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आजादी के 76 साल बाद भी धनबाद की इस बस्ती में नहीं हैं पानी व बिजली की सुविधाएं, युवा कचरा बीनकर करते हैं गुजारा

सिंदरी धनबाद नगर निगम के गुलगुलिया बस्ती में विकास नहीं हुआ है. यहां न तो पानी की सुविधा है और न ही बिजली की.

अजय उपाध्याय, धनबाद : लोकसभा चुनाव 2024 में सभी दल के प्रत्याशी विकास की बात करते हैं. लेकिन देश की आजादी के 76 वर्ष बीत जाने के बावजूद भी सिंदरी धनबाद नगर निगम के वार्ड संख्या 55 के गुरुद्वारा के समीप गुलगुलिया बस्ती में विकास की योजनाओं ने कदम नहीं रखा है. आंगनबाड़ी केंद्र में लगे मात्र एक चापाकल के भरोसे लगभग 250 लोग पानी लेते हैं. इसके खराब होने पर महिलाएं पानी लिए लगभग 500 मीटर दूर शहर के बीच बाजार से सिर पर ढोकर अपनी और अपने परिवार की प्यास बुझाती हैं. शहर के बीचों बीच रहने के बावजूद इस बस्ती में बिजली आपूर्ति अभी भी ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है. बस्ती के युवाओं को रोजगार नहीं मिलने के कारण वे कूड़ा-कचरा बीनकर परिवार का गुजारा करते हैं. इस बस्ती में न तो दूसरा चपाकल है, न ही बिजली और न ही पक्का मकान. बस्ती के कुछ लोगो का राशनकार्ड बना कर राशन दिया जाता है.

क्या कहते हैं बस्ती के निवासी

धनबाद के गुलगुलिया बस्ती में रहने वाली संतोषी देवी ने बताया कि बस्ती में पीने का पानी और बिजली की सुविधा नगन्य है. शौचालय बने हैं लेकिन खस्ताहाल में बंद पड़े हुए हैं. चुनाव के दिन वोट देने के लिए हमलोग सुबह से ही बस्ती खाली करके चले जाते हैं. लेकिन जीतने के बाद कोई भी नेता हमें कभी देखने नही आता है. हमलोग गरीब हैं वोट करने चले जाते हैं. इस डर से कि राशन कार्ड भी कहीं बंद न हो जाए.

तो, वहीं गीता बाउरी ने बताया कि देश की आजादी के 76 वर्ष बीत जाने के बाद भी आवास योजनाओं का लाभ बस्ती के लोगों को नहीं मिला. यहां के परिवार झुग्गी झोपड़ी बनाकर रहने को मजबूर हैं. जीवन यापन के लिए शहर में इधर उधर पड़े प्लास्टिक बोतल का जुगाड़ कर अपना जीवन यापन करते हैं.

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वहीं, बस्ती की एक अन्य महिला तुलसी देवी कहती हैं कि हमें ना तो घर मिला और ना ही बिजली, पानी की सुविधा. नेता लोग चुनाव के समय आते हैं और बड़े बड़े वादे कर चले जाते हैं. और हम गांव वाले विकास की आस लिये वर्षों गुजार देते हैं.

जबकि विशाल कुमार ने बताया कि जब हमें रोजगार की गारंटी नहीं मिली तो लोग कचड़ा बीनकर जीवन जीने को मजबूर हैं. उन्होंने कहा कि सरकार आती है, जाती है लेकिन कोई भी जनप्रतिनिधि हमलोगों की समस्या को नहीं देखता. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमारे शहर में इतना बड़ा करखना खोले लेकिन मजदूरों को काम नहीं मिला. न ही किसी नेता ने इस दिशा में कोई पहल किया.

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