रांची (विशेष संवाददाता). राज्य सरकार ने रांची विश्वविद्यालय अंतर्गत 69 शिक्षकों को पीएचडी इंक्रीमेंट देने रोक लगा दी है. उच्च शिक्षा निदेशालय ने प्रस्ताव में त्रुटि का हवाला देते इसे अस्वीकृत करते हुए तीसरी बार संचिका विवि को वापस कर दिया है. उच्च शिक्षा निदेशक ने मंगलवार को इसे वापस करते हुए लिखा है कि विभिन्न कॉलेजों व स्नातकोत्तर विभागों के 69 असिस्टेंट प्रोफेसर का छठा पुनरीक्षित वेतनमान पीएचडी एवं एमफिल उपाधि के बाद छठा एवं सातवां वेतनमान का वेतन निर्धारण का प्रस्ताव प्राप्त है. समीक्षा के बाद पाया गया कि प्रस्ताव में असिस्टेंट प्रोफेसर के वेतन निर्धारण के लिए उपलब्ध कराये गये कागजात में त्रुटियां हैं, इसलिए उक्त प्रस्ताव को अस्वीकृत करते वापस किया जाता है.
सभी शिक्षकों के नाम के आगे त्रुटि का जिक्र
निदेशालय द्वारा सभी शिक्षकों के नाम के आगे त्रुटि का जिक्र भी किया है. इनमें कई शिक्षकों के प्रस्ताव को सिर्फ इसलिए अस्वीकृत किया है कि विवि में एकेडमिक डीन (अफेयर्स) का पद नहीं है, इसलिए उनका हस्ताक्षर मान्य नहीं है. शिक्षकों द्वारा पीएचडी कोर्स वर्क सर्टिफिकेट नहीं, एमफिल सर्टिफिकेट में गड़बड़ी और वीसी के हस्ताक्षरयुक्त प्रमाण पत्र में पत्रांक व दिनांक नहीं हैं. इसी प्रकार कई शिक्षकों के प्रस्ताव व एमफिल सर्टिफिकेट की तिथि में भिन्नता है. एक बार फिर प्रस्ताव वापस लौटा दिये जाने पर शिक्षकों में रोष है. रांची विवि शिक्षक संघ (रूटा) ने 29 अप्रैल को उच्च शिक्षा निदेशक से मिल कर इंक्रीमेंट से संबंधित प्रस्ताव स्वीकृत कर विवि को भेजने का आग्रह किया था. निदेशक ने दो दिन का समय मांगा था. लेकिन सात दिन बाद प्रस्ताव को अस्वीकृत कर वापस कर दिया गया.इन शिक्षकों का इंक्रीमेंट प्रस्ताव हुआ अस्वीकृत
डॉ राजकुमार सिंह, डॉ नीतू कुमारी, डॉ नीरज, डॉ नीता सिन्हा, डॉ सीमा केशरी, डॉ सुनिता कुमारी, डॉ आनंद कुमार ठाकुर, डॉ मधु मिश्रा, डॉ सुनिता गुप्ता, डॉ नियति कल्प, डॉ श्रीप्रकाश सिंह, डॉ धीरेंद्र त्रिपाठी, डॉ श्वेता सिंह, डॉ रीता कुमारी, डॉ ज्ञानेंद्र कुमार सिंह, डॉ नीता लाल, डॉ प्रिया रंजन लाहा, डॉ रोजलीना सिंह, डॉ संतोष स्वरूप शांडिल्य, डॉ मीरा कुमारी, डॉ सुमन कुजूर, डॉ चंद्रकिशोर भगत, डॉ पुष्पा सुरीन, डॉ रेणु सिन्हा, डॉ अंजना सिन्हा, डॉ इंदिरा बनर्जी, डॉ राधेश्याम डे, डॉ मृणालिनी गौरव, डॉ परवेज अख्तर, डॉ सरफराज अहमद खान, डॉ हरेंद्रनाथ कुमार, डॉ रीतेश शुक्ला, डॉ थॉमस डुंगडुंग, डॉ धीरजमणि पाठक, डॉ निमिशा कुमारी, डॉ बीणा पाठक, डॉ मतिउर रहमान, प्रीति मुर्मू, डॉ अनुपमा सिंह, डॉ राजश्री महतो, डॉ अनिल बीरेंद्र कुल्लू, डॉ रंजीत कुमार चौधरी, डॉ सावित्री कुमारी, डॉ अनिता गुप्ता, डॉ प्रेमा कुमारी, डॉ दीपक गुप्ता, डॉ विकास कुमार, डॉ राजकुमार, डॉ अनुजा विवेक, डॉ महेश्वर सारंगी, डॉ शालिनी मेहता, डॉ नम्रता सिन्हा, डॉ शोभना शरण, डॉ गीता सिंह, डॉ सविता उरांव, डॉ रीना भदानी, डॉ शशिकांता टोप्पो, डॉ कुमारी भारती सिंह, डॉ परवीन सुल्ताना, डॉ सीमा प्रसाद, डॉ सुरभि साहू, डॉ मीरा कुमारी, डॉ एएमजेड हसनैन, डॉ नंद किशोर, डॉ अनिल कुमार पांडेय, डॉ नंद कुमार राणा, डॉ हरिश कुमार चौरसिया शामिल हैं.पीएचडी इंक्रीमेंट मामले में निदेशालय का तर्क अतार्किक : रूटा
रांची. रांची यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (रूटा) ने उच्च शिक्षा निदेशालय द्वारा दिये गये तर्क के साथ पीएचडी इंक्रीमेंट प्रस्ताव वापस करने को अतार्किक बताया है. रूटा के अध्यक्ष डॉ उमेश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को आपात बैठक में निदेशालय के इस कार्य पर रोष व्यक्त किया है. बैठक में शिक्षकों ने कहा है कि उच्च शिक्षा विभाग शिक्षकों के हित में कार्य नहीं कर रहा है. पीएचडी कोर्स वर्क का कोई सर्टिफिकेट अलग से नहीं दिया जाता है. यह पीएचडी डिग्री का ही हिस्सा होता है. वहीं कुलपति को विवि नियम-परिनियम के अंतर्गत आवश्यकता अनुसार पद का निर्माण तथा उस पर शिक्षकों को नियुक्त करने का अधिकार प्राप्त है. रूटा के सदस्य अब नौ मई को इस मुद्दे पर कुलपति से मिलेंगे. बैठक में डॉ सीमा प्रसाद, डॉ आनंद कुमार ठाकुर, डॉ विनिता रानी एक्का, डॉ अवध बिहारी महतो आदि उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है