न, दर्द या दबाव – खांसी (खासकर रात में) – सांस लेने में कठिनाई – घरघराहट वर्जन दमा होने के कई सारे कारण है, लेकिन प्रदूषण इसमें सबसे बड़ा कारण है. लबे समय तक एलर्जी वाले मरीजों को दमा होने की खतरा अधिक रहता है. इसमें श्वसन तंत्र में सूजन आ जाती है और मांसपेशियां कठोर हो जाती है. इससे पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन फेफड़ों में नहीं पहुंच पाता. अगर प्रदूषण पर कंट्रोल हो जाये तो काफी लाेग इस मर्ज से पीड़ित होने से बच जायेंगे – डॉ. शेखर सुमन, फिजिशियन, एसकेएमसीएच
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