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इन्फ्रास्ट्रक्चर ने जिले के एथलीटों का बिगाड़ा खेल

इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी के कारण जिले के एथलीटों का खेल बिगड़ रहा है. नतीजतन, राष्ट्रीय स्तर पर खेलने के बावजूद जिले का एक भी खिलाड़ी ओलिंपिक नहीं खेल सका है.

मो आरिफ खान, सासाराम ऑफिस. इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी के कारण जिले के एथलीटों का खेल बिगड़ रहा है. नतीजतन, राष्ट्रीय स्तर पर खेलने के बावजूद जिले का एक भी खिलाड़ी ओलिंपिक नहीं खेल सका है. हालांकि, निशि कुमारी, सोनी कुमारी, अभिषेक, पीयूष राज, रितेश कुमार, प्रदीप, अविनाश, मिथिलेश जैसे करीब 12 से 15 एथलीटों ने अपनी मेहनत से राष्ट्रीय स्तर तक का सफर तय कर मेडल प्राप्त किया है, लेकिन वे इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी के कारण आगे नहीं बढ़ पाये. या यूं कहें कि इन जैसे हीरो को इन्फ्रास्ट्रक्चर और तराशने वाले जौहरी (प्रशिक्षक) ही नहीं मिल पाये. जिला एथलेटिक्स संघ की मानें, तो जिला ही क्या राज्य में भी एथलीटों के लिए सुविधाएं कम हैं, जिसका नतीजा है कि 1976 मांट्रियल और 1980 मास्को में एक एथलीट शिवनाथ सिंह के भाग लेने के बाद अब तक दूसरा कोई एथलीट ओलिंपिक में शामिल नहीं हो सका है. यहां के एथलेटिक्स से जुड़े खिलाड़ियों की स्थिति दयनीय है, क्योंकि सरकार की ओर से कोचिंग कैंप, प्रतियोगिता के आयोजन व अन्य प्रशिक्षण के लिए संघ को किसी तरह का अनुदान नहीं मिलता है. सिर्फ यही नहीं, बिहार में एथलेटिक्स की बदहाली के कारण और भी हैं. संघ बताता है कि जब तक बिहार-झारखंड एक था, तब तक एथलेटिक्स का संयुक्त मुख्यालय जमशेदपुर था, जिसके कारण ग्राउंड से लेकर लगभग जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर झारखंड के जमशेदपुर के आसपास के इलाके में ही डेवलप हुए. टाटा व बोकारो जैसे स्टील प्लांट व अन्य कंपनियों ने अपना सहयोग दिया, जिससे खेल ज्यादा डेवलप हुआ. जब बिहार अलग हुआ, तो इन्फ्रास्ट्रक्चर झारखंड के एथलीटों के हाथ में चले गये और बिहार के एथलीटों को मुंह ताकना पड़ा. संघ का कहना है कि स्थिति यह हो रही है कि अगर सरकार आगामी दिनों में एथलीटों के लिए जिलाें में केंद्र नहीं खोलती है, तो यहां के शानदार एथलीट अन्य राज्यों से खेलेंगे. वे उस राज्य और जिले का नाम रोशन करेंगे.

सिंथेटिक ट्रैक की है जरूरत

रोहतास जिला एथलेटिक्स संघ के सचिव विनय कुमार ने कहा कि यहां के एथलीट घास पर दौड़ रहे हैं. इन एथलीटों को एथलेटिक्स के लिए सबसे जरूरी सिंथेटिक ट्रैक का दर्शन भी नहीं हो पाया है. विगत वर्षों में डीएम व डीएसओ ने खेलो इंडिया के तहत एथलेटिक्स केंद्र संचालन के लिए राज्य को प्रस्ताव भेजा था. लेकिन, राज्य खेल प्राधिकरण ने एथलेटिक्स की जगह साइकिल प्रशिक्षण केंद्र को मंजूरी दे दी, जिससे जिले के एथलीटों का मनोबल टूट सा गया है. गौरतलब है कि युवाओं को खेल गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने व युवाओं में एथलेटिक भावना को बढ़ावा देने के लिए सात मई यानी मंगलवार को विश्व एथलेटिक्स दिवस मनाया जायेगा. इस अवसर पर विभिन्न स्कूल व कॉलेजों में कार्यक्रम का आयोजन होगा.

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